Uttar Pradesh Politics: लोकसभा चुनाव 2024 के बाद उत्तर प्रदेश के बेहद अहम विधानसभा उपचुनावों में भाजपा का लक्ष्य अपनी खोई हुई जमीन वापस पाना है. वहीं, समाजवादी पार्टी हालिया नतीजे की तरह अपनी मजबूत पकड़ बनाए रखना चाहती है. यूपी की इन 10 विधानसभा सीटों में अयोध्या की मिल्कीपुर और अखिलेश यादव की खाली की गई करहल भी शामिल हैं.
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Uttar Pradesh By-Elections: लोकसभा चुनाव 2024 के नतीजे के बाद अब देश भर के सियासी रणनीतिकारों की निगाहें उत्तर प्रदेश में 10 विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव पर है. इन 10 सीटों में से नौ सीटें उनके मौजूदा विधायकों के हाल के चुनावों में जीते गए लोकसभा क्षेत्रों को बरकरार रखने के लिए इस्तीफा देने के बाद खाली हो गईं. वहीं, एक सीट सीशामऊ सपा विधायक इरफान सोलंकी की अयोग्यता के बाद खाली घोषित कर दिया गया था.
यूपी की इन 10 विधानसभा सीटों की हालत में महत्वपूर्ण बदलाव
लोकसभा चुनाव नतीजों के बाद यूपी की इन 10 विधानसभा सीटों की हालत में महत्वपूर्ण बदलाव आया है. सत्तारूढ़ भाजपा के नेतृत्व वाला एनडीए और समाजवादी पार्टी (एसपी) के नेतृत्व वाला एक उभरता हुआ विपक्षी इंडी गठबंधन उपचुनाव में एक-दूसरे के सामने है. मुकाबले के लिए दोनों ही अपनी-अपनी चुनावी रणनीतियों पर काम करने के साथ ही अपने विकल्पों पर भी विचार कर रहा है.
लोकसभा चुनाव 2024 और विधानसभा चुनाव 2022 के नतीजे
लोकसभा चुनाव 2024 के नतीजे के मुताबिक, उत्तर प्रदेश की 80 लोकसभा सीटों में से भाजपा ने 33 सीटें जीतीं, जबकि उसके सहयोगी रालोद और अपना दल (सोनीलाल) ने क्रमशः दो और एक सीट हासिल की. वहीं, अखिलेश यादव के नेतृत्व वाली सपा ने 37 सीटें हासिल कीं और उसकी सहयोगी कांग्रेस ने छह सीटें जीतीं. उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 के नतीजे के मुताबिक, कुल 493 सीटों में से भाजपा ने 255 सीटें जीती थीं, जबकि सपा ने 111 और कांग्रेस ने दो सीटें जीती थीं.
2022 में इन 10 में 5 सीटों पर जीती थी सपा, बाकी पर एनडीए
आगामी उपचुनावों के लिए तैयार 10 विधानसभा सीटों में से सपा ने 2022 के चुनावों में पांच सीटें जीती थीं, भाजपा ने तीन और उसके एनडीए सहयोगियों निषाद पार्टी और आरएलडी (2022 में सपा के साथर) ने एक-एक सीट जीती थी. जहां भाजपा के सहयोगी दल उपचुनाव में अपनी-अपनी सीटों पर चुनाव लड़ना चाह रहे हैं, वहीं हाल के चुनाव परिणामों ने कांग्रेस को भी सपा के साथ गठबंधन के हिस्से के रूप में कुछ सीटों पर चुनाव लड़ने की उम्मीद जताई है. आइए, यहां इन 10 विधानसभा सीटों पर मौजूदा सियासी समीकरणों के बारे में जानने की कोशिश करते हैं.
करहल
मैनपुरी जिले की करहल सीट 2022 के चुनाव में अखिलेश यादव ने जीती थी. उन्होंने भाजपा उम्मीदवार एसपी सिंह बघेल को हराया था. बघेल अब आगरा संसदीय क्षेत्र से भाजपा के टिकट पर चुने गए हैं. करहल सपा का गढ़ रहा है. 1990 के दशक की शुरुआत से ही यहां से सपा जीतती आ रही है. सपा को इस सीट से जीत को बरकरार रखने का भरोसा है. सूत्रों ने बताया कि उपचुनाव में अखिलेश यादव परिवार के ही किसी सदस्य को मैदान में उतारने की संभावना है. भाजपा भी क्षेत्र में अपनी उपस्थिति दर्ज कराने के लिए सपा को कड़ी टक्कर देने की तैयारी में है.
मिल्कीपुर
अयोध्या जिले की मिल्कीपुर विधानसभा सीट भी खाली हो गई है. यहां के सपा विधायक अवधेश प्रसाद ने 2022 में भाजपा के उम्मीदवार बाबा गोरखनाथ को हराया था. प्रसाद 2024 लोकसभा चुनाव में फैजाबाद (अयोध्या) के सांसद चुने गए हैं. भाजपा के मौजूदा अयोध्या सांसद लल्लू सिंह को अवधेश प्रसाद ने 54,567 वोटों से हरा दिया था. भाजपा उम्मीद कर रही थी कि राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा और अयोध्या और उसके आसपास बुनियादी ढांचे को आगे बढ़ाने से उसे भारी अंतर से जीत के साथ सीट बरकरार रखने में मदद मिलेगी. हालांकि, इस नतीजे में भाजपा को बड़ा झटका लगा.
इस तरह मिल्कीपुर उपचुनाव भाजपा और सपा के बीच प्रतिष्ठा की लड़ाई बन गया है. सपा अब पासी (दलित) समुदाय से आने वाले अवधेश को बढ़ावा देने के लिए हर संभव कोशिश कर रही है. सपा को मिल्कीपुर सीट वापस जीतने का पूरा भरोसा है. अयोध्या लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाली विधानसभा सीटों में से एक मिल्कीपुर में अपना प्रभुत्व फिर से स्थापित करने और सीट हासिल करने की अपनी योजना पर भाजपा ने भी काम करना शुरू कर दिया है.
खैर
अलीगढ़ जिले की खैर विधानसभा सीट दो बार के मौजूदा भाजपा विधायक और राज्य के राजस्व मंत्री अनूप प्रधान वाल्मिकी के हाथरस (एससी-आरक्षित) लोकसभा क्षेत्र से निर्वाचित होने के कारण खाली हो गई है. इस सीट पर पहले भी भाजपा के अलावा आरएलडी और बीएसपी की मजबूत मौजूदगी रही है. अलीगढ़ में मौजूदा भाजपा सांसद सतीश कुमार गौतम सीट बचाने में कामयाब रहे, लेकिन सपा उम्मीदवार बृजेंद्र सिंह ने उन्हें कड़ी टक्कर दी. दिलचस्प बात यह है कि तीन बार के सांसद गौतम को पिछले चुनावों में निर्वाचन क्षेत्र में बसपा उम्मीदवारों से चुनौती का सामना करना पड़ता था, लेकिन इस बार सपा उम्मीदवार ने उन्हें डरा दिया. हालांकि वह 15,647 वोटों से जीतने में सफल रहे.
मीरापुर
मुजफ्फरनगर जिले की मीरापुर विधानसभा सीट बिजनौर लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आती है. 2022 में सपा के साथ गठबंधन में रहे रालोद के चंदन चौहान ने भाजपा के प्रशांत चौधरी के साथ करीबी मुकाबले में ये सीट जीती थी. 2017 और 2012 के विधानसभा चुनावों में यह सीट क्रमशः भाजपा और बसपा उम्मीदवारों ने जीती थी. 2017 में इस सीट पर सपा दूसरे स्थान पर थी, जबकि 2012 में चौथे स्थान पर थी.
2024 के लोकसभा चुनाव में आरएलडी विधायक चौहान ने सपा के दीपक सैनी को करीब 37 हजार वोटों से हराकर बिजनौर लोकसभा सीट से जीत हासिल की है. मीरापुर पर कांग्रेस की नजर भी है. वहीं, अपने हालिया प्रदर्शन को देखते हुए सपा भी इस सीट पर दावा कर रही है.
कुंदरकी
कुंदरकी मुरादाबाद जिले में स्थित है. इसके निवर्तमान सपा विधायक जिया-उर-रहमान अब संभल लोकसभा क्षेत्र से सांसद चुने गए हैं. कुंदरकी संभल लोकसभा क्षेत्र के साथ-साथ मुरादाबाद जिले की एक और विधानसभा सीट बिलारी के अंतर्गत आती है. संभल की तरह कुंदरकी विधानसभा सीट भी सपा का गढ़ रही है. पूर्व सपा दिग्गज और संभल सांसद शफीकुर रहमान बर्क के निधन के बाद सपा ने हाल के चुनावों में उनके बेटे जिया-उर रहमान को निर्वाचन क्षेत्र से मैदान में उतारा. उन्होंने भाजपा उम्मीदवार पीएल सैनी को हराया. इसकी ताजा जीत ने कुंदरकी सीट पर सपा कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ा दिया है. यहां अल्पसंख्यकों की आबादी ज्यादा है.
गाजियाबाद सदर
गाजियाबाद जिले की गाजियाबाद सदर सीट खाली हो गई है. क्योंकि भाजपा के मौजूदा विधायक अतुल गर्ग अब गाजियाबाद लोकसभा क्षेत्र से निर्वाचित हो गए हैं. 2022 में अतुल गर्ग ने सपा के विशाल वर्मा को हराकर जीत हासिल की थी. वहीं पिछले चुनावों में कांग्रेस और बसपा भी इस सीट से प्रमुख दावेदार थे. अतुल ने गाजियाबाद लोकसभा सीट पर कांग्रेस की डॉली शर्मा को हराकर जीत हासिल की है.
यह निर्वाचन क्षेत्र भाजपा का गढ़ रहा है. क्योंकि पूर्व में यहां से राजनाथ सिंह और वी के सिंह ने जीत हासिल की थी. जहां भाजपा गाजियाबाद सदर को बरकरार रखने की कोशिशें तेज कर रही है, वहीं कांग्रेस यहां अपने समर्थन और जनाधार की ओर इशारा करते हुए अपने उम्मीदवार के लिए सपा से यह सीट पाने की उम्मीद कर रही है.
फूलपुर
प्रयागराज जिले की फूलपुर सीट से मौजूदा भाजपा विधायक प्रवीण पटेल अब फूलपुर लोकसभा क्षेत्र से पार्टी के टिकट पर चुने गए हैं. इन सीटों पर सपा ने भाजपा से मजबूती से मुकाबला किया है. लोकसभा चुनाव में सपा प्रत्याशी अमरनाथ मौर्य प्रवीण से महज करीब 4 हजार वोटों से हार गये थे. इससे उपचुनाव में विधानसभा सीट जीतने के अपने लक्ष्य में सपा का आत्मविश्वास बढ़ा है. सूत्रों ने कहा कि भाजपा ने यहां अपने "सर्वोत्तम संभावित उम्मीदवार" की पहचान करने की प्रक्रिया भी शुरू कर दी है.
मंझवा
मिर्जापुर जिले की मंझवा सीट यहां के मौजूदा विधायक निषाद पार्टी के विनोद कुमार बिंद के भाजपा के टिकट पर भदोही लोकसभा क्षेत्र से जीत जाने के बाद इस्तीफे से खाली हो गई है. 2017 में भाजपा ने मंझवा सीट बसपा से छीन ली थी. जहां निषाद पार्टी अपने वरिष्ठ साथी भाजपा से यह सीट दोबारा पाने की उम्मीद कर रही है, वहीं इस सीट पर सपा की मजबूत उपस्थिति है. सपा भी कांग्रेस के साथ गठबंधन करके बढ़त हासिल करने की उम्मीद कर रही है. लोकसभा चुनाव 2024 में सपा बिंद जैसी अति पिछड़ी जातियों के एक बड़े वर्ग का समर्थन पाने में सफल रही थी. इस सीट पर बिंद वोटों की अच्छी खासी संख्या है.
कटेहरी
अंबेडकर नगर जिले की कटेहरी विधानसभा सीट से मौजूदा सपा विधायक लालजी वर्मा अंबेडकर नगर लोकसभा सीट से निर्वाचित हुए हैं. उन्होंने मौजूदा बसपा सांसद रितेश पांडे को हराया है. पांडे लोकसभा चुनाव से पहले टिकट के लिए भाजपा में चले गए थे. यह सीट 1990 के दशक से ही बसपा या सपा के पास रही है. जबकि इस क्षेत्र में बसपा की मजबूत उपस्थिति है, लेकिन रितेश पांडे के दलबदल के कारण लोकसभा चुनाव में बसपा का उम्मीदवार तीसरे स्थान पर चला गया. इससे अब उपचुनाव में सपा को बढ़त मिल गई है. सपा एक बार फिर कांग्रेस के समर्थन से एससी वोटों के एक महत्वपूर्ण वर्ग के वोटों को आकर्षित करने की उम्मीद कर रही है. क्योंकि लोकसभा चुनाव के नतीजे में यह पैटर्न भी देखा गया था.
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सीसामऊ
कानपुर जिले की सीसामऊ सीट अपने सपा विधायक इरफान सोलंकी को आगजनी के एक मामले में सात साल की कैद की सजा सुनाए जाने के बाद अयोग्य ठहराए जाने के बाद खाली हुई थी. कांग्रेस के साथ करीबी मुकाबले में भाजपा ने कानपुर लोकसभा सीट जीत ली है. इससे कांग्रेस को सीसामऊ सीट पर अपना दावा करने की उम्मीद जगी है. सोलंकी तीन बार सपा विधायक रहे हैं, लेकिन उनसे पहले दो बार कांग्रेस ने यह सीट जीती थी. भाजपा इस क्षेत्र में मजबूत पकड़ है. इस सीट पर अपनी ओर से भाजपा भी विधानसभा उपचुनाव जीतने की कोशिश कर रही है.
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