सुषमा स्वराज के नाम हरियाणा कैबिनेट में सबसे कम उम्र में कैबिनेट मंत्री बनने का रिकॉर्ड भी दर्ज है.
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बीजेपी के दिग्गज नेताओं में शुमार सुषमा स्वराज ने खराब स्वास्थ्य का हवाला देते हुए अगला लोकसभा चुनाव नहीं लड़ने की घोषणा की है. वह इंदिरा गांधी के बाद विदेश मंत्री का कार्यभार संभालने वाली दूसरी महिला हैं. सात बार लोकसभा सांसद बनने वालीं सुषमा स्वराज के नाम हरियाणा कैबिनेट में सबसे कम उम्र में कैबिनेट मंत्री बनने का रिकॉर्ड भी दर्ज है. वह 1977 में 25 साल की उम्र में हरियाणा कैबिनेट में मंत्री बनीं थीं.
1. सुषमा स्वराज सात बार लोकसभा सांसद और तीन बार विधानसभा की सदस्य रहीं. मध्य प्रदेश की विदिशा से दूसरी बार सांसद हैं. 2014 में वह चार लाख से भी अधिक वोटों से चुनाव जीती थीं.
2. 1952 में हरियाणा के अंबाला कैंट में जन्मीं सुषमा स्वराज के पिता हरदेव शर्मा संघ के प्रमुख सदस्यों में थे. उनके माता-पिता मूल रूप से लाहौर के धर्मपुर से ताल्लुक रखते थे. कॉलेज के दिनों में लगातार तीन साल तक सर्वश्रेष्ठ हिंदी स्पीकर का अवार्ड जीतकर अपनी प्रखर भाषण शैली का परिचय शुरुआत में ही दिया. 1973 में लॉ की डिग्री के बाद सुप्रीम कोर्ट में वकालत शुरू की.
2019 का लोकसभा चुनाव नहीं लड़ेंगी सुषमा स्वराज, खराब सेहत का दिया हवाला
3. सुषमा स्वराज ने 1970 के दशक में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) से जुड़कर राजनीतिक करियर की शुरुआत की. उस दौर में पति स्वराज कौशल प्रसिद्ध समाजवादी नेता जॉर्ज फर्नांडीज के करीबी थे. सुषमा भी 1975 में फर्नांडीज की लीगल टीम का हिस्सा बनीं. जयप्रकाश के संपूर्ण क्रांति आंदोलन में सक्रिय हिस्सेदारी की. इमरजेंसी के बाद बीजेपी की सदस्य बनीं.
4. 1977 में पहली बार अंबाला कैंट से विधानसभा सदस्य बनीं. 1990 में राज्यसभा सदस्य बनीं और 1996 में दक्षिण दिल्ली से 11वीं लोकसभा में पहुंची. चुनाव के बाद अटल जी की 13 दिनों की सरकार में सूचना-प्रसारण मंत्री बनीं. 1998 के चुनावों में बीजेपी के फिर सत्ता में आने के बाद कैबिनेट मंत्री बनीं. अक्टूबर, 1998 में केंद्रीय कैबिनेट से इस्तीफा देने के बाद दिल्ली की पहली मुख्यमंत्री बनीं. हालांकि उसी साल हुए विधानसभा चुनावों में बीजेपी हार गई.
5. 1999 के आम चुनाव में कर्नाटक के बेल्लारी से कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को चुनौती दी. वहां पर अपनी पहली चुनावी सभा में स्थानीय कन्नड़ भाषा में बोलकर लोगों का चकित कर दिया. हालांकि वह 7 प्रतिशत वोटों के अंतर से चुनाव हार गईं. उसके बाद से केंद्र की राजनीति में बीजेपी के दिग्गज नेताओं में उनको शुमार किया जाता है. 2014 के लोकसभा चुनाव में जब बीजेपी बहुमत के साथ सत्ता में आई तो विदेश मंत्री बनीं.