डीआरडीओ प्रमुख जी सतीश रेड्डी ने कहा कि ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल है. परीक्षण मुख्य रूप से मिसाइल में स्वदेशी सामग्री को बढ़ाने के लिए किया गया है.
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बेंगलुरु: भारत ने हाल ही में ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल (Brahmos Supersonic cruise missile) का सफल प्रायोगिक परीक्षण किया था, जिसकी मारक क्षमता 400 किलोमीटर से ज्यादा है. रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने इस मिसाइल का प्रक्षेपण बालासोर के चांदीपुर स्थित एकीकृत परीक्षण केंद्र (आईटीआर) से किया था. अब डीआरडीओ प्रमुख जी सतीश रेड्डी ने ब्रह्मोस के अलावा अन्य मिसाइलों के परीक्षण पर जानकारी दी.
डीआरडीओ प्रमुख जी सतीश रेड्डी ने कहा, "ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल है. परीक्षण मुख्य रूप से मिसाइल में स्वदेशी सामग्री को बढ़ाने के लिए किया गया है. ब्रह्मोस मिसाइल प्रणाली में शामिल कई स्वदेशी प्रणालियों का विस्तारित रेंज के साथ परीक्षण किया गया है." उन्होंने आगे कहा, "यह एक सफल मिशन था. अब सम्मिलित की गई अधिकांश स्वदेशी प्रणालियों ने पूर्ण संतुष्टि के साथ काम करना शुरू कर दिया है और स्वदेशी सामग्री अब ब्रह्मोस में बढ़ गई है."
डीआरडीओ चीफ ने कहा, 'हम देश के भीतर सेना की जरूरत के हिसाब से किसी भी तरह की मिसाइल बना सकते हैं.'
5 अक्टूबर को टॉरपीडो (SMART) के सुपरसोनिक मिसाइल असिस्टेड रिलीज की सफल परीक्षण पर DRDO प्रमुख ने कहा, "यह प्रणाली की पूरी तरह से सिद्ध होने और सशस्त्र बलों में शामिल होने के बाद नौसेना की क्षमता को बढ़ाएगी."
7 सितंबर को हाईपरसोनिक टेक्नोलॉजी डिमॉन्स्ट्रेशन व्हीकल के उड़ान परीक्षण पर उन्होंने कहा, "यह पहली बार है जब डीआरडीओ ने अच्छी मात्रा में इस तरह का प्रयोग किया है और इसने सफलतापूर्वक काम किया है. इसने हमारे लिए इन तकनीकों पर लंबे समय तक काम करने का एक मार्ग प्रशस्त किया." उन्होंने कहा, "इन सभी चीजों पर काम करने और एक संपूर्ण मिसाइल प्रणाली तैयार करने में हमें लगभग 4-5 साल लगेंगे."
9 अक्टूबर को रुद्रम एंटी-रेडिएशन मिसाइल के सफल परीक्षण पर उन्होंने कहा, "यह एक विमान से प्रक्षेपित होने वाला विकिरण-रोधी मिसाइल (Anti-Radiation Missile) है. यह किसी भी उत्सर्जक तत्व का पता लगाने में सक्षम होगा। आप उस उत्सर्जक तत्वों को लॉक कर सकेंगे और उन पर हमला कर सकेंगे." उन्होंने कहा, "हमें विभिन्न परिस्थितियों में पूर्ण प्रणाली प्रौद्योगिकियों को साबित करने के लिए कुछ और परीक्षण करने की आवश्यकता है. एक बार हो जाने के बाद यह वायु सेना में जाएगा और दुश्मनों के उत्सर्जक तत्वों पर हमला करने में वायु सेना को मजबूत करेगा."
DRDO प्रमुख ने 12 अक्टूबर को निर्भय सब-सोनिक क्रूज मिसाइल के उड़ान परीक्षण पर कहा, "निर्भय का पहले भी परीक्षण किया जा चुका है और उसने अपने सभी परीक्षणों को सफलतापूर्वक पूरा किया है. हम केवल इसमें स्वदेशी सामग्री बढ़ाना चाहते थे. उसके बाद इसमें कुछ खामियां आ गई, हम इसे देख रहे हैं."
(इनपुट: ANI से)