संसद ने बजट सत्र 2016 के पहले चरण को किया संपन्न
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संसद ने बजट सत्र 2016 के पहले चरण को किया संपन्न

संसद ने बुधवार रात बजट सत्र के पहले चरण के महत्वपूर्ण वित्तीय कामकाज को पूरा कर लिया। राज्यसभा द्वारा बजट संबंधी विधेयकों को लोकसभा को लौटाए जाने के बाद वित्त राज्य मंत्री जयंत सिन्हा ने बजट को भारत के उत्थान वाला बजट बताया।

संसद ने बजट सत्र 2016 के पहले चरण को किया संपन्न

नई दिल्ली : संसद ने बुधवार रात बजट सत्र के पहले चरण के महत्वपूर्ण वित्तीय कामकाज को पूरा कर लिया। राज्यसभा द्वारा बजट संबंधी विधेयकों को लोकसभा को लौटाए जाने के बाद वित्त राज्य मंत्री जयंत सिन्हा ने बजट को भारत के उत्थान वाला बजट बताया।

उच्च सदन में बजट पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए सिन्हा ने महंगाई के संबंध में विपक्ष के आरोपों को काटते हुए कहा कि महंगाई पर काबू पाने में सरकार ने ‘अच्छा काम’ किया है तथा दालों को छोड़कर अधिकतर उपभोक्ता वस्तुओं की कीमतें या तो कम हो गयी हैं या स्थिर बनी हुई हैं।

सिन्हा के जवाब के बाद उच्च सदन ने वर्ष 2016-17 के बजट से जुड़ी लेखानुदानों की मांगों एवं संबंधित विनियोग विधेयकों तथा वर्ष 2015-16 के लिए अनुदान की अनुपूरक मांगों पर विचार कर उन्हें ध्वनिमत से लोकसभा को लौटा दिया। लोकसभा इन्हें ही पारित कर चुकी है। इसके साथ ही आम बजट को संसद में पारित करने का पहला चरण पूरा हो गया।

सिन्हा ने जोर देकर कहा कि सरकार की नीतियां गरीबों को समर्पित होने के साथ ही कतार में अंत में खड़े व्यक्ति के उत्थान के लिए हैं। उन्होंने कहा, ‘ये देश की उड़ान का बजट है।’ उन्होंने कहा कि बजट प्रस्ताव गरीबों और कृषि क्षेत्र पर केंद्रित थे।

इससे पहले उच्च सदन में बजट पर हुई चर्चा में विपक्ष ने बजट की तीखी आलोचना करते हुए दावा किया कि इसमें ‘सबका साथ सबका विकास’ नजर नहीं आता और सबसे ज्यादा नौकरियांे वाले क्षेत्रों के निजीकरण पर जोर दिया गया है। वहीं सत्तापक्ष ने बजट की सराहना करते हुए कहा कि इसमें कृषि और ग्रामीण विकास पर खास जोर दिया गया है।

बजट पर चर्चा में भाग लेते हुए बसपा सदस्य सतीश चंद्र मिश्र ने कहा कि बजट में ‘सबका साथ सबका विकास’ कहीं नजर नहीं आता और इसमें ‘गरीबों की बात, दलितों की बात है लेकिन कॉरपोरेट का साथ’ पर जोर दिया गया है। उन्होंने कहा कि एक तरफ सरकार रोजगार पैदा करने की बात करती है, लेकिन जहां सबसे ज्यादा नौकरियां हैं, उन क्षेत्रों का निजीकरण किया जा रहा है।

तेदेपा के सीएम रमेश ने बजट की सराहना की और जोर दिया कि किसानों के लिए बनाई गई योजनाओं को कार्यान्वित करना चाहिए। उन्होंने कहा कि फसल बीमा योजना प्रशंसनीय है। बजट में ग्रामीण विकास के लिए 88 हजार करोड़ रूपये का प्रावधान किया गया है जो सराहनीय है। बजट में ग्रामीण विकास पर खास जोर दिया गया है। तृणमूल कांग्रेस के सुखेंदु शेखर राय ने दावा किया कि यह आम जनता का नहीं बल्कि अमीरों का बजट है। इसमें आम लोगों के लिए कुछ नहीं किया गया।

भाकपा के डी राजा ने बजट की आलोचना करते हुए कहा कि अर्थव्यवस्था के सामने सबसे बड़ा संकट अमीर-गरीब के बीच बढ़ती खाई है। बजट में बुनियादी, सामाजिक क्षेत्र के लिए पर्याप्त नहीं किया गया है। छोटे कर्ज लेने वालों को परेशान किया जा रहा है और बड़ा कर्ज लेने वालों को छूट दी जा रही है।

राकांपा के ईश्वरलाल शंकरलाल जैन ने कहा कि बजट में वित्तमंत्री ने कुछ लोगों के आंसू पोंछने का काम किया है, जबकि कुछ लोगों के आंसू निकालने का काम किया है। एलपीजी सिलेंडर के लिए 2,000 करोड़ रूपये का प्रावधान सराहनीय है, लेकिन छोटे व्यापारियों के आंसू निकालने का काम किया गया है । सरकार को स्वर्णकारों के भी आंसू पोंछने चाहिए जो 16 दिन से हड़ताल पर हैं।

माकपा के केएन बालगोपाल ने कहा कि बजट में किसी भी तरह की भावी योजना नहीं है। सरकार को सार्वजनिक क्षेत्रों पर अधिक ध्यान देना चाहिए। बीजद के भूपिंदर सिंह ने कहा कि मोदी बताएं कि काला धन कब आएगा । वह यह भी बताएं कि किसानों की आज की दशा को देखते हुए उनकी आय दोगुना कैसे होगी।

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