कैग ने अपने रिपोर्ट में बीएमसी की बाढ़ आपदा प्रबंधन प्रणाली की त्रुटि को उजागर किया है.
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मुंबई: मुबंई में मुसलधार बारिश से होने वाले जलभराव से हरसाल जनजीवन प्रभावीत होता है और मुंबई के ड्रेनेज सिस्टम पर सवाल खड़े किए जाते हैं. जलभराव को लेकर बीएमसी को कोसा जाता है. मुंबई के नाले सफाई की जिम्मेदारी बीएमसी प्रशासन पर है. पहले राजनैतिक पार्टीयोंके साथ जनता भी बीएमसी पर मानसून की तैयारी को लेकर नाराजगी जताती रही है लेकिन अब राज्य के कैग ने मुंबई के जलभराव को लेकर बीएमसी पर सवाल उठाए हैं.
महाराष्ट्र के कैग ने 2018 साल के बीएमसीने किए नाले सफाई और ड्रेनज सिस्टम को लेकर रिपोर्ट बनाई है. मंगलवार को रिपोर्ट महाराष्ट्र की विधानसभा में पेश की गई. इस रिपोर्ट में बीएमसी की प्रशासनिक विफलता को कारन बताया गया है. मुंबई में हर साल मानसून में होने वाले जलभराव के लिए बीएमसी कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए गए हैं. कैग ने अपने रिपोर्ट में बीएमसी की बाढ़ आपदा प्रबंधन प्रणाली की त्रुटि को उजागर किया है.
कैग के रिपोर्ट में क्या प्रमुख मुद्दे हैं:
मुंबई में नालीयोंका निर्माण सपाट किया गया है जीसेसे हाइटाइड और लोटाइड के व्यक्त असर पड़ता है. नालियां कचरे और कीचड़ से भरी हुई हैं. जलनिकासी करने वाली नलिका समुद्र स्तर से नीचे है.
मुंबई की 45 जलनिकासी करने वाली नालियों पर सिर्फ तीन जगह पर बाढ़ का पानी बाहर फेकने के लिए दरवाजे हैं इसलिए तीन जगह पर ही हाईटाइड पर नियंत्रण रखा जा सकता है. मुंबई की नालियों की क्षमता प्रतिघंटा 25 मिली मीटर बारिश की है. बडे नालियों में केबल्स और पाइप लाइन की बाधाएं हैं.
नाले की अनुचित संरचना
नालियों की मरम्मत पर ध्यान नही दिया गया. छोटी नालियां सही जगह पर नहीं है. बीएमसी प्रशासन भूस्खलन की घटनाएं होने पर भी कोई ठोस समाधान नहीं है. अगर कैग की 2018 की इस रिपोर्ट को देखें तो बीएमसी कई खामियां बताई गई हैं. मुंबई के भूस्खलन की बात करें तो मुंबई में 2015 से 2017 तक 33 भूस्खलन की घटना हुई है जिसमें 12 लोग घायल हुए हैं. इस भूस्खलन के लिए भी कैग ने बीएमसी को जिम्मेदार ठहराया है. जियोग्राफिकल सर्वे ऑफ इंडिया ने भूस्खलन पर लेकर कुछ सुझाव दिए थे लेकिन बीएमसी ने इस सुझावों को पूरी तरह से नजरअंदाज कर दिया. ऐसा कैग के रिपोर्ट में कहा गया है.