पंजाब विधान सभा चुनाव (Punjab Legislative Assembly Election) को लेकर पंजाबियों के बीज उत्सुकता देखने को मिल रही है. आइए जानते हैं कि पंजाब के मुद्दों (Issues), पार्टियों (Parties), गठबंधन (Alliance) और चुनाव (Election) को लेकर पंजाब की जनता (Public) क्या सोचती है...
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नई दिल्ली: आईएएनएस-सीवोटर पंजाब ट्रैकर कैप्टन अमरिंदर सिंह (Captain Amarinder Singh) के भाजपा (BJP) के नए सहयोगी के रूप में प्रवेश के साथ कुछ दिलचस्प नए रुझानों का खुलासा कर रहा है. इसके मुताबिक यह मुकाबला पहले से ही बहुकोणीय है. ट्रैकर के एक स्नैप पोल ने पंजाब (Punjab) की सभी 117 सीटों पर उत्तरदाताओं (Respondents) से पूछा कि क्या उन्हें लगता है कि पीएलसी-भाजपा-शिअद (PLC-BJP-SAD) गठबंधन के उम्मीदवार अपने ही क्षेत्र में 'कड़े मुकाबले' में हैं. नतीजे बताते हैं कि पंजाब में हर तीसरा मतदाता (Voter) मानता है कि कैप्टन अपने नए गठबंधन सहयोगियों के साथ अभी भी कड़े मुकाबले में हैं.
बता दें कि दोआबा (Doaba) और माझा (Majha) के हिंदू बहुल इलाकों में यह भावना ज्यादा उजागर होती है और मालवा (Malwa) में कम. चुनावी मुकाबलों में अगर वोट भौगोलिक क्षेत्र में केंद्रित हैं तो कम वोट शेयर वाली पार्टी काफी सीटें (Seats) जीत सकती है. जैसे 2019 के लोक सभा चुनाव में लोक जनशक्ति पार्टी (Lok Janshakti Party) को बिहार में मुश्किल से 8% वोट मिले और वह 6 लोक सभा सीटें जीतने में सफल रही. जबकि इसके विपरीत राजद (RJD) को वोट शेयर ज्यादा मिले लेकिन एक भी सीट जीतने में असफल रही. इसी तरह के रुझान कर्नाटक में जेडीएस (JDS), जम्मू-कश्मीर में एनसी (ANC) या झारखंड में झामुमो (JMM) के मामले में देखे गए हैं.
बहुत कम विश्लेषकों (Analysts) को उम्मीद थी कि भाजपा (BJP) कैप्टन अमरिंदर सिंह की नई पार्टी (PLC) और अकाली दल (एस) के एक टूटे हुए धड़े के बीच गठबंधन अपने दम पर सत्ता के लिए एक कड़ा दावेदार होगा. पंजाब के मतदाताओं (Voters) को लगता है कि यह पटियाला (Patiala), पठानकोट (Pathankot), गुरदासपुर (Gurdaspur) और जालंधर (Jalandhar) जैसे चुनिंदा इलाकों में आश्चर्य पैदा कर सकता है. इसमें विभिन्न राजनीतिक दलों (Political Parties) की सभी गणनाओं (Calculations) को बिगाड़ने की क्षमता है.
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पंजाब ट्रैकर ने खुलासा किया कि लगभग दो तिहाई भाजपा समर्थक (BJP Supporters) अब मानते हैं कि उनके गठबंधन (Alliance) के उम्मीदवार दौड़ में शीर्ष और अग्रणी (Leading) स्थानों में से एक के लिए गंभीर विवाद में हैं. कुछ महीने पहले भाजपा के 10 प्रमुख समर्थकों में से मुश्किल से ही एक को विश्वास था कि वे इस मुकाबले में हैं. 10 में से 4 कांग्रेस समर्थक (Congress Supporters) भी भाजपा समर्थकों द्वारा किए गए दावे का समर्थन करते हैं और 13% अन्य अनिर्णीत (Undecided) हैं. फिर से अनिर्णीत मतदाताओं के एक समान विभाजन को मानते हुए कांग्रेस के लगभग आधे मतदाता भाजपा-पीएलसी द्वारा संभावित नुकसान को गंभीरता से ले रहे हैं.
अकाली दल (बादल) के मतदाता भी भाजपा-पीएलसी गठबंधन (BJP-PLC Alliance) को हल्के में नहीं ले रहे हैं. लगभग आधे अकाली मतदाताओं (Voters) को लगता है कि स्थानीय भाजपा-पीएलसी उम्मीदवार (Candidates) शीर्ष तीन पदों पर हार जाएंगे और अकाली दल के 23% और मतदाता अनिर्णीत हैं. संभावित अकाली मतदाताओं का बहुमत भाजपा-पीएलसी को अपनी-अपनी सीटों (Seats) पर एक गंभीर दावेदार के रूप में स्थान दे रहा है. केवल आप (AAP) समर्थक (30%) ही भाजपा-पीएलसी उम्मीदवारों को खारिज कर रहे हैं. लगभग 60% आप समर्थकों (AAP supporters) को लगता है कि बीजेपी-पीएलसी वास्तव में अपनी-अपनी सीटों पर चुनाव में नहीं है.
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आप (AAP) मालवा के जाट सिख बेल्ट (Jat Sikh Belt) में ज्यादा सक्रिय है जबकि अकाली दल (Akali Dal) और कांग्रेस अखिल पंजाब पार्टियां हैं. वर्तमान में आप मालवा पर हावी है जहां पटियाला और कुछ अन्य भाजपा-पीएलसी (BJP-PLC) की उपस्थिति कम है. इस प्रकार आप के मतदाता पीएलसी-बीजेपी को कहीं भी हिसाब में नहीं देखते हैं. साथ ही यह डेटा (Data) बढ़ते सांप्रदायिक विभाजन (Communal Division) को दर्शाता है जिसे किसान विरोध के दौरान कुछ तत्वों द्वारा बढ़ावा दिया गया था.
पंजाबी शहरों में मुख्य रूप से शहरी और केंद्रित हिंदू वोट कैचमेंट शायद ग्रामीण भावना के साथ तालमेल में नहीं हैं. हम लंबे समय के बाद पंजाब में विभाजित वोट (Split Vote) और विभाजित राजनीति की प्रवृत्ति देख सकते हैं. पिछली बार यह प्रवृत्ति (Trend) 1980 के अशांत दौर के दौरान देखी गई थी जो हमें मूक मतदान (Silent Voting) के प्रश्न पर लाती है. पंजाब एक संघर्ष के बाद का समाज है जो लगभग एक दशक की क्रूर हिंसा (Brutal Violence) का परिणाम है. कुछ विवादास्पद मुद्दों पर अलग-अलग समुदायों (Communities) के अलग-अलग विचार हैं. समय के साथ विभाजन कम हो गए हैं. हालांकि कैप्टन अमरिंदर सिंह के कांग्रेस से जाने और अकाली दल (बादल) के लिए कर्षण के नुकसान के साथ अब अनिश्चितता की भावना है.
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जाति (Caste) के लिहाज से कैप्टन और बीजेपी गठबंधन के समर्थन में ओबीसी हिंदुओं (55%) में सबसे ज्यादा तेजी है. बता दें कि हिंदुओं में सबसे ज्यादा ब्राह्मण (45%) और बनिया (40%) वोटर हैं. हिंदू समुदाय (Hindu Community) की विभिन्न उप-जातियों (46%) के दलित मतदाता भी गठबंधन के समर्थक हैं लेकिन सिख समुदाय से एक ही समूह काफी हद तक दलित सीएम (Dalit CM) की प्रसिद्धि के कारण कांग्रेस समर्थक है. लब्बोलुआब यह है कि पंजाब में 37% मतदाताओं द्वारा बीजेपी-पीएलसी को गंभीर रूप से प्रतिस्पर्धी माना जाता है. यह राज्य में हिंदू वोटों के अनुपात और विभिन्न जगहों में उसी की एकाग्रता से संबंधित है. अल्पसंख्यक समुदायों (हिंदुओं) के मतदाताओं की मूक प्रकृति के कारण विभिन्न सर्वेक्षणों में भाजपा-पीएलसी गठबंधन के लिए वास्तविक समर्थन के स्तर को कम करके आंका जा सकता है.
(इनपुट - आईएएनएस)
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