धार्मिक जगहों पर महिलाओं से भेदभाव का मामला: पुनर्विचार याचिकाओं पर SC आज से करेगा रोजाना सुनवाई
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धार्मिक जगहों पर महिलाओं से भेदभाव का मामला: पुनर्विचार याचिकाओं पर SC आज से करेगा रोजाना सुनवाई

सबरीमाला सहित धार्मिक परंपरा और महिला अधिकार मामले में दायर पुनर्विचार याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट सोमवार से रोजाना सुनवाई करेगा.

फाइल फोटो

नई दिल्ली: सबरीमाला सहित धार्मिक परंपरा और महिला अधिकार मामले में दायर पुनर्विचार याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट सोमवार से रोजाना सुनवाई करेगा. पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने 9 जजों के विचार के लिए सात कानूनी प्रश्न तय किए थे. जिनमें कोर्ट धार्मिक स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार के दायरे और मायने परखेगा.

सुप्रीम कोर्ट की 9 जजों की बेंच ने आदेश दिया था कि वह 17 फरवरी से इस मामले की रोज सुनवाई करेगी. सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा था कि पुनर्विचार याचिका सुनते समय कोई बेंच मामले को बड़ी बेंच को भेज सकती है. 

कुछ वकीलों ने सबरीमाला पुनर्विचार के दौरान दूसरे धर्म से जुड़े संवैधानिक सवाल को बड़ी बेंच को भेजने पर एतराज जताया था. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने ये आदेश दिया था. कोर्ट इस पर भी विचार करेगा कि क्या किसी एक धर्म का शख्स दूसरे धर्म से जुड़े मसलों पर सवाल उठा सकता है.

इससे पहले केंद्र सरकार की तरफ से SG तुषार मेहता ने कहा था कि सभी पक्षों में सवालों को लेकर सहमति नहीं बन पाई है. पीठ को सवाल खुद तय करने चाहिए जिस पर सुनवाई हो. सवाल जरूरी नहीं कि खुली अदालत में तय हो. सवाल को इन चैंबर तय किया जा सकता है.

पक्षकारों की ओर वरिष्ठ वकील फली नरीमन ने पांच जजों के संविधान पीठ द्वारा बड़ी बेंच को भेजे जाने पर सवाल उठाया. उन्होंने कहा था कि क्या इस मामले में पुर्विचार करते समय इस क्षेत्राधिकार का इस्तेमाल किया जा सकता है? 

CJI ने कहा था कि सबरीमला मामले को पांच जजों की बेंच ने 9 जजों की बेंच को रेफर किया था, जिसमें सबरीमला ही नहीं ऐसे दूसरे मुद्दे भी हैं. सुप्रीम कोर्ट के 9 जजों की संविधान पीठ ने कहा था कि हम यहां सबरीमला पुनर्विचार के लिए नहीं हैं बल्कि हम यहां बड़े मुद्दे को तय करने के लिए बैठे हैं. जिसमें सबरीमला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश की मांग जैसी मुस्लिम महिलाएं भी मस्जिद में प्रवेश मांग रही हैं.

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साथ ही दाउदी बोहरा में महिलाओं का खतना और पारसी महिलाओं के दूसरे धर्म में शादी करने पर अग्यारी पर रोक को चुनौती दी गई है. CJI ने कहा था कि एक वर्ग का कहना है कि मुस्लिम महिलाएं मस्जिद में तो प्रवेश कर सकती हैं लेकिन वो पुरुषों के साथ इबादत नहीं कर सकतीं. 

कपिल सिब्बल ने फली नरीमन की बात पर सहमति जताई थी और कहा था कि ये ऐसे मुद्दे हैं, जिसका असर सभी धर्मों और वर्गों पर पड़ेगा. आप जो भी बोलेंगे उसका असर सभी पर पड़ेगा. इसका असर जाति व्यवस्था पर भी पड़ेगा. आप इसे कैसे तय करेंगे?.

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