दीपावली से पहले दीपावली, 21 सितंबर से महालक्ष्मी व्रत शुरू,15 दिन में भरेगी तिजोरी
Advertisement
trendingNow1270606

दीपावली से पहले दीपावली, 21 सितंबर से महालक्ष्मी व्रत शुरू,15 दिन में भरेगी तिजोरी

21 सितंबर से शुरू होने वाले महालक्ष्मी व्रत से आप साल भर की आमदनी का इंतज़ाम कर सकते हैं। दीपावली से पहले दीपावली मनाने का यह अवसर आता है भाद्रपद मास के शुक्लपक्ष की अष्टमी तिथि को। इस दिन से लेकर पूरे 15 दिन तक मां लक्ष्मी की आराधना से उनकी कृपा पाई जा सकती है। महालक्ष्मी व्रत पूरे 15 दिन चलता है। ऐसी मान्यता है कि इस व्रत से ग़रीबी हमेशा हमेशा के लिए चली जाती है। महालक्ष्मी के महाव्रत से आप अपने घर के आंगन में धन की बरसात भी कर सकते हैं। वैसे भी गौरीनंदन गणपति तो अपने भक्तों को दर्शन देने धरती पर पधार चुके हैं। लेकिन माता लक्ष्मी को अपने पुत्र के बिना गोलोक धाम में कुछ भी अच्छा नहीं लग रहा। इसीलिए मां लक्ष्मी जी भी भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि से लेकर पूरे 15 दिनों के लिए धरती पर आने वाली हैं। 21 सितंबर से शुरू होने वाले महालक्ष्मी व्रत की तैयारियां अंतिम चरण में हैं। महाराष्ट्र और आंध्र प्रदेश में तो महालक्ष्मी व्रत रखने का प्रचलन है लेकिन अब उत्तर भारत में भी मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए व्रत किया जाने लगा है।  15 दिन के व्रत का समापन 5 अक्टूबर को होगा।  

फाइल फोटो

दिल्ली: 21 सितंबर से शुरू होने वाले महालक्ष्मी व्रत से आप साल भर की आमदनी का इंतज़ाम कर सकते हैं। दीपावली से पहले दीपावली मनाने का यह अवसर आता है भाद्रपद मास के शुक्लपक्ष की अष्टमी तिथि को। इस दिन से लेकर पूरे 15 दिन तक मां लक्ष्मी की आराधना से उनकी कृपा पाई जा सकती है। महालक्ष्मी व्रत पूरे 15 दिन चलता है। ऐसी मान्यता है कि इस व्रत से ग़रीबी हमेशा हमेशा के लिए चली जाती है। महालक्ष्मी के महाव्रत से आप अपने घर के आंगन में धन की बरसात भी कर सकते हैं। वैसे भी गौरीनंदन गणपति तो अपने भक्तों को दर्शन देने धरती पर पधार चुके हैं। लेकिन माता लक्ष्मी को अपने पुत्र के बिना गोलोक धाम में कुछ भी अच्छा नहीं लग रहा। इसीलिए मां लक्ष्मी जी भी भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि से लेकर पूरे 15 दिनों के लिए धरती पर आने वाली हैं। 21 सितंबर से शुरू होने वाले महालक्ष्मी व्रत की तैयारियां अंतिम चरण में हैं। महाराष्ट्र और आंध्र प्रदेश में तो महालक्ष्मी व्रत रखने का प्रचलन है लेकिन अब उत्तर भारत में भी मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए व्रत किया जाने लगा है।  15 दिन के व्रत का समापन 5 अक्टूबर को होगा।  
16 दिन के लिए महालक्ष्मी का आगमन
16 दिन में पूरी होगी 16 मनोकामना
भाद्रपद शुक्ल अष्टमी को आएंगी लक्ष्मी
आश्विन कृष्ण अष्टमी तक 16 दिन का व्रत

संसार के पालनहार हैं भगवान विष्णु हैं लेकिन जब वह देवशयनी एकादशी से लगातार 4 माह के लिये विश्राम पर चले जाते हैं तो संसार चलाने का भार लक्ष्मी जी पर आ जाता है। इसीलिए भाद्रपद शुक्ल अष्टमी से लेकर आश्विन कृष्ण अष्टमी तक मां लक्ष्मी धरती पर आती हैं। इस दौरान उनसे भक्त जो भी मांगते हैं, वह उसे पूरा करती हैं। महालक्ष्मी व्रत के दिन ही उत्तर भारत में राधा अष्टमी मनाई जाती है। 
16 दिन के व्रत से 16 जन्म की ग़रीबी दूर
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार महालक्ष्मी व्रत का संकल्प अगर 16 वर्षों के लिए किया जाए, तो किसी भी जन्म में दरिद्रता और गरीबी से होने वाला कष्ट नहीं भोगना पड़ता। लेकिन अगर आप चाहें तो 16 दिन में ही इस व्रत का उद्यापन कर सकते हैं। अगर आप 16 दिन भी व्रत न रख पायें तो सिर्फ 3 दिन के व्रत से भी दारिद्रता और पैसे रुपये की तंगी से छुटकारा पाया जा सकता है। 
महालक्ष्मी व्रत का फलाहार
16 दिन के महालक्ष्मी व्रत में अन्न ग्रहण नहीं किया जाता है। इसमें केवल फल,दूध और सिंघारे के आटे से बने पकवान खाए जाते हैं। 16 दिनों के बाद चंद्रमा को अर्ध्य देकर व्रत का उद्यापन होता है। 
महालक्ष्मी व्रत का फल 
महालक्ष्मी व्रत से महालक्ष्मी की कृपा मिलती है और धन,ऐश्वर्य और सुख सुविधाओं से जीवन भरपूर हो जाता है। अगर आपके जीवन में भी आये दिन आर्थिक संकट खड़ा हो जाता है तो इन 15 दिनों को व्यर्थ न जाने दें। इसमें मां लक्ष्मी को अपनी पूजा से प्रसन्न कर, उनसे अपने जीवन और घर में स्थायी निवास की प्रार्थना करें। 
कैसे रखें महालक्ष्मी व्रत ? 
-लकड़ी की चौकी पर रेशमी कपड़ा बिछायें।
-फिर उस पर चावल की ढेरी लगायें।
-कलश पर शुभ लाभ और स्वास्तिक बनायें।
-फिर कलश स्थापना करें और उस पर नारियल रखें।
-नारियल को महालक्ष्मी स्वरूप आभूषण से सजायें।
-फिर महालक्ष्मी की प्रतिमा या चित्र पर चुनरी चढ़ायें।
-फिर अखंड ज्योति जलायें।
सुबह-शाम को महालक्ष्मी की पूजा आरती करें। 
खीर,मेवा,मिठाई का रोज़ भोग लगायें।
मौली या लाल रेशमी वस्त्र में 16 गांठे लगा कर महालक्ष्मी को चढ़ायें।
व्रत के 16वें यानि आश्विन शुक्ल अष्टमी को व्रत का उद्यापन करें।
पुराणों में महालक्ष्मी व्रत कथा
एक बार एक गरीब ब्राह्मण ने विष्णु जी से धनी होने का उपाय पूछा। श्रीहरि विष्णु ब्राह्मण के तप से प्रसन्न होकर उसे लक्ष्मी को घर लाने का उपाय बताया। उन्होने ब्राह्मण से कहा कि वह अपने घर में उपले थापने वाली महिला को बुला लाये। ब्राह्मण ने उपले थापने वाली महिला को घर आने का न्यौता दिया। तब लक्ष्मी जी ने ब्राह्मण से कहा कि वह उनकी 16 दिन लगातार पूजा करे। 16 वें दिन चंद्रमा को अर्घ्य देकर मां लक्ष्मी को उत्तर दिशा से पुकारे। ब्राह्मण ने ऐसा ही किया और मां लक्ष्मी ब्राह्मण के घर में उत्तर दिशा से प्रवेश कर गईं। मां लक्ष्मी ने ब्राह्मण को लक्ष्मीवान बनने का वरदान दिया। तभी से महालक्ष्मी व्रत रखा जा रहा है।
कैसे करें महालक्ष्मी व्रत का उद्यापन?
महालक्ष्मी व्रत के उद्यापन में 16 वस्तुओं का दान किया जाता है। दान की प्रत्येक वस्तु 16 की मात्रा में होनी चाहिये।
16 चुनरी
16 बिंदी
16 डिब्बी  सिंदूर
16 रिब्बन
16 कंघा 
16 शीशा
16 मीटर वस्त्र या 16 रुमाल
16 बिछिया
16 नाक की नथ
16 फल
16 मिठाई
16 मेवा
16 लौंग
16 इलायची

महालक्ष्मी जी मंत्र "ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्षम्ये नमः" के जाप के बाद उद्यापन के समय बांस के दो सूप या स्टील की थाली लें। इसमें ऊपर बताये गये सारे सामान रख लें। फिर सारा सामान मां महालक्ष्मी को अर्पित करें। बाद में चंद्रमा को जल का अर्ध्य देकर पति पत्नी दोनों ही महालक्ष्मी को अपने घर आने के लिए 3 बार आमंत्रित करें। इसके बाद एक थाली में बिना लहसन प्याज का बना भोजन रख कर महालक्ष्मी का भोग लगाये। फिर माता का भोग और 16 सामान वाली थाली सुबह किसी ब्राह्मण को दान करें। पूरी रात महालक्ष्मी के मंत्र का जाप करने से भी महालक्ष्मी की जल्दी कृपा होगी।

Trending news