86 बच्चों की मौत के बाद भी नहीं सीखा सबक, आज भी बंद पड़ा है ऑक्सीजन सिस्टम
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86 बच्चों की मौत के बाद भी नहीं सीखा सबक, आज भी बंद पड़ा है ऑक्सीजन सिस्टम

आपात स्थिति में गैस किट सिलेंडर को सेट करने में समय लगता है जिससे अक्सर परेशानी बढ़ जाती है. 

राजस्थान स्वास्थ्य सेवाओं पर सबसे अधिक धन खर्च करता है. (प्रतीकात्मक फोटो)

बांसवाड़ा: राजस्थान में बांसवाड़ा के महात्मा गांधी सरकारी अस्पताल में बीते 54 दिनों में 86 बच्चों की मौत हो चुकी है, लेकिन बावजूद इसके यहां व्यवस्थाओं में कोई सुधार नहीं हुआ है. दैनिक भास्कर कि रिपोर्ट के मुताबिक अस्पताल परिसर में बने मातृ एवं शिशु अस्पताल में अभी भी सेंट्रल ऑक्सीजन सिस्टम बंद पड़ा हुआ है. ऐसे में नवजातों की मौत का आंकड़ा और बढ़ सकता है. हालांकि अस्पताल प्रशासन का कहना है कि किसी भी बच्चे की मौत ऑक्सीजन की कमी से नहीं हुई है. प्रशासन ने इन मौतों के लिए कुपोषण को जिम्मेदार ठहराया है. 

अस्पताल के ऐसे हालात देखने के बाद उसके दावे पर सवाल उठ रहे हैं लेकिन इसकी पुष्टि का कोई उपाय भी नहीं है क्योंकि नवजात के शव का पोस्टमार्टम नहीं किया जा सकता है,  इसलिए अस्पताल की ओर से रिपोर्ट में जो लिखा गया है उसे ही सही माना जाएगा. 

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बता दें अस्पताल के मुख्य भवन में 16 करोड़ की लागत से मातृ एवं शिशु अस्पताल का निर्माण किया गया था. मार्च में मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने तलवाड़ा के एक कार्यक्रम में रिमोट के माध्यम से इसका उद्घाटन किया था. अस्पताल में इलाज होना तो चालू हो गया लेकिन इतने दिनों के बाद भी इस अस्पताल में बना सेंट्रल ऑक्सीजन सिस्टम चालू नहीं हो सका और न ही इसे शुरू कराने के लिए अस्पताल प्रशासन की ओर से कोई प्रयास किया गया.  

रिपोर्ट के मुताबिक लीकेज के चलते अस्पताल में ये सिस्टम बंद पड़ा है. ऐसे में गैस सिलेंडरों किटों से ही काम चलाया जा रहा है. आपात स्थिति में गैस किट सिलेंडर को सेट करने में समय लगता है जिससे अक्सर परेशानी बढ़ जाती है. 

बता दें राजस्थान स्वास्थ्य सेवाओं पर सबसे अधिक धन खर्च करता है. रिजर्व बैंक की रिपोर्ट के मुताबिक मौजूदा वित्तीय वर्ष में स्वास्थ्य सेवाओं पर कुल बजट का 5.6 फीसदी हिस्सा खर्च किया गया है. इसके बाद भी हालात बेकाबू हो रहे हैं

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