Suprme Court: सुप्रीम कोर्ट (Supre Court) में अनुच्छेद 370 (Article 370) पर सुनवाई से पहले केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाए जाने के बाद आए बदलावों की जानकारी दी है.
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Centre affidavit on Article 370: सुप्रीम कोर्ट (Supre Court) की संविधान पीठ आज (11 जुलाई) जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 (Article 370) हटाए जाने के मुद्दे पर सुनवाई करेगी. इससे पहले केंद्र सरकार ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर कर जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाए जाने के बाद आए बदलावों की जानकारी दी. आर्टिकल 370 पर संविधान पीठ की सुनवाई से पहले केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में नया हलफनामा दायर कर अपने फैसले का बचाव किया है. केंद्र सरकार न अपने जवाब में कहा कि आर्टिकल 370 हटने के बाद जम्मू कश्मीर में आतंकी और अलगाववादी नेटवर्क पर लगाम लगी है. बता दें कि 5 अगस्त 2019 को केंद्र सरकार ने कानून लाकर जम्मू-कश्मीर को खास दर्जा देने वाली धारा 370 को खत्म कर दिया था.
सरकार ने आर्टिकल 370 को लेकर जवाब में क्या कहा
- इस ऐतिहासिक फैसले के बाद तीन दशक से आतंकवाद का दंश झेल रहे जम्मू कश्मीर में शांति, प्रगति और स्थिरता बहाल हुई है. आतंकवादियों, अलगाववादियों के इशारे पर होने वाली हिंसा अब बीते दिनों की बात हो चुकी है.
- 2018 में जहां राज्य में 1767 पत्थरबाजी की घटनाएं हुई, वहीं, 2023 में अब तक कोई ऐसी घटना सामने नहीं आई है. 2018 में संगठित हड़ताल/बंद की 52 घटनाएं हुई. वहीं, इस साल ऐसी कोई घटना सामने नहीं आई है.
- आतंकी कार्रवाई और घुसपैठ की घटनाओं में भी उल्लेखनीय कमी आई है. 2018 में 228 आतंकी वारदातों को अंजाम दिया गया, जबकि 2022 में 125 ऐसी घटनाएं हुईं.
- 2018 में 143 घुसपैठ हुई, वहीं, 2022 में महज 14 ऐसे वाकए सामने आए. साफ है कि आर्टिकल 370 को हटाने का फैसला लेने के बाद आतंकी अलगाववादियों के नेटवर्क को तोड़ने में सरकार कामयाब हुई है.
- इस फैसले से पहले अलगाववादियों की शह पर होने वाले सूबे में होने वाले बंद, हड़ताल और पत्थरबाजी न केवल राज्य की आर्थिक सेहत पर बल्कि पूरे समाज पर बुरा असर डालती थी. 370 हटने से पहले स्कूल, कॉलेज,यूनिवर्सिटी, इंडस्ट्रीज का बंद होना हर दिन की बात थी.
- आर्टिकल 370 हटने के बाद को स्कूल, कॉलेज, यूनिवर्सिटी, हॉस्पिटल और दूसरे सार्वजनिक संस्थान बिना किसी हड़ताल या दिक्कत के सुचारू रूप से अपना काम कर पा रहे हैं.
- सूबे में ज़मीनी स्तर पर लोकतंत्र स्थापित हो पाया है. अभी राज्य में शहरी निकाय और पंचायत को प्रतिनिधित्व करने वाले 34 हजार से ज़्यादा प्रतिनिधि है.
- केंद्र के कानून लागू हुए है. केंद्र सरकार के जिन कानूनों का फायदा जम्मू कश्मीर के लोगों को नहीं मिल रहा था. अब उन्हें इसका फायदा मिलना शुरू हो गया है.
- जम्मू कश्मीर के लोगों की सुरक्षा, उनके जीवन स्तर को बेहतर करना हमेशा केंद्र सरकार की प्राथमिकता रही है. आतंकवाद के खिलाफ केंद्र की जीरो टोरलेंस की नीति रही है. युवाओं को मुख्यधारा में लाने के लिए कई योजनाओं पर केंद्र सरकार काम कर रही है.