Bengaluru: मसल्स दिखाते हुए CEO ने ब्राह्मणों के लिए लिखी चौंकाने वाली लाइन.. मच गया बवाल
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Bengaluru: मसल्स दिखाते हुए CEO ने ब्राह्मणों के लिए लिखी चौंकाने वाली लाइन.. मच गया बवाल

Bengaluru News: बेंगलुरु की एक सीईओ को सोशल मीडिया पर एक पोस्ट के कारण भारी विरोध का सामना करना पड़ रहा है. कंटेंट मार्केटिंग कंपनी "जस्ट बर्स्ट आउट" की संस्थापक और सीईओ, अनुराधा तिवारी ने X पर एक तस्वीर शेयर की.

Bengaluru: मसल्स दिखाते हुए CEO ने ब्राह्मणों के लिए लिखी चौंकाने वाली लाइन.. मच गया बवाल

Bengaluru News: बेंगलुरु की एक सीईओ को सोशल मीडिया पर एक पोस्ट के कारण भारी विरोध का सामना करना पड़ रहा है. कंटेंट मार्केटिंग कंपनी "जस्ट बर्स्ट आउट" की संस्थापक और सीईओ, अनुराधा तिवारी ने X पर एक तस्वीर शेयर की. जिसमें उन्होंने अपने मसल्स दिखाते हुए इसे "ब्राह्मण जीन" के साथ कैप्शन दिया. इस पोस्ट ने इंटरनेट पर विवाद खड़ा कर दिया है. अब तक इसे 20 लाख से अधिक बार देखा जा चुका है.

तिवारी की इस पोस्ट की आलोचना करते हुए एक यूजर ने लिखा, "हमारी आजादी और अपने जीवन को अपनी शर्तों पर जीने की क्षमता का श्रेय किसे जाता है? डॉ. अंबेडकर (संविधान और हिंदू कोड बिल दोनों के लिए) और दशकों से अन्य प्रगतिशील आवाजों को."

एक अन्य यूजर ने कहा, "मनुस्मृति में क्या लिखा है कि लड़कियां शॉर्ट्स पहनकर फोटो पोस्ट करें? फिर ब्राह्मण इसका पालन क्यों नहीं कर रहे?"

सुप्रीम कोर्ट के वकील शशांक रत्नू ने भी इस चर्चा में हिस्सा लेते हुए कहा, "यही कारण है कि जातिवाद अब भी मौजूद है! फिट रहना अच्छी बात है, लेकिन इसे किसी विशेष या श्रेष्ठ जीन से जोड़ना, एक परिवार, एक भारत बनाने का सही तरीका नहीं है."

तिवारी ने अपने X पोस्ट्स में आरक्षण पर अपनी राय खुलकर रखी है. एक पोस्ट में उन्होंने लिखा, "जनरल कैटेगरी को यह विश्वास होना चाहिए कि यह देश उतना ही उनका है, जितना आरक्षित वर्ग का है. वर्तमान राजनीति केवल आरक्षित वर्ग पर केंद्रित है. यह मेहनती जनरल कैटेगरी के लिए बेहद अनुचित है. एक देश कभी भी अपने मेहनती लोगों को धोखा देकर तरक्की नहीं कर सकता."

अगस्त 2022 की एक पोस्ट में उन्होंने लिखा, "मैं एक जनरल कैटेगरी की छात्रा हूं. मेरे पूर्वजों ने मुझे 0.00 एकड़ जमीन सौंपी है. मैं किराए के घर में रहती हूं. मैं 95% अंक हासिल करने के बावजूद प्रवेश नहीं पा सकी, लेकिन मेरा सहपाठी जिसने 60% अंक प्राप्त किए और एक संपन्न परिवार से है, उसे प्रवेश मिल गया. और आप मुझसे पूछते हैं कि मुझे आरक्षण से समस्या क्यों है?"

अपने लेटेस्ट पोस्ट के जवाब में उन्होंने लिखा, "जैसा कि अपेक्षित था, 'ब्राह्मण' शब्द का मात्र उल्लेख ही कई हीन प्राणियों को भड़काने के लिए काफी था. इससे पता चलता है कि असली जातिवादी कौन हैं. उच्च जातियों को सिस्टम से कुछ भी नहीं मिलता - न आरक्षण, न मुफ्त सुविधाएं. हम सब कुछ अपनी मेहनत से कमाते हैं और अपनी विरासत पर गर्व करने का हर अधिकार रखते हैं. इसलिए, इसे स्वीकार करें."

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