अगर कोई अपने चालान का भुगतान नहीं करेगा तो उनके पानी के बिल के साथ फाइन की राशि जोड़ दी जाएगी.
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चंडीगढ़: पानी बर्बाद करने वालो की अब खैर नहीं, अगर पकड़े गए तो 5000 रुपए का ज़ुर्माना भरना पड़ेगा. चंडीगढ़ नगर निगम के कमिश्नर के के यादव ने बताया कि पानी बर्बाद करने का चालान अब पूरा साल काटा जाएगा, क्योंकि कई लोग पानी की अहमियत नहीं समझते और पानी की बर्बादी करते हैं. उन्होंने कहा पहले लोगों को जागरूक किया जाएगा, उसके बाद उन्हें नोटिस भेजे जाएंगे. लेकिन अगर जागरूकता अभियान चलाने के बाद भी कोई पानी की बर्बादी करते पकड़ा गया तो उनका चालान काटा जाएगा. उन्होंने इसके लिए टीमों का गठन किया जा रहा है जो चेकिंग करेंगी.
कमिश्नर ने बताया अभी 5000 रुपए तक के चालान का प्रावधान रखा गया है. अगर कोई अपने चालान का भुगतान नहीं करेगा तो उनके पानी के बिल के साथ फाइन की राशि जोड़ दी जाएगी. बता दें पहले यह अभियान सिर्फ गर्मी शुरू होने पर अप्रैल माह में शुरू किया जाता था जो कि 30 मई तक चलता था.
कमिश्नर के के यादव ने कहा ये नोटिस किया गया है कि जब तक नगर निगम चालान काटता है लोग पानी की बर्बादी नहीं करते, लेकिन चालान की प्रक्रिया बंद होते ही पानी का दुरुपयोग करना शूरू कर देते हैं. जैसे कि सुबह पाइप लगाकर गाड़ी धोना, टैंकी से पानी ऑवरफ्लो करना, पानी का नल खुला छोड़ देना.
उन्होंने बताया कि सर्दियों में लोगों को पर्याप्त पानी मिलता है इसलिए लोग पानी की अहमियत नहीं समझते और न पानी बचाने की कोशिश करते हैं. कमिश्नर ने कहा कि पानी बहुमूल्य द्रव्य है. लोगों को जानना चाहिए कि उनके घरों तक कैसे साफ सुथरा पानी पहुंचाया जाता है.
कमिश्नर ने कहा कि चंडीगढ़ में पानी मंहगा नहीं हुआ बस रेट रिवाइज किए गए हैं, क्योंकि 2011 के बाद से चंडीगढ़ में पानी के रेट रिवाइज नहीं हुए है. पिछले कई सालों से पानी के रेट में संशोधन करने का प्रस्ताव सदन में आता रहा लेकिन कभी भी प्रस्ताव पारित नहीं किया गया. कमिश्नर ने कहा इतने सालों में पानी को साफ करने की प्रक्रिया मंहगी हुई. पानी की कीमत कम होने के कारण निगम को 70 से 75 करोड़ का नुकसान हो रहा था इसलिए पानी के रेट बढ़ाने के प्रस्ताव को इस बार पारित किया गया.
बता दें नगर निगम के सदन की बैठक के दौरान पानी के रेट जो दो से चार गुना बढ़ाने का प्रस्ताव पास किया गया है उसमें इस बात की भी मंजूरी दी गई है कि अब पानी के रेट में हर साल पांच प्रतिशत का इजाफा अपने आप हो जाएगा. इसके लिए अब हर साल पानी के रेट बढ़ाने का प्रस्ताव सदन में लाने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी.