Chandrayaan- 3 Landing: इस दिन चंद्रमा पर लैंडिंग करेगा चंद्रयान-3, ISRO ने घोषित की तारीख; 'रंभा' और 'इल्सा' भी गए हैं साथ
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Chandrayaan- 3 Landing: इस दिन चंद्रमा पर लैंडिंग करेगा चंद्रयान-3, ISRO ने घोषित की तारीख; 'रंभा' और 'इल्सा' भी गए हैं साथ

Chandrayaan- 3 Landing Date: भारत एक बार फिर इतिहास रचने को तैयार है. उसने चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग के लिए अपना चंद्रयान- 3 लॉन्च कर दिया है. ऐसा करने वाला वह दुनिया का चौथा देश है. इसरो चीफ ने बताया कि चंद्रयान- 3 कब चंद्रमा की सतह पर उतरेगा. 

Chandrayaan- 3 Landing: इस दिन चंद्रमा पर लैंडिंग करेगा चंद्रयान-3, ISRO ने घोषित की तारीख; 'रंभा' और 'इल्सा' भी गए हैं साथ

Chandrayaan- 3 Cost and Landing Date: भारत ने शुक्रवार को यहां एलवीएम3-एम4 रॉकेट के जरिए अपने तीसरे चंद्र मिशन-‘चंद्रयान-3’ का सफल प्रक्षेपण किया. इस अभियान के तहत यान 41 दिन की अपनी यात्रा में चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र पर एक बार फिर ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ का प्रयास करेगा जहां अभी तक कोई देश नहीं पहुंच पाया है. चंद्रमा की सतह पर अमेरिका, पूर्व सोवियत संघ और चीन ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ (Chandrayaan- 3 Landing Date) कर चुके हैं लेकिन उनकी ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र पर नहीं हुई थी. अगर भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) का 600 करोड़ रुपये का चंद्रयान-3 मिशन चार साल में अंतरिक्ष एजेंसी के दूसरे प्रयास में लैंडर को उतारने में सफल हो जाता है, तो अमेरिका, चीन और पूर्व सोवियत संघ के बाद भारत चंद्र सतह पर ‘सॉफ्ट-लैंडिंग’ की तकनीक में महारत हासिल करने वाला चौथा देश बन जाएगा.

23 अगस्त को होगी सॉफ्ट लैंडिंग

चंद्रमा पर मानव रहित मिशन के प्रक्षेपण के तुरंत बाद संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए इसरो अध्यक्ष एस सोमनाथ ने कहा कि एजेंसी ने 23 अगस्त को भारतीय समयानुसार शाम 5.47 बजे चंद्रमा की सतह पर "तकनीकी रूप से चुनौतीपूर्ण" सॉफ्ट-लैंडिंग (Chandrayaan- 3 Landing Date) की योजना बनाई है. चंद्रयान-2 तब ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ में विफल हो गया था, जब इसका लैंडर 'विक्रम' सात सितंबर, 2019 को ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ का प्रयास करते समय ब्रेकिंग प्रणाली में विसंगतियों के कारण चंद्रमा की सतह पर गिर पड़ा था. 

रात के तापमान में आ जाती है भारी गिरावट

लैंडर का चंद्र सतह पर उतरने का समय (Chandrayaan- 3 Landing Date) काफी मायने रखता है क्योंकि इससे उपकरणों के अध्ययन करने की अवधि का निर्णय होता है. चंद्रयान-3 अपने लैंडर को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास 70 डिग्री अक्षांश पर उतारेगा. चंद्रमा पर रात का तापमान शून्य से 232 डिग्री सेल्सियस नीचे तक गिर जाता है. सोमनाथ ने कहा, "तापमान में भारी गिरावट आती है और प्रणाली के रात के उन 15 दिनों तक बरकरार रहने की संभावना को देखना होगा. यदि यह उन 15 दिनों तक बरकरार रहती है और नए दिन की सुबह होने पर बैटरी चार्ज हो जाती है, तो यह संभवतः अंतरिक्ष यान के जीवन को बढ़ा सकता है.

15 साल में तीसरा चंद्र मिशन

चंद्रयान-1 मिशन को 2008 में भेजा गया था. पंद्रह साल में इसरो का यह तीसरा चंद्र मिशन (Chandrayaan- 3) है. गुरुवार शुरू हुई 25.30 घंटे की उलटी गिनती के अंत में एलवीएम3-एम4 रॉकेट (जिसे पूर्व में जीएसएलवीएमके3 कहा जाता था) यहां स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र के दूसरे ‘लॉन्च पैड’ से अपराह्न 2.35 बजे निर्धारित समय पर धुएं का घना गुब्बार छोड़ते हुए शानदार ढंग से आकाश की ओर रवाना हुआ. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मिशन के प्रक्षेपण को देश की अंतरिक्ष यात्रा में एक "नया अध्याय" बताया, जिसने हर भारतीय के सपनों और महत्वाकांक्षाओं को बढ़ाया है. राजनीतिक नेताओं ने भी पार्टी लाइन से ऊपर उठकर इसरो की उपलब्धि की सराहना की.

मिशन कंट्रोल सेंटर (MCC) के अंदर वैज्ञानिक जहां सांस रोककर चंद्रयान-3 को प्रक्षेपण के लगभग 16 मिनट बाद रॉकेट से अलग होते देखने का इंतजार कर रहे थे, वहीं प्रक्षेपण यान के प्रक्षेपण के बाद हजारों दर्शक खुशी से झूम उठे. चंद्रयान-3 के सफल प्रक्षेपण के बाद इसरो अध्यक्ष एस सोमनाथ ने मिशन नियंत्रण कक्ष  से कहा कि रॉकेट ने चंद्रयान-3 को कक्षा में सटीकता के साथ स्थापित कर दिया. 

इसरो चीफ ने जताई खुशी

उन्होंने कहा, 'बधाई हो, भारत! चंद्रयान-3 (Chandrayaan- 3) ने चंद्रमा की ओर अपनी यात्रा शुरू कर दी है. हमारे प्रिय एलवीएम-3 ने पहले ही चंद्रयान-3 को पृथ्वी के चारों ओर सटीक कक्षा में स्थापित कर दिया है. आइए हम चंद्रयान-3 को आगे की कक्षा में बढ़ाने की प्रक्रिया तथा आने वाले दिनों में चंद्रमा की ओर इसकी यात्रा के लिए शुभकामनाएं व्यक्त करें.'

यह पूछे जाने पर कि मिशन में वैज्ञानिक प्रयोगों के लिए दक्षिणी ध्रुव को क्यों चुना गया है, उन्होंने कहा, 'हम चंद्रमा की सतह पर सभी भूभौतिकीय, रासायनिक विशेषताओं के लक्ष्य को लेकर काम कर रहे हैं. दूसरा, दक्षिणी ध्रुव का अध्ययन अभी तक नहीं किया गया है.' सोमनाथ ने कहा कि किसी ने भी चंद्रमा की सतह पर तापीय विशेषताओं का परीक्षण नहीं किया है जो इसरो इस मिशन में करेगा. 

चंद्रमा के दक्षिण छोर पर उतरेगा लैंडर

उन्होंने बताया कि चंद्रमा (Chandrayaan- 3) के ध्रुवीय क्षेत्र पर्यावरण और इससे उत्पन्न होने वाली कठिनाइयों के कारण बहुत अलग भूभाग हैं और इसलिए अज्ञात बने हुए हैं. चंद्रमा पर पहुंचने वाले पिछले सभी अंतरिक्ष यान भूमध्यरेखीय क्षेत्र में, चंद्र भूमध्य रेखा के उत्तर या दक्षिण में कुछ डिग्री अक्षांश पर उतरे थे. चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र का अध्ययन इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि इसके आसपास स्थायी रूप से अंधेरे वाले क्षेत्रों में पानी की मौजूदगी की संभावना हो सकती है. 

प्रक्षेपण के समय इसरो (ISRO) के कई पूर्व प्रमुखों के साथ उपस्थित रहे केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने आज के प्रक्षेपण को भारत के लिए गौरव का क्षण करार दिया. चंद्रयान-3 मिशन की परियोजना लागत पर उन्होंने कहा, 'यह करीब 600 करोड़ रुपये थी.' इसरो के वैज्ञानिकों ने कहा कि वांछित ऊंचाई पर पहुंचने के बाद लैंडर मॉड्यूल चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र पर ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ के लिए उतरना शुरू कर देगा. 

चंद्रयान में सवार रंभा और इल्सा

चंद्रयान-3 (Chandrayaan- 3) अपने साथ विभिन्न उपकरण ले गया है जो चंद्रमा की मिट्टी से संबंधित समझ बढ़ाने और चंद्र कक्षा से नीले ग्रह की तस्वीरें लेने में इसरो की मदद करेंगे. उपकरणों में ‘रंभा’ और ‘इल्सा’ भी शामिल हैं, जो 14-दिवसीय मिशन के दौरान सिलसिलेवार ढंग से ‘पथ-प्रदर्शक’ प्रयोगों को अंजाम देंगे. ये चंद्रमा के वायुमंडल का अध्ययन करेंगे और इसकी खनिज संरचना को समझने के लिए सतह की खुदाई करेंगे. लैंडर ‘विक्रम’ तब रोवर ‘प्रज्ञान’ की तस्वीरें लेगा जब यह कुछ उपकरणों को गिराकर चंद्रमा पर भूकंपीय गतिविधि का अध्ययन करेगा. लेजर बीम का उपयोग करके, यह प्रक्रिया के दौरान उत्सर्जित गैस का अध्ययन करने के लिए चंद्र सतह के एक टुकड़े ‘रेजोलिथ’ को पिघलाने की कोशिश करेगा. 

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