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नई दिल्ली: वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर तनाव के बीच भारत के चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ बिपिन रावत (CDS General Bipin Rawat) ने कहा है कि चीन (China) देश की सुरक्षा के लिए सबसे बड़ा सुरक्षा खतरा बन गया है. सीडीएस ने कहा कि वर्तमान चुनौतियों के बीच पिछले साल सीमा की सुरक्षा के लिए भेजे गए हजारों सैनिक और सैन्य उपकरण लंबे समय तक बेस पर नहीं लौट पाएंगे.
सीडीएस के मुताबिक ‘विश्वास’ की कमी और बढ़ते ‘संदेह’ के कारण परमाणु हथियारों से लैस दोनों पड़ोसी देशों (भारत-चीन) के बीच सीमा विवाद नहीं सुलझ पा रहा है. आपको बता दें कि पिछले महीने, भारत और चीन के सैन्य कमांडरों के बीच 13वें दौर की वार्ता गतिरोध के साथ खत्म हुई क्योंकि दोनों पक्ष इस बात पर सहमत नहीं हो पाए कि आखिर सीमा से कैसे पीछे हटना है.
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हमारी सहयोगी वेबसाइट WION में प्रकाशित खबर के मुताबिक बीते साल साल जून में गलवान घाटी में भारत और चीनी सैनिकों के बीच झड़प हुई थी जिसमें 20 भारतीय सैनिक मारे गए थे. वहीं चीन की सेना के कई जवान मारे गए थे. हालांकि तमाम रिपोर्ट्स में दावा किया गया था कि चीनी सेना में मारे गए लोगों की तादाद बहुत ज्यादा थी.
सीमा पर चीनी सैनिकों द्वारा घुसपैठ की भी खबरें आती रही हैं. इससे पहले भारत के सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवणे (Army Chief MM Naravane) ने भी सीमा पर चीनी सैनिकों द्वारा बुनियादी ढांचे के विकास पर चिंता जताई थी.
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सीडीएस बिपिन रावत ने बताया कि लद्दाख में एलएसी पर हुए इस संघर्ष के बाद से चीन और भारत सीमा पर सैनिक, हथियार और बुनियादी ढांचा तेजी से बढ़ा रहे हैं. इस स्थिति में भी भारत सीमा और समुद्र में चीन के किसी भी दुस्साहस से निपटने के लिए तैयार है. सीडीएस ने ये बात ऐसे वक्त पर कही है, जब विदेश मंत्रालय ने विवादित क्षेत्र पर चीनी निर्माण की आलोचना की है.
वहीं अमेरिकी रक्षा विभाग (पेंटागन) की एक रिपोर्ट में दावा किया गया था कि चीन ने भारत के अरुणाचल प्रदेश के अंदर के गांवों में घर बनाए हैं क्योंकि उसने एलएसी के साथ बुनियादी ढांचे के विकास के प्रयासों पर चिंता व्यक्त की है.