ऐसा नहीं कि कोई सौदा हुआ है... PM-मंत्रियों से जजों की मुलाकात पर बोले CJI चंद्रचूड़
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ऐसा नहीं कि कोई सौदा हुआ है... PM-मंत्रियों से जजों की मुलाकात पर बोले CJI चंद्रचूड़

CJI Chandrachud: चंद्रचूड़ का यह बयान तब आया है जब अभी कुछ ही दिन पहले उनकी एक तस्वीर पीएम मोदी के साथ आई थी. पीएम मोदी उनके यहां गणपति पूजा समारोह के लिए उनके निवास पर गए हुए थे. इसके बाद राजनीतिक हलकों में कई तरह की चर्चाएं थीं.

ऐसा नहीं कि कोई सौदा हुआ है... PM-मंत्रियों से जजों की मुलाकात पर बोले CJI चंद्रचूड़

Leaders and Judges Relation: सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ पिछले कुछ समय से चर्चा में रहे. जब गणेश चतुर्थी के दिन उनकी तस्वीर पीएम मोदी के संग आई तो देश के राजनीतिक गलियारों में कई तरह के कयास लगाए गए. इसी बीच अब इस पर खुद सीजेआई ने चुप्पी तोड़ी है. उन्होंने शनिवार को कहा कि राज्य या केंद्र स्तर पर सरकार के मुखिया और उच्च न्यायालय या सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के बीच की बैठकें यह नहीं दर्शाती हैं कि कोई डील हुई है. 

'इसका मतलब यह नहीं है कि कोई सौदा हुआ'

असल में मुंबई विश्वविद्यालय में एक लेक्चर सीरीज के दौरान चंद्रचूड़ ने कहा कि हम मिलते हैं लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि कोई सौदा हुआ है. हमें राज्य के मुख्यमंत्री के साथ संवाद करना आवश्यक है क्योंकि उन्हें न्यायपालिका के लिए बजट प्रदान करना होता है. यह बजट judges के लिए नहीं है. अगर हम केवल पत्रों पर निर्भर रहेंगे, तो हमारा काम नहीं होगा.

नेता हमेशा राजनीतिक परिपक्वता का पालन करते हैं

लाइव लॉ की एक रिपोर्ट के मुताबिक CJI चंद्रचूड़ ने स्पष्ट किया कि इन बैठकों में सरकार के नेता हमेशा राजनीतिक परिपक्वता का पालन करते हैं और कभी भी किसी लंबित मामले पर चर्चा नहीं करते हैं. उन्होंने यह भी कहा कि जब हम मिलते हैं, तो राजनीतिक प्रणाली में बहुत परिपक्वता होती है और इन बैठकों में, मेरे अनुभव में, कभी भी कोई मुख्यमंत्री लंबित मामले पर बात नहीं करेगा.

प्रशासनिक संबंध न्यायिक कार्य से अलग

CJI चंद्रचूड़ ने यह भी कहा कि अदालत और सरकार के बीच प्रशासनिक संबंध न्यायिक कार्य से अलग हैं, जिसे न्यायाधीश करते हैं. उन्होंने यह बात जोर देकर कही कि यह केंद्रीय स्तर पर भी लागू होता है. उन्होंने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय और वर्तमान सरकार के बीच प्रशासनिक संबंध उस न्यायिक कार्य से अलग है जो सर्वोच्च न्यायालय करता है. यह एक परंपरा है कि मुख्यमंत्री या मुख्य न्यायाधीश त्योहारों या शोक के समय मिलते हैं. लेकिन हमें यह समझने की परिपक्वता होनी चाहिए कि इसका हमारे न्यायिक काम पर कोई असर नहीं पड़ता.

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