CJI D Y Chandrachud Retirement: भारत के चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ ने लगभग दो साल पहले पदभार संभाला था. वह 10 नवंबर, 2024 को अपने पद से रिटायर होने वाले हैं.
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CJI D Y Chandrachud: चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ 10 नवंबर, 2024 को रिटायर होने जा रहे हैं. वह 4 नवंबर से लेकर 8 नवंबर के बीच, कार्यकाल के आखिरी पांच दिनों में कई अहम फैसले सुनाने वाले हैं. सीजेआई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठों को अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (AMU) के अल्पसंख्यक दर्जे, उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा बोर्ड अधिनियम (2004) की वैधता और संपत्ति पुनर्वितरण के मुद्दे पर फैसला देना है.
डी वाई चंद्रचूड़, भारत के 50वें चीफ जस्टिस हैं. जस्टिस चंद्रचूड़ को 13 मई, 2016 को सुप्रीम कोर्ट का जज नियुक्त किया गया था. वह इससे पहले इलाहाबाद हाई कोर्ट और बॉम्बे हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस भी रह चुके हैं. वह सबसे लंबे समय तक पद पर रहने वाले सीजेआई वाई. वी. चंद्रचूड़ के बेटे हैं.
रिटायरमेंट से पहले कौन से बड़े फैसले सुनाएंगे सीजेआई चंद्रचूड़?
AMU मामला: सीजेआई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली सात जजों की संविधान पीठ ने 1 फरवरी को फैसला सुरक्षित रख लिया था. अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (AMU) की याचिका पर SC को तय करना है कि संसदीय कानून द्वारा बनाए गए शैक्षणिक संस्थान को संविधान के अनुच्छेद 30 के तहत अल्पसंख्यक दर्जा प्राप्त है या नहीं.
2005 में, AMU ने खुद को अल्पसंख्यक संस्थान बताते हुए मुस्लिम उम्मीदवारों के लिए स्नातकोत्तर चिकित्सा पाठ्यक्रमों में 50% सीटें आरक्षित की थीं. इसे इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने खारिज कर दिया था. 2006 में, तत्कालीन यूपीए सरकार और AMU ने HC के फैसले को सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी थी. अगर सुप्रीम कोर्ट ने AMU को अल्पसंख्यक संस्थान घोषित कर दिया तो एससी, एसटी और ओबीसी को एडमिशन में आरक्षण नहीं मिलेगा.
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यूपी मदरसा एक्ट मामला: CJI चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली तीन जजों की बेंच उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा बोर्ड अधिनियम, 2004 की वैधता पर भी फैसला सुनाएगी. यह कानून राज्य में मदरसों के कामकाज को नियंत्रित करता है. SC ने 22 अक्टूबर को इस मुद्दे पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. इससे पहले, 5 अप्रैल को इलाहाबाद उच्च न्यायालय के उस आदेश पर रोक लगा दी गई थी, जिसमें एक्ट को असंवैधानिक घोषित किया गया था.
वेल्थ रीडिस्ट्रीब्यूशन: सीजेआई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली नौ जजों की संविधान बेंच को यह तय करना है कि क्या सरकार निजी संपत्ति को जब्त कर सकती है और उसे सार्वजनिक हित के लिए पुनर्वितरित कर सकती है. बेंच ने 1 मई को इस मुद्दे पर अपना फैसला सुरक्षित रखा था. SC को तय करना है कि क्या निजी संपत्तियों को संविधान के अनुच्छेद 39 (बी) के अर्थ में 'समुदाय के भौतिक संसाधन' माना जा सकता है और आम भलाई के लिए राज्य द्वारा इसे अपने अधीन किया जा सकता है.
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LMV लाइसेंस मामला: क्या हल्के मोटर वाहनों (LMV) के लिए ड्राइविंग लाइसेंस रखने वाला व्यक्ति 7,500 किलो तक के भार रहित परिवहन वाहन चलाने का हकदार हो सकता है? इस मुद्दे पर इस साल अगस्त में सीजेआई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पांच जजों की बेंच ने फैसला सुरक्षित रख लिया था. रिटायर होने से पहले सीजेआई अपना फैसला सुना सकते हैं.
भर्ती प्रक्रिया के दौरान नियमों में बदलाव का मामला: पांच जजों की संविधान बेंच तय करेगी कि भर्ती प्रक्रिया के दौरान नियमों में बदलाव किया जा सकता है या नहीं. मामला राजस्थान में 2013 की भर्ती में बदलाव से जुड़ा है. SC ने जुलाई 2023 में फैसला सुरक्षित रख लिया था.
चीफ जस्टिस चंद्रचूड भी करते हैं 'चीटिंग', अपने ही नियम तोड़कर करते हैं ये काम
जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ के ऐतिहासिक फैसले
जस्टिस चंद्रचूड़ ने अपने न्यायिक करियर में कई अहम फैसले सुनाए हैं. वे चुनावी बॉन्ड योजना, राम जन्मभूमि विवाद, निजता के अधिकार, समलैंगिकता के अपराधीकरण, सबरीमाला विवाद, समलैंगिक विवाह और जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे को खत्म करने जैसे ऐतिहासिक फैसले सुनाने वाली बेंचों का हिस्सा रहे हैं.