चीफ जस्टिस के रवैये से लोकतंत्र खतरे में है, उन्‍होंने पद का दुरुपयोग किया- कांग्रेस
Advertisement

चीफ जस्टिस के रवैये से लोकतंत्र खतरे में है, उन्‍होंने पद का दुरुपयोग किया- कांग्रेस

सिब्बल ने कहा कि सीजेआई के कुछ प्रशासनिक फैसलों पर आपत्ति है. इसके साथ ही उन्होंने उम्मीद जताई कि है फिर से जांच होगी और सच सामने आएगा.

उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू से मुलाकात के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान गुलाम नबी आजाद. (ANI/20 April, 2018)

नई दिल्ली: राज्‍यसभा में नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद ने शुक्रवार (20 अप्रैल) को उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू से मुलाकात के बाद कहा कि हम सीजेआई दीपक मिश्रा को हटाने के लिए महाभियोग प्रस्ताव ला रहे हैं. गुलाम नबी आजाद ने कहा, 'सीजेआई दीपक मिश्रा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव पर 71 सांसदों ने हस्ताक्षर किया है, लेकिन उनमें से 7 रिटायर हो गए हैं, जिसकी वजह से यह संख्या घटकर अब 64 हो गई है. महाभियोग लाने के लिए जितनी संख्या चाहिए होती है, हमारे पास उससे ज्यादा है और हमें यकीन है कि सभापति महोदय कार्रवाई करेंगे.'

  1. कांग्रेस नेता ने कहा कि अगर उपराष्ट्रपति ने नोटिस खारिज किया तो और भी कई रास्ते हैं.
  2. सीजेआई दीपक मिश्रा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव पर 71 सांसदों ने हस्ताक्षर किया.
  3. कांग्रेस ने भरोसा जताया कि महाभियोग प्रस्ताव पर सभापति महोदय कार्रवाई करेंगे.

इसके बाद कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने भी सीजेआई के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव पर अपनी बात रखी. उन्होंने कहा, 'हम चाहते थे कि ऐसा दिन कभी ना आए, लेकिन कुछ खास केस पर सीजेआई के रवैये की वजह से महाभियोग लाने पर हम मजबूर हुए.' कांग्रेस नेता ने कहा कि अगर उपराष्ट्रपति ने नोटिस खारिज किया तो और भी कई रास्ते हैं. सिब्बल ने कहा कि सीजेआई के कुछ प्रशासनिक फैसलों पर आपत्ति है. इसके साथ ही उन्होंने उम्मीद जताई कि फिर से जांच होगी और सच सामने आएगा. सिब्बल ने चीफ जस्टिस पर अपने पद की मर्यादा तोड़ने का आरोप लगाते हुए कहा कि न्यायपालिका के खतरे में आने से लोकतंत्र पर खतरा है.

कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने कहा, ‘‘हम भी चाहते थे कि न्यायापालिका का मामला उसके भीतर सुलझ जाए लेकिन ऐसा नहीं हुआ. हमें भारी मन से ऐसा करना पड़ रहा है क्योंकि संविधान और एक संस्था की स्वतंत्रता और स्वायत्तता का सवाल है.’’ उन्होंने बताया कि प्रस्ताव में प्रधान न्यायाधीश के खिलाफ पांच आरोपों का उल्लेख किया गया है जिनके आधार पर विपक्षी दलों ने यह नोटिस दिया है.

इससे पहले संसद भवन में विपक्षी दलों के नेताओं की इस मुद्दे पर बैठक हुई जिसमें कांग्रेस नेता आजाद, कपिल सिब्बल, रणदीप सुरजेवाला, भाकपा के डी. राजा और राकांपा की वंदना चव्हाण ने हिस्सा लिया. सूत्रों के अनुसार, तृणमूल कांग्रेस और द्रमुक पहले प्रधान न्यायाधीश के महाभियोग के पक्ष में थे, लेकिन बाद में इस मुहिम से अलग हो गए.

गौरतलब है कि उच्चतम न्यायालय द्वारा सीबीआई के विशेष न्यायाधीश बी. एच. लोया की संदिग्ध परिस्थितियों में हुई मृत्यु की जांच के लिए दायर याचिकायें खारिज किए जाने के अगले ही दिन महाभियोग का नोटिस दिया गया है. लोया सोहराबुद्दीन फर्जी मुठभेड़ मामले की सुनवाई कर रहे थे. शीर्ष अदालत की प्रधान न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली पीठ ने गुरुवार (19 अप्रैल) को यह फैसला सुनाया था. महाभियोग का नोटिस देने के लिए राज्यसभा के कम से 50 सदस्यों जबकि लोकसभा में कम से कम 100 सदस्यों के हस्ताक्षर की जरूरत होती है.

Trending news