सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के चीफ जस्टिस एन वी रमण (N V Raman) ने कहा कि लोग आपसी विवादों को सुलझाने के लिए पहले मध्यस्थता केंद्रों की मदद लें. जब वहां पर बात न बनें तो ही कोर्ट में जाने का विकल्प चुनें.
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हैदराबाद: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के चीफ जस्टिस एन वी रमण (N V Raman) ने कहा कि मामलों के निपटारे के लिए कोर्ट में जाने का विकल्प आखिरी होना चाहिए. उससे पहले हमें मध्यस्थता जैसे वैकल्पिक विवाद समाधान (ADR) के तरीकों का इस्तेमाल करने की कोशिश करनी चाहिए.
चीफ जस्टिस एन वी रमण (N V Raman) ने कहा, ‘अलग-अलग क्षमताओं से 40 वर्षों से अधिक के अपने कानूनी पेशे के अनुभव के बाद मेरी सलाह है कि आपको अदालतों में जाने का विकल्प अंतिम उपाय के तौर पर रखना चाहिए. मध्यस्थता और सुलह के ADR विकल्पों पर गौर करने के बाद ही इस आखिरी उपाय का इस्तेमाल कीजिए.’
जस्टिस रमण (N V Raman) शनिवार को हैदराबाद (Hyderabad) में अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता एवं सुलह केंद्र (IAMC) के एक सम्मेलन में बोल रहे थे. उन्होंने महाभारत में पांडवों और कौरवों के बीच मध्यस्थता की भगवान कृष्ण की कोशिश को याद किया. उन्होंने कहा, ‘यह याद दिलाना जरूरी है कि सुलह कराने में नाकाम होने के विनाशकारी परिणाम भुगतने पड़े थे.’
उन्होंने कहा कि टकराव की कई वजहें होती हैं, जिनमें गलतफहमियां, अहं का मुद्दा, विश्वास और लालच शामिल होता है. विचारों के छोटे मतभेदों से बड़ा विवाद हो सकता है. यहां तक कि एक-दूसरे को समझने की थोड़ी कोशिश से भी बड़े विवाद हल हो सकते हैं.
CJI ने कहा कि अगर निजी जीवन में विवाद पैदा होते हैं तो उन्हें उन लोगों को नजरअंदाज करके हल किया जा सकता है, जिन्हें हम पसंद नहीं करते हैं. अगर इससे भी हल न निकले तो मानसिक शांति के लिए कुछ पैसा खर्च किया जा सकता है. एक विवेकपूर्ण व्यक्ति विवादों को सौहार्दपूर्ण तरीके से हल करने के रास्ते खोजने की कोशिश करता है.
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उन्होंने कहा कि व्यापार में पैसे, सम्मान या प्रतिष्ठा नहीं गंवाई जा सकती है. कारोबारी हितों का त्याग नहीं किया जा सकता. ऐसी स्थिति में भी समय, पैसा या मानसिक शांति गंवाए बिना भी विवादों को हल करने का आसान तरीका सोचा जा सकता है.
इस कार्यक्रम में सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एल नागेश्वर राव, तेलंगाना हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा और मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव के अलावा विधि जगत की कई हस्तियां मौजूद थीं.
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