आंध्र प्रदेश सरकार ने कोरोना महामारी (Coronavirus) के इलाज में चमत्कारिक बताई जा रही ‘कृष्णापटनम दवा’ (Krishnapatnam Medicine) की वैज्ञानिक जांच कराने का फैसला किया है.
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अमरावती (आंध्र प्रदेश): आंध्र प्रदेश सरकार ने कोरोना महामारी (Coronavirus) के इलाज में चमत्कारिक बताई जा रही ‘कृष्णापटनम दवा’ (Krishnapatnam Medicine) की वैज्ञानिक जांच कराने का फैसला किया है. सरकार ने इस दवा का वैज्ञानिक असर जानने के लिए इसे भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) को भेजने का आदेश दिया है. जिससे इसके असरदायी होने संबंधी विस्तृत अध्ययन किया जा सके.
जानकारी के मुताबिक ‘कृष्णापटनम दवा’ (Krishnapatnam Medicine) आयुर्वेदिक विधि से तैयार की गई है. यह दवा आंध्र प्रदेश के एसपीएस नेल्लोर जिले (Nellore) में वितरित की जा रही है. वहां पर कृष्णापटनम गांव में आयुर्वेदाचार्य बी. आनंदैयासत्ताधारी यह दवा बनाकर लोगों को दे रहे हैं. पार्टी के विधायक और जिलाध्यक्ष के गोवर्धन रेड्डी इस दवा को प्रोत्साहित कर रहे हैं.
इस दवा की चर्चा फैलने के बाद अब हजारों लोग कोविड-19 प्रोटोकॉल का उल्लंघन करके कृष्णापटनम गांव जा रहे हैं. जिससे वे आयुर्वेदाचार्य बी. आनंदैया से यह दवा ले सकें. इस दवा की जानकारी मिलने के बाद आयुष विभाग के चिकित्सकों के एक दल ने कुछ दिन पहले गांव का दौरा कर दवा के बारे में पूछताछ की थी.
इस दौरे के बाद चिकित्सक दल सरकार को एक रिपोर्ट सौंपते हुए कहा था कि दवा बनाने की विधि, उपचार प्रक्रिया और उसके बाद के प्रभावों का वैज्ञानिक अध्ययन किया जाना चाहिए. टीम ने यह दावा भी किया कि दवा लेने वाल में से किसी ने भी किसी दुष्प्रभाव की शिकायत नहीं की है.
चिकित्सक दल ने रिपोर्ट में कहा, ‘एक कोविड-19 मरीज की आंख में दवा की दो बूंदें डालने के बाद उसके शरीर में ऑक्सीजन का स्तर एक घंटे में 83 से बढ़कर 95 हो गया. हमने मरीजों से बात की है.’
इस दवा के बारे में पता चलने पर उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू (Venkaiah Naidu) ने केंद्रीय आयुष मंत्री और भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद के निदेशक से इस दवा के बारे में अध्ययन करने को कहा है. वेंकैया नायडू भी एसपीएस नेल्लोर जिले के रहने वाले हैं.
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उपराष्ट्रपति की ओर से संज्ञान लिए जाने के बाद मुख्यमंत्री वाई एस जगन मोहन रेड्डी ने यहां कोविड-19 संबंधी एक उच्च स्तरीय समीक्षा बैठक में कृष्णापटनम दवा के बारे में जानकारी हासिल की. उपमुख्यमंत्री (स्वास्थ्य) ए के के श्रीनिवास ने बैठक के बाद कहा, ‘हमने आईसीएमआर और अन्य विशेषज्ञों से इसका अध्ययन कराने का फैसला किया है. जिससे इसके प्रभावी होने का पता लगाया जा सके.’
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उन्होंने कहा कि सरकार ने ‘कृष्णापटनम दवा’ के नाम से जानी जाने वाली इस दवा को बनाने की विधि का अध्ययन करने के लिए विशेषज्ञों का एक दल नेल्लोर भेजने का फैसला किया है.'
उधर चिकित्सक से नौकरशाह बने पी वी रमेश ने इस दवा को ‘आपदा का एक और नुस्खा’ बताया है. आंध्र प्रदेश सरकार के कोविड-19 प्रबंधन की पिछले साल निगरानी कर चुके रमेश ने कहा, ‘सरकारों को अंधविश्वास की इस प्रकार की महामारी को रोकना चाहिए.’
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