'खेला होबे' के नारे से रोकी थी CM की सभा, गिरफ्तारी के बाद यहां जमकर कटा बवाल
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'खेला होबे' के नारे से रोकी थी CM की सभा, गिरफ्तारी के बाद यहां जमकर कटा बवाल

त्रिपुरा (Tripura) पुलिस ने पश्चिम बंगाल की तृणमूल कांग्रेस की नेता सायानी घोष (Saayoni Ghosh ) को हत्या के प्रयास के आरोप में गिरफ्तार किया है. इस खबर की पुष्टि होते ही पश्चिम बंगाल (West Bengal) में भी इस खबर को लेकर जबरदस्त प्रतिक्रिया देखने को मिली.

फाइल फोटो

अगरतला: त्रिपुरा (Tripura) पुलिस ने पश्चिम बंगाल की तृणमूल कांग्रेस की नेता सायानी घोष (Saayoni Ghosh ) को हत्या के प्रयास के आरोप में गिरफ्तार किया है. इस खबर की पुष्टि होते ही पश्चिम बंगाल (West Bengal) में भी इस खबर को लेकर जबरदस्त प्रतिक्रिया देखने को मिली. वहीं त्रिपुरा में भी आक्रोशित टीएमसी नेताओं और समर्थकों ने इसके बाद जमकर बवाल काटा.

  1. त्रिपुरा में बिगड़े थे हालात
  2. दिल्ली तक पहुंची शिकायत
  3. आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी

टीएमसी नेता सायानी की बात करें तो उन पर सीएम बिप्लव कुमार देब की नुक्कड़ सभा के दौरान उन्हें धमकाने का आरोप है. घोष ने बैठक स्थल पर पहुंचकर कथित तौर पर 'खेला होबे' के नारे लगाकर उस सभा में हंगामा किया था. 

'गृह मंत्री से शिकायत'

इस बीच टीएमसी सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने ट्वीट किया, ‘त्रिपुरा में गुजरात मॉडल. अखिल भारतीय तृणमूल कांग्रेस इस तरह की फासीवादी क्रूरता को कभी स्वीकार नहीं करेगी. तृणमूल कांग्रेस के सांसद दिल्ली रवाना.’

वहीं TMC नेता एवं राज्यसभा सदस्य सुष्मिता देब ने पत्रकारों से कहा, 'हमारे उम्मीदवारों को पीटा गया, घरों में तोड़-फोड़ हुई और शिकायत देने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हुई. त्रिपुरा पुलिस का रवैया साफ नहीं है.' 
वहीं तृणमूल कांग्रेस के नेता कुणाल घोष ने कहा कि त्रिपुरा में जिस तरह का लोकतंत्र है तो,' हम अपने नेताओं से पश्चिम बंगाल में BJP के साथ भी यही सुलूक करने को कहेंगे.'

बीजेपी ने किया खंडन

वहीं, भाजपा की त्रिपुरा इकाई के प्रवक्ता नबेंदु भट्टाचार्य ने आरोपों का खंडन किया और कहा कि भाजपा कार्यकर्ताओं ने कभी भी तृणमूल कांग्रेस के किसी समर्थक पर हमला नहीं किया, क्योंकि पार्टी इसे राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी नहीं मानती.

अभिषेक बनर्जी की रैली से पहले गिरफ्तारी 

तृणमूल कांग्रेस की पश्चिम बंगाल इकाई की युवा शाखा की सचिव सायानी घोष को तृणमूल कांग्रेस के महासचिव अभिषेक बनर्जी के दौरे से 24 घंटे पहले हिरासत में लेने के बाद गिरफ्तार किया गया. घोष को पूछताछ के लिए थाने बुलाया गया था. पुलिस सूत्रों ने कहा कि अभिषेक की अगरतला में एक रैली आयोजित करने की योजना थी, जिसे कोविड के वर्तमान हालात को देखते हुए अनुमति नहीं दी गई है.

ट्विटर पर लगातार हमले जारी

वहीं, पार्टी सूत्रों ने बताया कि तृणमूल कांग्रेस सांसदों का एक प्रतिनिधिमंडल त्रिपुरा में पुलिस की कथित बर्बरता के मुद्दे पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात करने के लिए दिल्ली रवाना हो रहा है. सूत्रों ने बताया कि पार्टी के प्रतिनिधिमंडल में 15 से अधिक सदस्य शामिल हैं. टीएमसी ने शाह से मुलाकात का समय मांगा है.

 

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इन धाराओं में दर्ज हुआ केस

वहीं इस मामले को लेकर पुलिस अधिकारी (सदर) रमेश यादव ने कहा कि मुख्यमंत्री के खिलाफ की गई टिप्पणियों के आरोप में सायानी घोष के खिलाफ भादंसं की धारा 307 (हत्या का प्रयास), धारा 153ए (दो समूहों के बीच वैमन्स्य को बढ़ावा देना) के तहत गिरफ्तार किया गया है. यादव ने कहा कि घोष और उनके साथ पहुंचे कुछ लोगों ने मुख्यमंत्री की सभा के दौरान कथित तौर पर पथराव किया.

'खेला होबे के नारे से उकसाने की कोशिश'

एक अधिकारी ने नाम जाहिर नहीं करने की शर्त पर बताया कि बीजेपी के एक कार्यकर्ता ने घोष पर शनिवार रात को मुख्यमंत्री बिप्लव कुमार देब की एक नुक्कड़ सभा को बाधित करने का आरोप लगाया है. उन्होंने कहा कि घोष ने बैठक स्थल पर पहुंचकर 'खेला होबे' के नारे लगाए.

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तृणमूल कांग्रेस के नेताओं ने आरोप लगाया कि पूर्वी अगरतला महिला पुलिस थाने के बाहर उनके कार्यकर्ताओं के साथ बीजेपी के समर्थकों ने धक्का-मुक्की की. हालांकि, बीजेपी (BJP) ने इस आरोप को खारिज किया है.

SC के आदेश की अवमानना: TMC

बनर्जी ने ट्वीट कर त्रिपुरा की भाजपा सरकार पर राजनीतिक दलों के शांतिपूर्ण प्रदर्शन के अधिकारों पर सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का पालन नहीं करने का आरोप लगाया. बनर्जी ने रविवार सुबह को किए गए कथित हमले का वीडियो ट्विटर पर साझा किया और मुख्यमंत्री बिप्लब देब पर निशाना साधते हुए कहा, ' वह हमारे समर्थकों और महिला उम्मीदवारों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के बजाय हमला करने के लिए लगातार गुंडे भेज रहे हैं. त्रिपुरा में सत्तारूढ़ बीजेपी लोकतंत्र का मजाक बना रही है.'

सुप्रीम कोर्ट ने हाल में त्रिपुरा पुलिस को निर्देश दिया था कि वह यह सुनिश्चित करे कि किसी भी राजनीतिक दल को शांतिपूर्ण तरीके से प्रचार करने के अधिकार से वंचित नहीं किया जाए.

(भाषा इनपुट के साथ)

 

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