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नई दिल्ली: भारत में कोयले से बिजली बनाने वाले पावर प्लांट इस वक्त कोयले की कमी (Coal Shortage In India) से जूझ रहे हैं. सेंट्रल इलेक्ट्रिसिटी अथॉरिटी (Central Electricity Authority) के अनुसार, भारत के कोयला से बिजली बनाने वाले 135 पावर प्लांट (Coal Fired Power Plants) में से 16 के पास कोयले का स्टॉक पूरी तरह से खत्म हो गया है. जबकि करीब आधे 72 पावर प्लांट के पास तीन दिन से कम का कोयले का स्टॉक बचा है. बाकी पावर प्लांट के पास एक हफ्ते से भी कम कोयले का स्टॉक है.
जान लें कि भारत में 70 फीसदी बिजली कोयले से ही बनाई जाती है. बिजली बनाने में भारत का 75 प्रतिशत कोयला लग जाता है. कोयले से बनी बिजली सस्ती पड़ती है.
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दरअसल कोरोना वायरस की दूसरी लहर के बाद इंडस्ट्रियल पावर की डिमांड काफी ज्यादा बढ़ गई है. इसकी वजह से कोयले की घरेलू और अंतरराष्ट्रीय कीमतों में बड़ा गैप आ गया है. इसी वजह कोयले के आयात (Import Of Coal) पर काफी असर पड़ा है.
कोल इंडिया (COAL.NS) के मुताबिक, अंतरराष्ट्रीय बाजार में कोयले की कीमत बढ़ने से पावर प्लांट ने आयात होने वाले कोयले पर निर्भरता कम कर दी है. जिसकी वजह से भारत में मौजूद कोयले की खदानों पर खनन को लेकर दबाव बढ़ गया है.
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जान लें कि कोल इंडिया भारत में खदानों से निकाले जाने वाले कोयले की कीमत तय करता है. कोयले की कीमत बढ़ने का असर सीधे बिजली की कीमतों और अन्य सामानों पर पड़ेगा. अंतरराष्ट्रीय बाजार में कोयले की कीमत बढ़ने के बावजूद पिछले कई साल से कोयले की कीमत में कोल इंडिया ने ज्यादा इजाफा नहीं किया है.
गौरतलब है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कोयले की कीमत बढ़ने से चीन (China) भी बिजली के संकट से जूझ रहा है. इसकी वजह से चीन को बीजिंग और शंघाई में भी ब्लैकआउट करना पड़ा.
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