प्रशांत किशोर पर भड़के सलमान खुर्शीद, कहा- स्कूल जाकर फिर से पढ़ें
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प्रशांत किशोर पर भड़के सलमान खुर्शीद, कहा- स्कूल जाकर फिर से पढ़ें

Salman Khurshid On Prashant Kishor's Statement: सलमान खुर्शीद ने प्रशांत किशोर पर निशाना साधते हुए कहा कि पीके को सिर्फ किताबी ज्ञान है. इससे वो लोकतंत्र की नई पटकथा नहीं लिख सकते हैं.

फोटो में बाईं तरफ सलमान खुर्शीद और दाईं तरफ प्रशांत किशोर (फाइल फोटो) | साभार- पीटीआई.

नई दिल्ली: पूर्व केंद्रीय मंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद (Salman Khurshid) ने राजनीतिक रणनीतिकार प्रशांत किशोर (Prashant Kishor) पर तीखा हमला बोला है. सलमान खुर्शीद ने कहा कि सिर्फ चुनाव जीतना ही राजनीति नहीं है. अगर पीके को लोकतांत्रिक व्यवस्था (Democratic System) समझ में नहीं आती है तो वो वापस स्कूल जा सकते हैं.

  1. सलमान खुर्शीद ने प्रशांत किशोर को दी सलाह
  2. राजनीति केवल चुनाव जीतना नहीं है- सलमान खुर्शीद
  3. विपक्ष के नेतृ्त्व पर कांग्रेस के एक व्यक्ति का अधिकार क्यों- पीके

सलमान खुर्शीद का ट्वीट

सलमान खुर्शीद (Salman Khurshid) ने ट्वीट किया, 'पीके लोकतंत्र को लेकर जिज्ञासु हैं. वह कांग्रेस कार्यकर्ताओं की लोकतांत्रिक पसंद पर सवाल उठाने के लिए देवत्व का इस्तेमाल करते हैं. ये हमें बताता है कि राजनीति के बारे में किताबी ज्ञान की नकल मानव आचरण को प्रभावित नहीं करती है. राजनीति केवल चुनाव जीतने के बारे में नहीं है. लेकिन कॉमर्स इसे कैसे जान सकता है?'

स्कूल वापस जाएं पीके- सलमान खुर्शीद

सलमान खुर्शीद ने अगले ट्वीट में लिखा, 'पीके के लिए सबक: दिव्यता आस्था से जुड़ी है. लोकतंत्र विश्वास से जुड़ा है. अन्य लोग लोकतांत्रिक पसंद की पटकथा नहीं लिख सकते. अगर लोकतांत्रिक विकल्प समझ में नहीं आता है तो स्कूल वापस जाएं और नए सिरे से शुरुआत करें. शायद आस्था और आस्था में अंतर करने से बीजेपी को जवाब मिलेगा.'

पीके से क्यों नाराज हैं सलमान खुर्शीद?

दरअसल सलमान खुर्शीद, प्रशांत किशोर से इस वजह से नाराज हैं क्योंकि पीके ने कहा कि विपक्ष के नेतृत्व का फैसला लोकतांत्रिक रूप से होना चाहिए. पीके ने कहा था कि कांग्रेस जिस विचार और स्पेस का प्रतिनिधित्व करती है, वह एक मजबूत विपक्ष के लिए महत्वपूर्ण है. लेकिन कांग्रेस का नेतृत्व किसी व्यक्ति का दैवीय अधिकार नहीं है, खासकर जब पार्टी पिछले 10 वर्षों में 90 फीसदी से अधिक चुनाव हार गई हो. विपक्षी नेतृत्व को लोकतांत्रिक तरीके से तय करने दें.

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