Places To Visit In Ajmer: अजमेर भारत के राजस्थान का एक ऐतिहासिक और प्रमुख पर्यटन स्थल है. पहले इस नगर को 'अजयमेरू' के नाम से भी जाना जाता था. ये शहर शाही और पारंपरिक कल्चर को दर्शाता है. यहां शाही तौर तरीके से पहनावा और श्रृंगार किया जाता है, जो टूरिस्ट को अपनी तरफ आकर्षित करता है. अगर इस जगह के टूरिज्म की बात की जाए तो, ये भारतीय संस्कृति का बेहतरीन नमूना है. ये शहर बहुत सी ऐतिहासिक इमारतों के लिए जाना जाता है, जहां राजपूतों और मुगल बादशाहों की हुकूमत रही है. इससे जुड़ी जानकारियों को और स्मारकों को देखने के लिए लोग बहुत उत्साहित रहते हैं. अगर आप भी यहां घूमने का प्लान कर रहे हैं, तो एक बैग पेक कर लिजिए. दिल्ली से आने के लिए बहुत सारे ट्रांसपोर्ट ऑप्शंस हैं, लेकिन ट्रेन सबसे बेस्ट है, क्योंकि 400 से 500 में यहां आसानी से पहुंच जाएंगे और 500 से 600 तक का होटल में रह सकते हैं. इन जगहों को लिस्ट में सबसे ऊपर रखें, यहां एक से दो दिन में आराम से घूम सकते हैं.
ये भारत की सबसे पुरानी मस्जिदों में और अजमेर की सबसे ऐतिहासिक इमारतों में से एक है. ये पहले मंदिर था, लेकिन इसे 1192 में मोहम्मद गोरी के आदेश पर कुतुबुद्दीन ऐबक ने तोड़कर इसका निर्माण किया. इसमें कुल 70 से स्तंभ है, जिस पर खूबसूरत नक्काशी की गई है और इनकी ऊंचाई लगभग 25 फीट है. माना जाता है कि इस मस्जिद को बनाने में केवल ढाई दिन का समय यानी मात्र 60 घंटे लगे थे. इसलिए इसको 'अढ़ाई दिन का झोपड़ा' कहा जाता है.
ये आर्टिफिशियल झील है और टूरिस्ट के लिए सेंटर अट्रैक्शन है, क्योंकि ये लेक 8.1 किलोमीटर लंबी है और चारों तरफ खूबसूरत पहाड़ों से घिरी हुई है. झील के बीच में एक द्वीप है, जहां नाव से पहुंचा जा सकता है. इसके लिए आपको बोट किराए पर लेनी पड़ेगी. ये अजमेर की सबसे बड़ी झील है और इसे पृथ्वीराज के दादा अनोर्राजा ने 1135 सा 1150 के बीच में बनवाया था.
जैन टेंपल जिसे 'सोनी जी की नसियां' के नाम से भी जाना जाता है. ये मंदिर अपनी बेहतरीन कारीगरी और इसके स्ट्रक्चर के लिए फेमस है. इसके मुख्य कक्ष को स्वर्ण नगरी भी कहा जाता है. जहां अयोध्या को दर्शाया गया है, जिसमें एक किलो सोने का इस्तेमाल किया गया था. इसे 19 वीं सदी में बनवाया गया था. ये मंदिर जैन समुदाय के कल्चर को दिखाता है.
अजमेर में सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह दुनिया भर में मशहूर है. जब आप इसके अंदर जाएंगे तो चांदी के बड़े दरवाजों से होते हुए आंगन में पहुंचेंगे जिसके बीचों बीच उनकी समाधि बनी हुई है. इसे मुगल बादशाह हुमायूं ने ख्वाजा चिश्ती की याद में बनवाई थी.
अकबरी फोर्ट का निर्माण महान मुगल बादशाह अकबर ने 1570 में करवाया था. यहां मुगल और राजपूत की मूर्तियों का कलेक्शन है. ये वो स्थान है जहां सलीम ने बादशाह जहांगीर के रूप में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी को भारत के साथ व्यापार करने का फरमान पढ़ा गया था.
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