PM मोदी ने राज्यसभा में कसा तंज- कांग्रेस को 'मृत्यु की तरह' मिला है वरदान, कभी बदनाम नहीं होती
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PM मोदी ने राज्यसभा में कसा तंज- कांग्रेस को 'मृत्यु की तरह' मिला है वरदान, कभी बदनाम नहीं होती

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को राष्ट्रपति के अभिभाषण पर राज्य सभा में जवाब दिया। उन्होंने धन्यवाद प्रस्ताव में कहा कि सभी सांसदों ने राष्ट्रपति की बात मानी और संसद चलने लगी। कांग्रेस के खिलाफ प्रहार करते हुए कहा कि मृत्यु कभी बदनाम नहीं होती है। कांग्रेस को वरदान मिला हुआ है। वह बदनाम नहीं होती है।

PM मोदी ने राज्यसभा में कसा तंज- कांग्रेस को 'मृत्यु की तरह' मिला है वरदान, कभी बदनाम नहीं होती

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को राष्ट्रपति के अभिभाषण पर राज्य सभा में जवाब दिया। उन्होंने धन्यवाद प्रस्ताव में कहा कि सभी सांसदों ने राष्ट्रपति की बात मानी और संसद चलने लगी। संसद चलने से सांसदों को बोलने का मौका मिला और ज्यादा देर तक काम करने से सांसद खुश हैं। कांग्रेस के खिलाफ प्रहार करते हुए कहा कि मृत्यु कभी बदनाम नहीं होती है। कांग्रेस को वरदान मिला हुआ है। वह बदनाम नहीं होती है। जब मायावती जी के बारे में बोला जाता है तो खबर आती है कि मायावती पर हमला हुआ लेकिन जब कांग्रेस के बारे में बोला जाता है तो कहा जाता है कि विपक्ष पर हमला हुआ।

 

पीएम मोदी ने कहा कि देश को जीएसटी बिल का इंतजार है। दोनों सदनों में तालमेल होना जरूरी है। वह राज्य सभा के सभी सदस्यों से अनुरोध करते हैं कि वे अटके पड़े बिलों को पास कराने में मदद करें और देश में तेजी से होते विकास में अपना योगदान दें। सरकार नीतियों के आधार पर चले, इस पर जोर हो। हमने सत्ता के विकेंद्रीकरण की दिशा में अहम कदम उठाए। लंबित बिल पास करने हैं। 300 संशोधन आए हैं और सबका अपना महत्व है। सदस्यों से अपील है कि संशोधन वापस लें।

कांग्रेस पर चुटकी लेते हुए पीएम मोदी ने कहा कि दो तरह के लोग होते हैं, एक काम करते हैं और दूसरे श्रेय लेते हैं। कांग्रेस ने अगर काम किया होता तो हमें जन-धन लाने की जरूरत नहीं होती। मोदी ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि सत्ता में रहते हुए मेहनत की होती तो जन धन के तहत मुझे लोगों का खाता नहीं खुलवाना पड़ता। उन्होंने कांग्रेस से सवाल किया कि आखिर 30 साल बाद भी गंगा मैली क्यों है?

भाषण का अंत करते हुए उन्होंने शायर निदा फाज़ली की गजल पढ़ी- सभी हैं भीड़ में, तुम भी निकल सको तो चलो; सफर में धूप तो होगी जो चल सको तो चलो; किसी के वास्ते राहें कहां बदलती हैं, तुम अपने आप को खुद ही बदल सको तो चलो। यहां किसी को कोई रास्ता नहीं देता, मुझे गिरा के तुम संभल सको तो चलो।

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