लोकसभा चुनाव तक क्या टिक पाएगी दोस्ती? केजरीवाल को लेकर कांग्रेस में ही हो गई दो फाड़
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लोकसभा चुनाव तक क्या टिक पाएगी दोस्ती? केजरीवाल को लेकर कांग्रेस में ही हो गई दो फाड़

Sanjay Nirupam: मुख्यमंत्री की पोस्ट से रिजाइन ना करने की वजह से कांग्रेस की तरफ से संजय निरुपम ने मोर्चा खोल दिया है. उन्होंने नैतिकता का हवाला दिया और पुराने नेताओं की याद दिलाई. इतना ही नहीं उन्होंने राजा राम की भी याद दिलाई.

लोकसभा चुनाव तक क्या टिक पाएगी दोस्ती? केजरीवाल को लेकर कांग्रेस में ही हो गई दो फाड़

Arvind Kejriwal Delhi CM: आम आदमी पार्टी सुप्रीमो और दिल्ली के सीएम को भी ईडी ने अरेस्ट करके देशभर में सनसनी मचा दी है. इन सबके बीच विपक्ष ने साफ-साफ इस कार्रवाई के लिए मोदी सरकार को जिम्मेदार ठहराया है. राहुल गांधी से लेकर शरद पवार और एमके स्टालिन तक, इंडिया गठबंधन के तमाम नेताओं ने केजरीवाल की गिरफ्तारी की आलोचना की है. लेकिन अब धीरे-धीरे इंडिया गठबंधन में अलग सुर उठने लगे हैं. मुंबई में कांग्रेस नेता और पूर्व सांसद संजय निरुपम ने अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी के बाद उनके इस्तीफे की मांग की है.

असल में संजय निरुपम ने कहा कि नैतिकता के आधार पर केजरीवाल को पद से इस्तीफा देना चाहिए वरना देश में एक खतरनाक ट्रेंड की शुरुआत होगी. उन्होंने कहा कि दिल्ली का शराब घोटाला उसमें कितनी सच्चाई है यह कोर्ट तय करेगा. देश की एक परंपरा है अगर किसी के ऊपर भ्रष्टाचार का आरोप लगा है अगर वो सार्वजनिक जीवन मे है तो अपने संवैधानिक पद पर हैं तो उन्हें पद से इस्तीफा देना चाहिए.

'एक खतरनाक ट्रेंड चल पड़ेगा'
संजय निरुपम यहीं नहीं रुके, उन्होंने कहा कि मेरी जानकारी में हैं कि जेल से सरकार चलाएंगे. अगर ऐसा हुआ तो देश मे एक खतरनाक ट्रेंड चल पड़ेगा. उन्हें नैतिकता के आधार पर पद छोड़ देना चाहिए इस्तीफा देना चाहिए. हालांकि उन्होंने यह जरूर कहा कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल अपने जीवन के सबसे बड़े संकट से गुजर रहे हैं. इंसानियत के नाते उनके प्रति सहानुभूति है. कांग्रेस पार्टी ने भी उन्हें सार्वजनिक रूप से समर्थन दिया है. लेकिन वे भारतीय राजनीति में नैतिकता की जो नई परिभाषा लिख रहे हैं, वह अलग है. 

अडवाणी, सिंधिया कमलनाथ की दिलाई याद..
संजय निरुपम ने सोशल मीडिया पर भी इस बारे में अपने विचार रखे और लिखा कि एक समय था जब एक हवाला कारोबारी जैन की कथित डायरी में अडवाणी जी, माधवराव सिंधिया और कमलनाथ जैसे नेताओं के नाम आए थे और उनपर रिश्वत लेने के आरोप लगे,तब उन्होंने नैतिकता के आधार पर तत्काल अपने पद से इस्तीफा दे दिया था. लाल बहादुर शास्त्री ने एक ट्रेन दुर्घटना पर इस्तीफा दे दिया था.

इंडिया अगेंस्ट करप्शन की भी याद दिलाई...
निरुपम ने लिखा कि जब वे ‘इंडिया अगेंस्ट करप्शन’ का तमाशा पूरे देश को दिखा रहे थे तब यूपीए सरकार के मंत्रियों ने भ्रष्टाचार के छिछले आरोपों पर भी अपने पद से इस्तीफा दे दिया था. कुछ महीने पहले की बात है, झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने गिरफ़्तारी से पहले पद छोड़कर एक नैतिक आचरण पेश किया था. हजारों साल पीछे जाएं तो अपने पिता के वचन के लिए राम ने राजपाट त्याग दिया था. जिसके लिए राजपाट छीना गया था,वह कभी भी राजा रामचंद्र के सिंहासन पर नहीं बैठे,बल्कि खड़ाऊं रखकर तब तक राज चलाया जब तक उनके बड़े भाई राम लौटे नहीं.

इसका फैसला अदालत को करना है..
निरुपम ने कहा कि दिल्ली के शराब घोटाले की सच्चाई क्या है, इसका फैसला अदालत को करना है. पर एक मुख्यमंत्री पर इस घोटाले में भ्रष्टाचार का आरोप लगा है. उनकी गिरफ़्तारी हुई है. वे कस्टडी में हैं और मुख्यमंत्री के पद से अभी तक चिपके हुए हैं? यह कैसी नैतिकता है ? उन्हें तत्काल अपने पद से इस्तीफा देना चाहिए.’ कांग्रेस नेता ने कहा कि भारत की राजनीति में महज़ 11 साल पुरानी पार्टी राजनीति के पूरी तरह अनैतिक हो जाने की एक मिसाल पेश कर रही है.

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