राहुल गांधी ने असम में चुनावी बिगुल फूंकते हुए कहा कि अगर कांग्रेस सत्ता में आती है तो वो सीएए को लागू नहीं होने देगी. राहुल के इस बयान के बाद बीजेपी नेता हेमंत बिस्व सरमा ने कहा कि राहुल अरबी लोगों से सलाह लेते हैं. इसलिए उनकी चुनावी रैली असफल रही है.
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शिवसागर: भारतीय जनता पार्टी (BJP) और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) पर असम (Assam) को विभाजित करने का आरोप लगाते हुए कांग्रेस नेता राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने रविवार को कहा कि उनकी पार्टी असम समझौते के हर सिद्धांत की रक्षा करेगी. और अगर कांग्रेस (Congress) राज्य में सत्ता में आती है तो कभी भी संशोधित नागरिकता कानून (CAA) लागू नहीं करेगी.
असम में चुनावी बिगुल फूंकते हुए राहुल गांधी ने मोदी सरकार पर बार-बार प्रहार किया और उन पर ‘हम दो हमारे दो’ की सोच के साथ काम करने का आरोप लगाया. इस नारे का इस्तेमाल हाल ही में उन्होंने लोक सभा में यह बताने के लिए किया था कि देश को चार लोग मिलकर चला रहे हैं. असम में इस साल होने वाले विधान सभा चुनाव (Assam Assembly Elections 2021) से पहले अपनी पहली जनसभा में मंच पर गांधी और पार्टी के अन्य नेता ‘गमछा’ पहने हुए थे, जिसपर सांकेतिक रूप से ‘CAA’ शब्द को काटते हुए दिखाया गया, जो विवादास्पद कानून के खिलाफ एक संदेश था.
गांधी ने आगे कहा कि असम के पूर्व मुख्यमंत्री तरुण गोगोई (Tarun Gogoi) ऐसे सिपाही थे जिन्होंने राज्य को एकजुट किया और उसकी रक्षा में अपना पूरा जीवन खपा दिया. बिना किसी का नाम लिए गांधी ने प्रधानमंत्री के पूर्व प्रधान सचिव नृपेंद्र मिश्रा (Nripendra Misra) को पद्म भूषण दिए जाने का परोक्ष रूप से जिक्र करते हुए कहा, ‘इसी पुरस्कार सूची, जिसमें तरुण गोगोई थे, उसमें PMO के एक नौकरशाह का भी नाम था और मुझे बड़ी निराशा हुई कि भारत सरकार ने तरुण गोगोई और इस राज्य का अपमान किया.
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एकतरफ तो एक ऐसा व्यक्ति है जिसने लोगों के वास्ते अपना जीवन लगा दिया, असम को एकजुट किया और भारत के झंडे की रक्षा की, जबकि दूसरी तरफ पीएमओ का एक नौकरशाह है जिसने बस प्रधानमंत्री की तारीफ की. तरुण गोगोई मेरे गुरु थे और मुझे अच्छा नहीं लगा.
असम समझौते के महत्व पर बल देते हुए गांधी ने कहा कि यह एक तरह से असम का रक्षक और शांति का टूल है. मैं आपको बताना चाहता हूं कि मैं और मेरी पार्टी के कार्यकर्ता समझौते के सिद्धांतों की रक्षा करेंगे. हम इससे एक इंच भी पीछे नहीं हटेंगे. गांधी ने कहा कि असम में अवैध माइग्रेशन एक मुद्दा है और विश्वास जताया कि राज्य के लोगों में वार्ता के माध्यम से मुद्दे के समाधान की क्षमता है.
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असम समझौते के मुद्दे पर भाजपा (BJP) और आरएसएस (RSS) पर राज्य को विभाजित करने का आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा, 'अगर असम बंटता है तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) या आपके मुख्यमंत्री (सर्बानंद सोनोवाल) पर प्रभाव नहीं पड़ेगा, बल्कि असम के लोग और शेष भारत को नुकसान होगा.' इस राज्य के महत्व पर बल देते हुए पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि यह भारत के गुलदस्ते में सुंदर फूल है. कभी यह मत भूलिए कि जितना आपको देश की जरूरत है, उतना ही देश को आपकी जरूरत है. यदि असम में हिंसा होती है और यह बंटता है तो देश के साथ राज्य को भी नुकसान पहुंचेगा और हम ऐसा होने नहीं देंगे.
200 रुपये तक बढ़ेगी चाय मजदूरों की दिहाड़ी
संबोधन के दौरान उन्होंने यह दर्शाने के लिए हाथ में 167 रुपये लेकर लोगों को दिखाया कि चाय मजदूरों को बस इतनी राशि मिलती है जबकि गुजरात के व्यापारी लोग चाय बागान पा जाते हैं. यही वजह है कि वे असम को बांटना चाहते हैं, क्योंकि उन्हें मालूम है कि यदि असम से चोरी करनी है तो राज्य को बांटना होगा. लेकिन कांग्रेस उसमें 200 रुपये जोड़ेगी और चाय श्रमिकों को 365 रुपये की दिहाड़ी देगी.
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राहुल गांधी के भाषण के बाद असम सरकार में मंत्री हेमंत बिस्व सरमा ने पलटवार करते कहा कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी अरबी बोलने वालों से सलाह लेते हैं. इसलिए राज्य में उनकी पहली चुनावी रैली असफल रही. उनका इशारा संभवत: आल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (AIUDF) के अध्यक्ष बदरुद्दीन अजमल (Badruddin Ajmal) की तरफ था. बता दें कि अजमल धुबरी से लोक सभा सदस्य हैं. उनकी पार्टी के 14 विधायक हैं जिनमें से अधिकतर असम के मुस्लिम बहुल इलाकों से आते हैं.
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