बिजली क्षेत्र में सुधारों को आगे बढ़ाने की केंद्र सरकार की प्रतिबद्धता पर बल देते हुए बिजली मंत्री आर के सिंह ने कहा है कि लोगों को दूरसंचार सेवा की तरह बिजली खरीदने के लिए अपने क्षेत्र में एक से अधिक आपूर्तिकर्ताओं का विकल्प दिया जाएगा.
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नई दिल्ली: बिजली क्षेत्र में सुधारों को आगे बढ़ाने की केंद्र सरकार की प्रतिबद्धता पर बल देते हुए बिजली मंत्री आर के सिंह ने कहा है कि लोगों को दूरसंचार सेवा की तरह बिजली खरीदने के लिए अपने क्षेत्र में एक से अधिक आपूर्तिकर्ताओं का विकल्प दिया जाएगा. इसके लिये बिजली कानून में संशोधन किया जाएगा. बिजली मंत्रालय आगामी बजट सत्र में बिजली संशोधन विधेयक लाने की तैयारी में है जिसमें अन्य बातों के अलावा बिजली आपूर्ति और वितरण नेटवर्क के कारोबार को अलग-अलग करने का प्रावधान होगा. नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय की भी जिम्मेदारी संभाल रहे सिंह ने ‘भाषा’ से बातचीत में कहा, ‘‘हम बिजली कानून में कई संशोधन ला रहे हैं. इसमें ‘कैरेज और कंटेट’ (वितरण नेटवर्क और बिजली आपूर्ति) कारोबार को अलग करने का भी प्रावधान होगा.
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जिस प्रकार हमने उत्पादन और वितरण को अलग किया, अब आपूर्ति और वितरण कारोबार को अलग-अलग करना है. मसौदा मेरे पास अगले चार-पांच दिन में आ जाएगा. हम संसद के बजट सत्र में इसे पारित कराने की कोशिश करेंगे. ’’ वितरण और आपूर्ति कारोबार को अलग करने से नई व्यवस्था आएगी. इससे ग्राहकों के पास बिजली खरीदने के लिए अपने क्षेत्र में बिजली की अपूर्ति करने वाली एक से अधिक कंपनियों के बीच चुनाव करने का विकल्प उपलब्ध होगा.
यह उसी प्रकार होगा जैसा कि दूरसंचार सेवा क्षेत्र में है. इस बारे में विस्तार से बताते हुए बिजली मंत्री सिंह ने कहा, ‘‘एक बार कानून का संशोधन हो जाता है, उसके बाद हम राज्यों के साथ विचार-विमर्श कर बिजली वितरण कंपनियों के वितरण नेटवर्क और आपूर्ति इकाइयों को अलग करने के लिये रूपरेखा तैयार करेंगे. उसके बाद एक बिजली आपूर्ति क्षेत्र में एक से अधिक कंपनियों को फ्रेंचाइजी दिया जाएगा जिससे आपूर्ति क्षेत्र में मौजूदा एकाधिकार की स्थिति समाप्त होगी. ’’ उन्होंने यह भी कहा कि संशोधन में वितरण कंपनियों पर अक्षय ऊर्जा खरीद की शर्त (आरपीओ) कड़ाई से लागू की जाएगी.
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इसके अलावा विधेयक में क्रास सब्सिडी यानी एक वर्ग से ऊंचा मूल्य लेकर दूसरे वर्ग के उपभोक्ता को सस्ती दर पर बिजली देने के मामले में दर का फर्क 20 प्रतिशत से कम रखने की शुल्क नीति अनिवार्य की जाएगी. इसका मतलब है कि उच्च और न्यूनतम शुल्क दरों में 20 प्रतिशत से अधिक अंतर नहीं होना चाहिए जो अभी काफी ज्यादा है. मंत्री ने कहा कि इससे उद्योग को मिलने वाली बिजली की दरें युक्तिसंगत होंगी जो फिलहाल काफी ऊंची होती हैं.
डीबीटी का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि बिजली खपत मामले में दक्षता में सुधार लाने के मकसद से संशोधन विधेयक में किसानों एवं पात्र लाभार्थियों को सब्सिडी का लाभ प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी) के जरिये मिलेगा. यानी संबंधित उपभोक्ता बिजली जितनी चाहे खपत करे, उसे शुरू में जेब से भुगतान करना होगा और सब्सिडी सीधे उनके बैंक खाते में जाएगी. इससे खपत को बेहतर बनाया जा सकेगा.
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एक सवाल के जवाब में मंत्री ने कहा, ‘‘बिजली मांग में वृद्धि दर अच्छी रहेगी. इसके दो कारण है. पहला, हम दिसंबर 2018 तक सौभाग्य योजना के तहत चार करोड़ से अधिक ग्राहकों को जोड़ रहे हैं. इसके अलावा औद्योगिक वृद्धि के साथ बिजली खपत की मांग और बढ़ेगी. ’’ सौभाग्य (प्रधानमंत्री सहज बिजली हर घर बिजली) के तहत चार करोड़ परिवार को दिसंबर 2018 तक बिजली कनेक्शन उपलब्ध कराने का लक्ष्य रखा गया है.
उन्होंने कहा कि आने वाले समय में देश में प्रति व्यक्ति बिजली खपत बढ़ेगी. फिलहाल यह 10,075 यूनिट है जो यूरोप में 5,000 से 6,000 इकाई तथा अमेरिका में करीब 11,000 यूनिट है.