Madhya Pradesh: सिख धर्म के कार्यक्रम में कमलनाथ के पहुंचने पर विवाद, आयोजकों पर भड़के कीर्तनकार, बोले- 'आपको कैसी राजनीति करनी है'
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Madhya Pradesh: सिख धर्म के कार्यक्रम में कमलनाथ के पहुंचने पर विवाद, आयोजकों पर भड़के कीर्तनकार, बोले- 'आपको कैसी राजनीति करनी है'

Madhya Pradesh News: इंदौर के खालसा महाविद्यालय में मंगलवार को आयोजित कार्यक्रम के दौरान राज्य कांग्रेस समिति के अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के अलावा बीजेपी के पूर्व लोकसभा सदस्य कृष्णमुरारी मोघे भी मौजूद थे. 

Madhya Pradesh: सिख धर्म के कार्यक्रम में कमलनाथ के पहुंचने पर विवाद, आयोजकों पर भड़के कीर्तनकार, बोले- 'आपको कैसी राजनीति करनी है'

Indore News: इंदौर में गुरु नानक जयंती पर सिखों के धार्मिक कार्यक्रम में वरिष्ठ कांग्रेस नेता कमलनाथ के पहुंचने पर विवाद पैदा हो गया है.  शहर के खालसा महाविद्यालय में मंगलवार को आयोजित कार्यक्रम के दौरान राज्य कांग्रेस समिति के अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के अलावा बीजेपी के पूर्व लोकसभा सदस्य कृष्णमुरारी मोघे भी मौजूद थे. चश्मदीदों ने बताया कि आयोजकों ने इन राजनेताओं को स्मृति चिन्ह देकर सम्मान किया जिससे कीर्तन के कार्यक्रम में आधे घंटे की देरी हुई.

कानपुरी ने लगाई आयोजकों को लताड़
पंथ के मशहूर कीर्तनकार मनप्रीत सिंह कानपुरी ने कमलनाथ के जाने के बाद आयोजकों को लताड़ लगाते हुए कीर्तन के मंच से पंजाबी में कहा,‘आप किस सिद्धांत की बात करते हो? आपको टायर डाल कर जला दिया गया था, फिर भी आप नहीं सुधरते. आपको कैसी राजनीति करनी है?’ क्रोधित कीर्तनकार ने धार्मिक नारे लगा रहे श्रोताओं को शांत करते हुए कहा कि उनके भीतर जमीर (अंतरात्मा) नहीं है और उनकी बात नोट कर ली जाए कि उन्हें ‘दोबारा’ इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा.

कानपुरी के सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे इस बयान में कानपुरी ने हालांकि कमलनाथ का नाम नहीं लिया, लेकिन उन्होंने वर्ष 1984 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद भड़के सिख विरोधी दंगों की ओर स्पष्ट इशारा किया और धार्मिक कार्यक्रम में राजनेताओं को बुलाकर उनका स्वागत-सम्मान किए जाने पर तीखे शब्दों में नाराजगी जताई.

प्रदर्शनकारियों ने कहा कि गुरुद्वारे का शुद्धिकरण किया गया
इस घटनाक्रम के सियासी तूल पकड़ने के बीच बुधवार को बीजेपी के घोषित कार्यक्रम के मुताबिक सिख समुदाय के लोगों के एक समूह ने धार्मिक आयोजन में कमलनाथ को बुलाए जाने पर विरोध जताया. प्रदर्शनकारियों ने कहा कि उन्होंने अमृतसर के दरबार साहिब गुरुद्वारे का पवित्र जल और दूध छिड़ककर इंदौर के खालसा महाविद्यालय के उस कार्यक्रम स्थल का शुद्धिकरण किया जहां मंगलवार को कमलनाथ आए थे.

हम बेहद नाराज हैं
प्रदर्शनकारियों की अगुवाई कर रहे स्थानीय बीजेपी नेता ऋषि सिंह खनूजा ने कहा,‘‘सिखों के धार्मिक कार्यक्रम में कमलनाथ को बुलाकर उनका स्वागत-सम्मान और गुणगान किए जाने से हम बेहद नाराज हैं. हम 1984 के दंगों के मामले में कमलनाथ को जेल की सलाखों के पीछे देखना चाहते हैं.’’

नरोत्तम मिश्रा ने साधा निशाना
कांग्रेस ने खालसा महाविद्यालय में आयोजित कार्यक्रम के विवादास्पद घटनाक्रम को "भाजपा के कुछ लोगों द्वारा प्रायोजित’’ बताया है, जबकि राज्य के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कमलनाथ पर हमला बोला है. मिश्रा ने कहा, ‘‘जिस तरह पुरातन काल में आसुरी शक्तियां साधु-संतों के यज्ञ में विघ्न डालती थीं, इंदौर के इस कार्यक्रम में कमोबेश उसी तरह का आचरण किया गया. 1984 के नरसंहार के आरोपियों से भला और क्या उम्मीद की जा सकती है.’’

गौरतलब है कि कानपुरी ने यह भी कहा था कि वह अपनी जिंदगी में दोबारा इंदौर नहीं आएंगे. इस पर मिश्रा ने कहा,‘इंदौर का प्रभारी मंत्री होने के नाते मेरा कानपुरी से विनम्र आग्रह है कि वह उन लोगों के कुकृत्य की सजा पूरे शहर को न दें जो अपने पापों को ढंकने के लिए गुरु नानक जयंती के कार्यक्रम में प्रायोजित तौर पर गए थे. कानपुरी को दोबारा इंदौर न आने के निर्णय पर फिर से विचार करना चाहिए.’

कांग्रेस ने पूरे विवाद पर क्या कहा?
उधर, प्रदेश कांग्रेस समिति के मीडिया विभाग के अध्यक्ष केके मिश्रा ने आरोप लगाया कि खालसा महाविद्यालय में कमलनाथ के जाने के बाद हुआ घटनाक्रम ‘बीजेपी के कुछ लोगों द्वारा प्रायोजित’ है. उन्होंने 1984 के सिख विरोधी दंगों में कमलनाथ की भूमिका को लेकर बीजेपी की ओर से अक्सर लगाए जाने वाले आरोपों को ‘पूरी तरह निराधार’ करार दिया और कहा, ‘इन दंगों के बाद कमलनाथ ने पांच बार लोकसभा चुनाव जीते हैं. यह बात कमलनाथ के खिलाफ नरोत्तम मिश्रा के आरोपों को खत्म करने के लिए बड़ा प्रमाण है.’

कांग्रेस नेता मिश्रा ने कमलनाथ का बचाव करते हुए यह भी कहा कि गुरु नानक के दरबार में मत्था टेकना हर भारतीय का हक है और गुरु नानक जयंती के कार्यक्रम में कमलनाथ के पहुंचने पर स्थानीय सिख समुदाय ने कोई आपत्ति नहीं जताई थी.

(इनपुट - भाषा)

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