भारत में बच्चों के लिए वैक्सीन (Corona Vaccine) का इंतजार इसी महीने खत्म हो सकता है. एक कंपनी ने बच्चों के लिए वैक्सीन तैयार कर ली है. जिसका जल्द ही इस्तेमाल शुरू हो सकता है.
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नई दिल्ली: भारत में बच्चों के लिए वैक्सीन (Corona Vaccine) का इंतजार इसी महीने खत्म हो सकता है. सरकार के सूत्रों के मुताबिक एक कंपनी ने बच्चों के लिए वैक्सीन तैयार कर ली है. जिसका जल्द इस्तेमाल शुरू हो सकता है.
जानकारी के मुताबिक जायडस कैडिला ने बच्चों (Children) के लिए वैक्सीन तैयार कर ली है. कंपनी इसी महीने अपनी वैक्सीन के इस्तेमाल के लिए ड्रग कंट्रोलर से मंजूरी मांग सकती है. इस वैक्सीन का ट्रायल वयस्कों के साथ-साथ 12 से 18 वर्ष के बच्चों पर भी किया गया है. ऐसे में हो सकता है कि भारत में बच्चों के लिए वैक्सीन की मंजूरी पाने वाली यह पहली कंपनी बन जाए.
देश के माता-पिता को बच्चों के लिए जल्द से जल्द वैक्सीन चाहिए. दूसरी लहर में कोरोनावायरस (Coronavirus) के खतरे को देखते हुए स्कूल भी बिना वैक्सीनेशन के बच्चों को स्कूल न बुलाने के मूड में हैं. ऐसे में बड़ा सवाल ये है कि बच्चों की वैक्सीन आखिर कब तक आ जाएगी. सरकार के सूत्रों की माने तो यह खुशखबरी इसी महीने आ सकती है. Zydus कैडिला इसी महीने अपनी वैक्सीन के इस्तेमाल के लिए ड्रग कंट्रोलर से मंजूरी मांग सकती है.
भारत की स्वदेशी वैक्सीन कोवैक्सीन के भी बच्चों (Children) पर ट्रायल किए जा रहे हैं. इसे तीन हिस्सों में बांट कर किया जा रहा है. इनमें 2 से 5 वर्ष का आयु वर्ग, 5 से 12 वर्ष आयु वर्ग और 12 से 18 वर्ष के बच्चों के शामिल होने की उम्मीद है. माना जा रहा है कि 2 से 3 महीने में 12 से 18 वर्ष के बच्चों की वैक्सीन तैयार हो जाएगी. इस वैक्सीन के वयस्कों पर ट्रायल पहले ही पूरे हो चुके हैं और यह भारत में लोगों को लगाई जा रही है.
पिछले डेढ़ साल से दिल्ली समेत देशभर के स्कूल सूने पड़े हैं. बच्चे कंप्यूटर और मोबाइल फोन की स्क्रीन में कैद होकर पढ़़ने को मजबूर है. अब धीरे-धीरे अनलॉक होने के बाद देश में हर कोई सामान्य जीवन जीना चाहता है. हाल में सोशल मीडिया पर नो वैक्सीन, नो स्कूल मुहिम चलाई गई. मतलब साफ है कि डरे हुए माता-पिता बिना वैक्सीन के बच्चों को स्कूल नहीं भेजना चाहते. स्कूल मैनेजमेंट को भी ऐसा ही लगता है.
बताते चलें कि देश में 12 से 18 वर्ष की आयु के करीब 12 से 14 करोड़ बच्चे हैं. इनके लिए करीब 25 करोड़ वैक्सीन (Corona Vaccine) की जरूरत पड़ेगी. ऐसे में विदेशों में बच्चों को लगाई जा रही फाइजर और मॉडर्ना की वैक्सीन भी भारत में लाई जा सकती हैं. हालांकि वयस्कों को लगाने के लिए ही सरकार इन वैक्सीनों को भारत में लाने के लिए अब तक कामयाब नहीं हो पाई है. ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि भारत में बच्चों के वैक्सीनेशन के मामले में जी हमें अपनी ही वैक्सीन के भरोसे रहना होगा.
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अमेरिकी बच्चों (Children) के कोरोना वैक्सीनेशन के अनुभव से पता चलता है कि 12 से 15 साल तक के बच्चों में बड़ों के मुकाबले ज्यादा बुखार आता है. बच्चों का इम्यून रिस्पांस बड़ों के मुकाबले ज्यादा सक्रिय होता है. इसलिए उनमें इंजेक्शन वाली जगह पर सूजन और बुखार जैसे लक्षण 3 दिन तक रह सकते हैं. कई एक्सपर्ट का मानना है कि देश में बहुत से बच्चे कोरोनावायरस से संक्रमित होकर रिकवर भी कर चुके हैं और उन्हें वैक्सीन की जरूरत नहीं है. फिर भी तीसरी लहर को लेकर बच्चों पर मंडरा रहे खतरे की आशंका के बीच कोई भी समझौता करने को तैयार नहीं है.
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