भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के महत्वपूर्ण मिशन में एक 'गगनयान' अभी आगे नहीं बढ़ सकेगा.
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नई दिल्ली: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के महत्वपूर्ण मिशन में एक 'गगनयान' अभी आगे नहीं बढ़ सकेगा. वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के कारण देश के पहले मानव अंतरिक्ष मिशन गगनयान की प्रैक्टिकल ट्रेनिंग को रूस में रोक दिया गया है. हालांकि भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों की पढ़ाई जारी है.
4 भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों का मास्को स्थित गगारिन कॉस्मोनॉट ट्रेनिंग सेंटर में प्रैक्टिकल हो रहा है. वर्तमान में अंतरिक्ष यात्री रूस के स्टार सिटी में रह रहे हैं. स्पेसशिप के ऑनबोर्ड सिस्टम पर एक परीक्षा अप्रैल की शुरुआत में हुई थी.
Glavkosmos प्रेस सर्विस ने एक बयान में कहा, ''चार भारतीय अंतरिक्ष यात्री (एस्ट्रोनॉट्स) वैश्विक महामारी के कारण आइसोलेशन में हैं. वह घर से ही परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं.'' Glavkosmos, जो कि रूसी अंतरिक्ष एजेंसी, Roscosmos की सहायक कंपनी है. जिसने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के साथ भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों की ट्रेनिंग के लिए एक कॉन्ट्रैक्ट साइन किया है.
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गगनयान को लेकर चल रही एस्ट्रोनॉट्स ट्रेनिंग एग्जाम अप्रैल में आयोजित होना था. हालांकि रूस में वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के मद्देनजर 28 मार्च से 30 अप्रैल तक लॉकडाउन घोषित हो गया था. बाद में लॉकडाउन को 11 मई तक के लिए बढ़ा दिया गया.
मार्च मे भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों ने एक साल की ट्रेनिंग का एक चौथाई कोर्स पूरा कर लिया है. भारत अपने गगनयान मिशन में रूस की मदद ले रहा है क्योंकि उस देश के पास मानव अंतरिक्ष उड़ानों में अनुभव बहुत ज्यादा है और बीते 50 वर्षों में मानव अंतरिक्ष उड़ान में उसका अनुभव शानदार भी रहा है.
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आपको बता दें कि 15 अगस्त 2018 को अपने स्वतंत्रता दिवस के भाषण के दौरान पीएम मोदी द्वारा 10,000 करोड़ रुपये के गगनयान प्रोजेक्ट का ऐलान किया था. गगनयान मिशन के तहत तीन एस्ट्रोनॉट्स को सात दिनों के लिए अंतरिक्ष में भेजा जाएगा. रूस, अमेरिका और चीन के बाद भारत मानव अंतरिक्ष मिशन करने वाला चौथा देश बन जाएगा.