कोरोना के इलाज में काम आने वाली टोसिलिजुमैब और रेमडेसिवीर दवाओं की किल्लत मुंबई में बढ़ती जा रही है.
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मुंबई: कोरोना के इलाज में काम आने वाली टोसिलिजुमैब और रेमडेसिवीर दवाओं की किल्लत मुंबई में बढ़ती जा रही है. मरीजों के रिश्तेदारों को इन दवाओं के लिए मेडिकल स्टोरों के चक्कर काटने पड़ रहे हैं. इस बीच महाराष्ट्र सरकार ने इन दवाओं की कमी को पूरा करने और कालाबाजारी पर नकेल कसने के कई कदम उठाने का वादा किया है.
कोरोना संक्रमण से जूझ रही मुंबई अब कोरोना के इलाज में खासी कारगर रेमडेसिवीर और टोसिलिजुमैब दवाओं की किल्लत से भी जूझ रही है. निजी हॉस्पिटलों और कुछ मेडिकल स्टोरों में इसकी तय कीमत से भी ऊंचे दाम पर बिक्री की शिकायत महाराष्ट्र सरकार के पास आ रही है.
इन दवाओं का शहर मे स्टॉक कम पड़ गया है. इन दवाओं को लेने के लिए मेडिकल स्टोर पर लंबी लाइनें लगी देखी गई हैं.
मुंबई में कोरोना संक्रमितों की संख्या 90 हजार और मौतों का आंकड़ा भी 5 हजार को पार कर चुका है. ऐसी कारगर दवाओं की किल्लत मरीजों की जान को खतरा बढ़ रहा है. रेमडेसिवीर और टोसिलिजुमैब दवाएं खासी तेजी से असर करती हैं.
हालात बिगड़ते देख महाराष्ट्र सरकार हरकत में आई है. राज्य सरकार ने इन दवाओं का स्टॉक दो एक दिनों में बाजारों में मुहैया कराने का ऐलान किया है और साथ ही दावा इन जीवन आवश्यक दवाओं की खरीद फरोख्त में आधार कार्ड से बिक्री को आदेश दिया है. सरकार इन दवाओं की कालाबाजारियों पर सख्ती बरतने की तैयारी में है.
कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाव में बेहद कारगर रेमडेसिवीर इंजेक्शन को दो हफ्ते पहले ही देश में मंजूरी मिली है. इस दवा की कालाबाजारी की ये हालत है कि कई निजी अस्पताल और बिचौलिए इसे ब्लैक में करीब पचास हजार रुपये तक की कीमत में बेच रहे हैं, जबकि दवा कंपनी सिप्ला ने रेमडेसिवीर की कीमत चार हजार रुपए और हेटेरो फार्मेसी कंपनी ने 5,400 रुपए तय की है.
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