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नई दिल्ली: दुनियाभर के कई गरीब देश इस समय कोरोना वैक्सीन (Corona Vaccine) की सीमित आपूर्ति के कारण अपने देश के टीकाकरण कार्यक्रम को सही से नहीं चला पा रहें हैं. कई देश ऐसे हैं जहां टीकाकरण अभियान शुरू होने के बाद वैक्सीन की कमी हो गई है, जबकि कुछ देशों में पहली डोज लगने के बाद लोग दूसरी डोज नहीं लगवा पा रहे हैं.
इस स्थिति को देखते हुए विश्व स्वास्थ संगठन (WHO) ने ट्वीट कर ऐसे देशों को एक सलाह दी है, जहां वैक्सीन की आपूर्ति सीमित है. WHO का कहना है कि एस्ट्राजेनेका (AstraZeneca) की पहली डोज के बाद अगर दूसरी डोज की कमी है तो ऐसे देश दूसरी डोज के रूप में m-RNA वैक्सीन फाइजर या फिर मोडर्ना की लगवा सकते हैं. विश्व स्वास्थ संगठन ने अपनी सलाह के पीछे वैक्सीन की डोज को मिक्स करने के शोधों का सहारा लिया है.
A second dose of Pfizer or Moderna can be used after a first dose of AstraZeneca in some situations. #COVID19 pic.twitter.com/dErbKOrny0
— World Health Organization (WHO) (@WHO) August 6, 2021
विश्व स्वास्थ संगठन के मुताबिक, वैक्सीन की दो डोज को मिक्स करने, यानी एक डोज एस्ट्राजेनेका और दूसरी डोज m-RNA वैक्सीन के लगाने पर वैज्ञानिक शोध कर रहें हैं. वैज्ञानिक शोधों के प्रारंभिक नतीजों में पाया गया है कि पहली डोज एस्ट्राजेनेका और दूसरी डोज m-RNA वैक्सीन जैसे फाइजर या मोडर्ना को लगाना सुरक्षित भी है, और प्रभावी भी. ऐसे में जिन देशों में वैक्सीन की भीषण कमी है वो इस तरीके का इस्तेमाल करके अपने नागरिकों को कोरोना वायरस से सुरक्षित रख सकते हैं.
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एक डेटा के मुताबिक, विश्व के 214 में से 51 देश ऐसे हैं जिनके देश में टीकाकरण अभियान विश्व स्वास्थ संगठन की मदद पर ही आधारित है. ये सभी देश गरीब देशों की सूची में आते हैं. इन देशों ने अपने नागरिकों का टीकाकरण करने के लिए किसी भी वैक्सीन निर्माता कंपनी से करार ही नहीं किया. इन देशों को उनके नागरिकों के टीकाकरण के लिए ना सिर्फ वैक्सीन विश्व स्वास्थ संगठन मुफ्त में मुहैया करवाता है. बल्कि इन देशों में टीकाकरण कार्यक्रम की भी पूरी जिम्मेदारी विश्व स्वास्थ संगठन पर ही है.
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