Corona Vaccine: Serum Institute ने मांगी Covishield के इमरजेंसी उपयोग की मंजूरी
Advertisement
trendingNow1801559

Corona Vaccine: Serum Institute ने मांगी Covishield के इमरजेंसी उपयोग की मंजूरी

भारत में जल्द कोरोना वैक्सीन (Corona Vaccine) आ सकती है, ऐसे संकेत मिल रहे हैं. सीरम इंस्टीट्यूट (Serum Institute) ने ‘कोविशील्ड’ (Covishield) के इमरजेंसी अप्रूवल के लिए आवेदन किया है.

 

प्रतीकात्मक चित्र.

नई दिल्ली: भारत में अमेरिकी कंपनी फाइजर के बाद अब ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी-एस्ट्राजेनेका और सीरम इंस्टीट्यूट (Serum Institute) की साझा वैक्सीन ‘कोविशील्ड’ (Covishield) के इमरजेंसी अप्रूवल के लिए आवेदन कर दिया गया है. इसी सप्ताह भारत बायोटेक और आईसीएमआर (ICMR) वाली कोवैक्सीन (Covaxin) भी मंजूरी के लिए आवेदन कर सकती है.

  1. ‘कोविशील्ड’ के इमरजेंसी अप्रूवल के लिए सीरम ने किया आवेदन

    अमेरिकी कंपनी फाइजर पहले ही कर चुकी है आवेदन
  2. बायोटेक और आईसीएमआर भी जल्द कर सकते हैं आवेदन

कब मिलेगी वैक्सीन?
इन आवेदनों का मतलब ये है कि लोगों तक वैक्सीन पहुंचने की दिशा में एक कदम और आगे बढ़ गया है. लेकिन बड़ा सवाल ये है कि आप तक कौन सी वैक्सीन पहुंचेगी और कब? जिस वैक्सीन को इस्तेमाल की मंजूरी सबसे पहले मिल जाएगी कोरोना वैक्सीन (Corona vaccine) के बाजार पर उसकी पकड़ बाकियों के मुकाबले मजबूत हो जाएगी. इसीलिए रेस में बने रहते हुए भारत में दो वैक्सीन कंपनियां इमरजेंसी यूज के प्रावधान के तहत ड्रग कंट्रोलर के दरवाजे पर पहुंच चुकी हैं.

कब मिलती है इमरजेंसी मंजूरी?
भारत में किसी भी दवा या वैक्सीन के इस्तेमाल के लिए ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया की मंजूरी जरुरी होती है. इस मंजूरी के लिए आवेदन अमूमन ट्रायल खत्म होने और स्वायत्त एजेंसी के द्वारा ट्रायल का विश्लेषण करने के बाद किया जाता है. लेकिन कोरोना वायरस संक्रमण (Coronavirus) में इमरजेंसी का हवाला देते हुए सभी कंपनियां वैक्सीन (Corona Vaccine) के इस्तेमाल के लिए आपात मंजूरी के तहत आवेदन कर रही हैं. ये आवेदन तब किया जाता है जब कोई महामारी इतनी फैल जाए जिसकी वजह से मौतों और बीमारों का आंकड़ा बहुत बढ़ता जा रहा हो.

करना होगा डाटा सार्वजनिक
ट्रायल पूरे करने के बाद आमतौर पर वैक्सीन का डाटा सार्वजनिक करना होता है. डाटा सार्वजनिक करने का तरीका ये होता है कि किसी प्रतिष्ठित मेडिकल जर्नल के पास रिसर्च और उसके नतीजों का विस्तृत ब्यौरा भेजा जाए. अगर जर्नल प्रकाशित करने वाले संतुष्ट होते हैं तभी उस डाटा को प्रकाशित किया जाता है. इसके बाद स्वायत्त एजेसियां इस दावे की जांच करती हैं. भारत में ड्रग कंट्रोलर की एक्सपर्ट कमेटी वैक्सीन कंपनी के दावों की जांच करती है. अगर फायदा बहुत ज्यादा और नुकसान का अंदेशा न के बराबर हो तो वैक्सीन को इस्तेमाल की मंजूरी मिल सकती है.

स्वदेशी वैक्सीन को लेकर ज्यादा भरोसा
एम्स (AIIMS) के पूर्व निदेशक डॉ एमसी मिश्रा ने भारत बायोटेक और आईसीएमआर (ICMR) वाली कोवैक्सीन (Covaxin) की पहली डोज लगवा ली है. डॉ मिश्रा के मुताबिक उन्हें वैक्सीन लगवाने के बाद कोई साइड इफेक्ट भी नहीं हुए हैं. इससे आप अंदाजा लगा सकते हैं कि स्वदेशी वैक्सीन को लेकर भरोसा सबसे ज्यादा जताया जा रहा है.

यह भी पढ़ें: Covaxin लेने के बाद भी क्यों संक्रमित हुए Anil Vij? स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताई वजह

अंतरिम विश्लेषण बाकी
यहां आपको ये भी जानना चाहिए कि आवेदन के बाद भी ट्रायल के पहले दूसरे और तीसरे चरण चलते रहेंगे. अभी कोई भी चरण पूरी तरह खत्म नहीं हुआ है. साथ ही वैक्सीन कंपनियां इन चरणों के आधार पर एक विश्लेषण करेंगी कि उनकी रिसर्च में शामिल लोगों पर वैक्सीन का कितना असर हुआ. इसे अंतरिम विश्लेषण यानी Interim Analysis  कहा जाता है. फाइजर (Pfizer)  और कोविशील्ड (Covishield) का अतंरिम विश्लेषण हो चुका है. फाइजर के मामले में भारत में माइनस 70 डिग्री सेंटिग्रेड वाली चुनौती है. फाइजर के ट्रायल भारतीयों पर नहीं हुए हैं. इन बातों को देखते हुए भारत में फाइजर को मंजूरी मिलने की राह फिलहाल मुश्किल नजर आती है.

LIVE TV

Breaking News in Hindi और Latest News in Hindi सबसे पहले मिलेगी आपको सिर्फ Zee News Hindi पर. Hindi News और India News in Hindi के लिए जुड़े रहें हमारे साथ.

TAGS

Trending news