क्रिकेट में किस्मत बड़ी या कनेक्शन? हरभजन सिंह के साथ एक्सक्लूसिव बातचीत
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क्रिकेट में किस्मत बड़ी या कनेक्शन? हरभजन सिंह के साथ एक्सक्लूसिव बातचीत

क्रिकेट से रिटायरमेंट के बाद हरभजन सिंह उर्फ भज्जी (Harbhajan Singh) अब जिंदगी में एक नई भूमिका के लिए खुद को तैयार कर रहे हैं. इनमें राजनीति में शामिल होने की संभावना भी शामिल है.

क्रिकेट में किस्मत बड़ी या कनेक्शन? हरभजन सिंह के साथ एक्सक्लूसिव बातचीत

नई दिल्ली: देश के दिग्गज स्पिनर रहे हरभजन सिंह उर्फ भज्जी (Harbhajan Singh) हाल ही में क्रिकेट (Cricket) के सभी फॉर्मेट से रिटायरमेंट की घोषणा कर चुके हैं. वे अब जिंदगी में एक नई भूमिका के लिए खुद को तैयार कर रहे हैं. इनमें राजनीति में शामिल होने की संभावना भी शामिल है. Zee News के एडिटर इन चीफ सुधीर चौधरी के साथ एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में हरभजन सिंह ने क्रिकेट, राजनीति और निजी जिंदगी से जुड़े तमाम मुद्दों पर खुलकर बात की. पेश है इंटरव्यू के मुख्य अंश:

  1. रिटायरमेंट का उचित मौका नहीं दिया गया
  2. क्रिकेटर हरभजन सिंह ने जताया दुख
  3. ज़ी न्यूज के साथ हरभजन का खास इंटरव्यू

सुधीर चौधरी: आपकी रिटायरमेंट की टाइमिंग और पंजाब चुनाव की टाइमिंग मैच कर रही है, क्या आप चुनाव लड़ेंगे या पॉलिटिक्स में आएंगे?
हरभजन सिंह: चुनाव नहीं लड़ूंगा लेकिन पॉलिटिक्स में आऊंगा या नहीं, ये अभी तय नहीं किया है. कौन सी दिशा में जाना है, ये अभी तय करना है. देखना है कि क्रिकेट से बड़ा क्या होगा. आगे के रास्ते कौन से होंगे, मैं वो रास्ते चुनना चाहूंगा जिनसे लोगों के लिए कुछ कर सकूं. लोगों ने मुझे बहुत प्यार दिया है. उनकी जिंदगी के लिए कुछ कर सकूं तो मुझे खुशी मिलेगी. 

सुधीर चौधरी: हाल ही में जितने भी बड़े खिलाड़ी हुए हैं, उन्हें ग्राउंड से रिटायर होने का मौका नहीं मिला. वीरू हों या युवराज या फिर वीवीएस, कोई भी ग्राउंड से रिटायर नहीं हो सका. क्या आपको भी ये रंज रहेगा कि आपने भी ग्राउंड से रिटायरमेंट नहीं ली?
हरभजन सिंह: हर खिलाड़ी का मन होता है कि भारत की जर्सी में रिटायर हो लेकिन हर बार किस्मत साथ नहीं देती है. कई बार ऐसा हो नहीं पाता है.  वीरू या वीवीएस सबके साथ ऐसा नहीं हो सका. पीछे नज़र घुमा कर देखें तो उनके लिए बीसीसीआई रिटायर होने के लिए एक मैच दे देती तो उनकी मनोकामना पूरी हो जाती.

उन्होंने क्रिकेट के लिए 10-15 साल दिए लेकिन अगर ऐसा न हो सका तो भी उनकी शान कम नहीं होगी. वो बड़े खिलाड़ी थे, उनके काम बड़े हैं. उनकी तुलना किसी से नहीं की जा सकती है. भारत और ऑस्ट्रेलिया के अलावा इस वक्त कोई भी टीम मज़बूती से खड़ी हुई नज़र नहीं आती. जबकि जब हम खेलते थे तो सबके सब मजबूत थे. उस वक्त ज़िम्बाब्वे की टीम भी मजबूत दिखती थी.

सुधीर चौधरी: आपने 417 विकेट लिए लेकिन ये 617 भी हो सकते थे. अगर आपको बीसीसीआई से या सिस्टम से मदद मिलती, उसी वक्त अश्विन आ गए बीच में. क्या आपको लगता है कि आपके विकेट की फिगर 617 हो सकती थी, अगर किस्मत या आस पास के फैक्टर साथ देते तो?
हरभजन सिंह: किस्मत ने तो साथ दिया, आसपास के फैक्टर ने साथ नहीं दिया, 31 साल की उम्र में मैंने 400 विकेट ले लिए थे. मैं आराम से 100-150 विकेट और ले सकता था टेस्ट क्रिकेट में, लेकिन कौन आपके फेवर में है कौन नहीं ये पता नहीं चलता है. लोग अटकलें लगाते रहे कि मेरा करियर खत्म हो गया है. जब मैं खेलता था तो मुश्किल होती थी ये समझना कि मेरे पीछे क्यों पड़े हुए हैं लोग.

आप खुद सोचिए अगर मैं एक दिन विकेट लूं और अगले दिन ड्रॉप हो जाऊं तो कैसा लगेगा. ये खटास तो हमेशा, जिंदगी भर रहेगी. लोगों ने कहा मूव ऑन कर जाओ. मैं मूव ऑन कर भी गया लेकिन मैंने टीम की सेवा की. मैं अपनी मर्जी से जाता तो अच्छा लगता, लेकिन मुझे साइड लाइन किया गया, इग्नोर किया गया. सेलेक्टर्स ने मुझे जवाब तक नहीं दिया, मिलने की कोशिश की लेकिन उन्होंने सीनियर खिलाड़ी को बाहर कर दिया.

उन्होंने मेरे साथ जो किया, इसका अहसास शायद आगे कभी उन्हें हो. ऊपर वाला बैठा है, वो इंसाफ करेगा. जिंदगी सिर्फ क्रिकेट नहीं है, लंबी रेस है. मेरे लिए क्रिकेट ज़िंदगी का ज़रिया था. जो अच्छे से जिया मैंने. मुझे अहसास हो गया कि कौन लोग साथ देने की बात करते हैं लेकिन पीछे जा कर छुरा घोंपते हैं.

सुधीर चौधरी: उस वक्त महेंद्र सिंह धोनी कप्तान थे टीम के. धोनी अगर आपको लेकर और सपोर्टिव होते तो शायद आपका फिगर और बढ़िया होता?
हरभजन सिंह: ये कप्तान से भी ऊपर का मामला है. बीसीसीआई के अधिकारी चाहते थे कि ऐसा ही होना चाहिए. कप्तान कभी भी बीसीसीआई से बड़ा नहीं हो सकता है, क्योंकि वो हमेशा कप्तान से, गेम से बड़े रहते हैं. ऐसा लगता है कि खिलाड़ी बीसीसीआई की नींव होते हैं. अगर खिलाड़ी बिखर जाएंगे तो बीसीसीआई भी मज़बूत नहीं रह सकती है. उन दिनों तो मुझे लगता था कि बीसीसीआई ने कहा, WE ARE THE REAL BOSS और उन्होंने ऐसा ही किया. अगर आप गुड बुक्स में नहीं हैं तो आपका हश्र यही होगा. मैं कहूंगा जो मेरे साथ हुआ वो किसी और के साथ न हो.

सुधीर चौधरी: हाल ही में कोहली और सौरव गांगुली के बीच जो हुआ आप वही कहने की कोशिश कर रहे हैं. कोहली ने गट्स दिखाए और खुल कर सब कुछ सच कह दिया.
हरभजन सिंह: मैं नहीं जानता कोहली और सौरव के बीच क्या हुआ, मैं अपनी बात जानता हूं कि चीज़ें बेहतर तरीके से हैंडल की जा सकती थीं, रेस्पेक्ट दी जा सकती थी. मैं बीसीसीआई का आभारी हूं कि मैंने जो भी नाम और पैसा कमाया उनके ज़रिए ही कमाया, लेकिन देश की सेवा करने पर मुझे थोड़ा ड्यू तो मिलना चाहिए था.

सुधीर चौधरी: आप तो नहीं खेल सके लेकिन धोनी आखिर तक खेलते रहे?
हरभजन सिंह: वो कप्तान थे, उनकी बैकिंग बेटर थी, बाकियों को भी मिलती तो शायद वो भी खेलते रहते. उनकी किस्मत अच्छी थी कि वो खेल गए. उनका रिकॉर्ड बड़ा है, वो कप्तान भी बड़े थे. अगर बाकियों को भी वैसी ही बैकिंग मिलती तो बाद में टीम का रिकॉर्ड भी बेहतर होता. इंग्लैंड में 4-0 से हारे वो रिकॉर्ड बेहतर हो सकता था. 

सुधीर चौधरी: आर अश्विन क्या आपसे अच्छे बॉलर थे?
हरभजन सिंह: वो बॉलर तो अच्छे हैं, उनका रिकॉर्ड अच्छा है. वो काबिल हैं, उन्होंने मैच जिताए हैं. भले ही उनमें से ज्यादातर मैच भारत में ही हुए. जब अश्विन को चुना गया था तो मैं तब तक 400 विकेट ले चुका था. ऐसा तो था नहीं कि तब तक मैं खराब हो गया था और जब वो खेलने लगे तो मुझे इंतज़ार करना पड़ा. मुझे उसके बाद मौका ही नहीं मिला. चाहे मैं रणजी में अच्छा खेल कर ऊपर आता था, फिर भी मुझे मौका नहीं मिलता था. मैं वनडे और टी-20 में बहुत अच्छा खेलता था. मेरा रिकॉर्ड देखेंगे तो हैरान रह जाएंगे कि मैं क्यों बाहर कर दिया गया. मुझे वनडे खेलने का मौका ही नहीं मिला. टी-20 में भी खिलाया नहीं गया. जब मुझे एक बार घर भेज दिया, उसके बाद किसी ने याद नहीं किया.

सुधीर चौधरी: आपको अपने लिए सबसे अच्छा कप्तान कौन लगा?
हरभजन सिंह: गांगुली, उन्होंने उस वक्त मुझे उठाया जब मैं टीम से बाहर था. मैंने अच्छा खेला और हैट्रिक लेने वाला खिलाड़ी बन गया. उसके बाद धोनी ने बहुत बढ़िया लीड किया. मैंने गांगुली के साथ काफी एन्जॉय किया. उन्होंने मुझे खेलने की पूरी आजादी दी. उसके बाद ही मैं बड़ा गेंदबाज बना.

सुधीर चौधरी: आजकल क्रिकेट को लेकर फिल्में बन रही हैं. धोनी पर फिल्म बनी और अब 83 भी बनी. आप चाहते हैं कि आप पर भी फिल्म बने. आपकी बायोपिक बने?
हरभजन सिंह: मैं ज़रूर चाहूंगा कि मेरी जिंदगी पर वेब सीरीज या फिल्म बने और लोग जानें कि मैं कैसा हूं. क्या कुछ और कैसा होता है क्रिकेट के मैदान के बाहर. मैं अपनी किताब पर काम कर रहा हूं. मेरी किताब का नाम है- दूसरा चैप्टर. इसमें मेरी कहानी होगी. जो कुछ मैंने जिया, जो कुछ मैंने देखा. अक्सर देखा मैंने कि लोग आपके पीछे पड़ जाते हैं. आपको मैच भी जिताना है और ऐसे लोगों के बीच भी रहना है.

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सुधीर चौधरी: आपकी फिल्म में विलेन कौन होगा?
हरभजन सिंह: मेरी फिल्म में विलेन कोई नहीं है, लेकिन जिदंगी में कुछ अच्छे लोग मिलते हैं. कुछ उतने अच्छे लोग नहीं होते, लेकिन वो सब सिखा कर जाते हैं. आपने देखा होगा कि कैप्टन फील्ड पर गुस्से में आ जाता है, उसके पीछे वजहें होती हैं. उसे फील्ड पर और बाहर बहुत कुछ बोला जाता है. मैं अपनी कहानी बयान करना चाहता हूं, मेरी कहानी में एक नहीं कई विलेन होंगे.

(ज़ी न्यूज पर यह पूरा इंटरव्यू शनिवार रात को प्रसारित किया जाएगा.)

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