उत्तर पूर्वी दिल्ली में नागरिकता कानून (CAA) को लेकर फैली हिंसा में अब तक 27 लोगों की मौत हो चुकी है जबकि 200 से ज्यादा लोग घायल हो चुके हैं.
Trending Photos
नई दिल्ली. उत्तर पूर्वी दिल्ली में नागरिकता कानून (CAA) को लेकर फैली हिंसा में अब तक 27 लोगों की मौत हो चुकी है जबकि 200 से ज्यादा लोग घायल हो चुके हैं. इस मामले की जानकारी देते हुए दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने बुधवार को विधानसभा में क्या कहा, यहां पढ़ें उनका पूरा भाषण...
"माननीय उपराज्यपाल महोदय ने बहुत ही सुंदर अभिभाषण दिया था, जिसमें उन्होंने एक सुंदर विकसित आधुनिक दिल्ली का नक्शा देश के सामने प्रस्तुत किया। पिछले तीन दिन में दिल्ली के बारे में पूरी दुनिया भर में दो किस्म की तस्वीरें सामने आई हैं. पूरी दुनिया भर में दो तरह की खबरें छपी हैं. एक खबर है, ‘‘दिल्ली की खुशी के बारे में, दिल्ली के बच्चों के बारे में, दिल्ली के सरकारी स्कूलों के बारे में. इस दुनिया के सबसे शक्तिशाली व्यक्ति यूएसए के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की पत्नी श्रीमती मेलानिया ट्रम्प दिल्ली के सरकारी स्कूल में आईं. मुझे लगता है कि आजाद भारत के 70 साल के इतिहास में पहली बार हुआ कि अमेरिका के राष्ट्रपति क्या, पूरी दुनिया के किसी भी देश के राष्ट्रपति या प्रधानमंत्री की पत्नी हमारे किसी भी सरकारी स्कूल में आई हों. अमेरिकी राष्ट्रपति की पत्नी दिल्ली के सरकारी स्कूल में हैप्पीनेस क्लास अटेंड करने के लिए आईं और हैप्पीनेस क्लास अटेंड करने के बाद उन्होंने कहा कि इस तरह की हैप्पीनेस क्लास केवल भारत के नहीं, केवल अमेरिका के नहीं, पूरी दुनिया के हर स्कूल के अंदर होनी चाहिए. मुझे लगता है कि यह हमारे पूरे देश के लिए काफी गौरव की बात है। यह एक खबर पूरी दुनिया के सभी अखबरों में छपी.
वहीं, दूसरी खबर छपी कि जब डोनाल्ड ट्रम्प देश का दौरा कर रहे थे, तब दिल्ली जल रही थी. दिल्ली के दंगों की खबर छपी. दिल्ली के अंदर नफरत की खबर छपी. भाई और भाई के बीच लड़ाई की खबर छपी। दुकानें जलने की तश्वीरें छपी, मार्केट के मार्केट उजाड़ दिए गए. लोगों के घर उजाड़ दिए गए, उसकी तश्वीरें पूरी दुनिया के अंदर छपी. हम सब दिल्ली वालों को यह सोचना है कि हमें कौन की तश्वीर चुननी है. यह बहुत नाजुक समय है और हम सब को मिल कर सोचना है कि हमें कौन की तश्वीर मंजूर है. हमारा ही एक भाई हेड कांस्टेबल श्री रतन लाल शहीद हो गए. वह क्यों शहीद हुए. वह किसी हिन्दू को बचाने के लिए शहीद नहीं हुए. वह किसी मुस्लिम को बचाने के लिए शहीद नहीं हुए, वह इस मुल्क को बचाने के लिए शहीद हुए. वह भारत को बचाने के लिए शहीद हुए. उन्होंने अपनी जान दे दी और कोई भी जान बहुत कीमती होती है.
आज इस पूरे सदन की तरफ से, पूरी दिल्ली सरकार की तरफ से और पूरे दिल्ली के लोगों की तरफ से मैं उनके परिवार को यह आश्वासन देना चाहता हूं कि आपके बेटे की सहादत हम किसी भी हालत में बेकार नहीं जाने देंगे. रतन लाल जी, दिल्ली की उस तश्वीर के लिए शहीद हुए, जिसमें मेलानिया ट्रम्प हमारे दिल्ली के एक सरकारी स्कूल में आती हैं. वह दिल्ली के नफरत वाली तश्वीर के लिए शहीद नहीं हुए. मैं उनके परिवर को इस सदन की तरफ से आश्वासन देना चाहता हूं कि आपकी पूरी जिन्दगी की जिम्मेदारी अब हमारी है. आप बिल्कुल चिंता मत करना. मैं सारी पार्टियों की तरफ से यह आश्वासन देता हूं कि यह सदन और सरकार आपका ख्याल रखेगी. आज सुबह एक न्यूज चैनल में सुना कि केंद्र सरकार शायद एक करोड़ रुपये सम्मान राशि दे रही है. दिल्ली सरकार भी पहले से नीति है. दिल्ली सरकार उनके परिवार को एक करोड़ रुपये की सम्मान राशि देगी और उनके परिवार के एक व्यक्ति दिल्ली सरकार नौकरी देगी.
पिछले तीन दिनों से यह घटनाएं जो घटी, वह क्यों हुई और कौन करा रहा है? दिल्ली के लोग बहुत अच्छे हैं. दिल्ली के लोगों को अमन चैन पसंद है. दिल्ली के लोग प्यार और मोहब्बत की जिंदगी जीना चाहते हैं. दिल्ली में सभी धर्म के लोग कितने दशकों से भाई चारे से रहते आए हैं. हिन्दू-मुस्लिम, सिक्ख-ईसाई, ब्राह्मण बनिये, इस जाति के, उस जाति के, अमीर व गरीब लोग अपनी जिंदगी सकून से जीना चाहते हैं. अपने बच्चों को पालना चाहते हैं. हम अपनी रोजी रोटी कमाना चाहते हैं. हमें दंगे फसाद नहीं चाहिए. बच्चों का भविष्य बनाना है. दिल्ली को सुंदर बनाना है. यही हमारा भविष्य है. पिछले तीन दिन में जो कुछ हुआ, वह क्यों हुआ. यह दिल्ली के आम आदमी ने नहीं किया. यह कुछ बाहरी तत्वों ने, कुछ राजनीतिक तत्वों ने और कुछ उपद्रवी तत्वों ने व असामाजिक तत्वों के लोगों की कारस्तानी है कि दिल्ली के कुछ इलाके जल रहे हैं. हम सुन रहे हैं कि हिन्दू और मुसलमान के झड़गे हैं. लेकिन हिंदू और मुसलमान दिल्ली में नहीं लड़ रहे हैं. हिन्दू और मुसलमान दिल्ली में लड़ना नहीं चाहते हैं. इन दंगों से किसका नुकसान हुआ? इन दंगों से सबका नुकसान हुआ. इन दंगों में कौन मरा? 20 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई. वीर भान की मौत हो गई. वीरभान हिंदू था. मोहम्मद मुबारक की मौत हो गई, वह मुसलमान था. प्रवेश की मौत हो गई, वह हिंदू था. जाकिर की मौत हो गई, वह मुसलमान था. राहुल सोलंकी की मौत हो गई, वह हिंदू था. शाहिद की मौत हो गई, वह मुसलमान था. मोहम्मद फुरकान की मौत हो गई, वह मुसलमान था. राहुल ठाकुर की मौत हो गई, वह हिंदू था. मौत तो हिन्दुओं की भी हो गई और मुसलमानों की भी हो गई. पुलिस वालों की भी मौत हो गई. फायदा किसका हुआ? इसी तरह कुछ घायल लोगों की लिस्ट है. राकेश हिंदू है, मोहम्मद सलीम मुसलमान है, देवदास हिंदू है, नदीम मुसलमान है. तो नुकसान तो सबका हो रहा है. हिन्दुओं का भी हो रहा है और मुसलमानों का भी हो रहा है.
अब राहुल सोलंकी दूध लेने के लिए घर से निकला था और उसको गोली लग गई. अब उसकी मां को जाकर अगर आप कहोगे कि माता जी चिंता न करो, हमने 10 मुसलमान मार दिए, बदला ले लिया. उसकी मां को लेना-देना हिन्दू-मुसलमान से, उसकी मां को क्या लेना-देना 10 मार दिए की 20 मुसलमान मार दिए, उसका बेटा तो चला गया. अब उसके घर में राहुल सोलंकी तो नहीं है. शाहीद खान रिक्शा चलाता था, शाहीद खान की मां के पास जाकर कहो कि मां जी चिंता न करो, हमने 10 हिंदू मार दिए, उसकी मां को क्या लेना-देना कि 10 हिंदू मार दिए या 20 हिन्दू मार दिए. दिल्ली के अंदर जीने वाला जो आम आदमी है, वह पिसा और दंगा करने वाले बाहर के लोग हैं, राजनीतिक लोग हैं.
पिछले दो-तीन दिन में हम जो कर सकते थे, हम सब लोगों ने मिल कर कोशिश की. कल पूरी रात मैं जगा रहा था. हमारे साथी भी पूरी कोशिश कर रहे थे. जहां जहां से फोन आ रहे थे. जहां-जहां पुलिस की मदद मिल पाई, हमने पुलिस की मदद से फंसे हुए कई परिवारों को निकालने की कोशिश की. पुलिस से भी पिछले दो-तीन दिनों में कई बार सहायता मिली, कई बार उनके पास फौज कम थी। जैसा हमने देखा, एक पुलिस कांस्टेबल शहीद हो गया, एक डीसीपी अमित शर्मा जी से मैक्स अस्पताल में मिलने गया था. उनका सर फोड़ा गया था. उनके ब्रेन की चार घंटे सर्जरी हुई है. उनके पूरे परिवार से मिला. उनका तो पूरा परिवार ही एक तरह से दहशत में था. वहीं पर एक एसीपी भी था. वहां पर करीब 50 पुलिस वाले भर्ती हैं. एक आइबी अधिकारी अंकित शर्मा जी का नाले में शव मिला.
मेरी समझ में पुलिस ने स्थिति को संभालने की पूरी कोशिश की, लेकिन माहौल इतना ज्यादा बड़ा था कि संख्या कम थी. कुछ पुलिस वाले कह रहे थे कि उपर से आर्डर नहीं मिले कि आप कार्रवाई कर सकते हो या नहीं कर सकते हो. लेकिन कई सारे वीडियो भी वायरल हो रहे थे, जिसमे कहीं कहीं पर कुछ पुलिस वाले उपद्रवियों की मदद कर रही थी. अगर ऐसे लोग हैं, तो उनकी जांच होनी चाहिए. बीजेपी के विधायकों से भी कल मेरी बैठक हुई थी, हमारे विधायकों से भी बात हुई. ज्यादातर विधायक जमीन पर थे, अपने-अपने क्षेत्र में घूम रहे थे. मुझे सुनने को मिला कि कई जगह विधायकों और कार्यकर्ताओं की कोशिश की वजह से दंगे रुके. कई जगहों पर अफवाहें फैली हुई थीं, उन अफवाहों को जब बताया गया, तो उनको रोकने की कोशिश की. सभी विधायकों के जो इनपुट आए, उसे लेकर गृहमंत्री जी के पास गए. गृहमंत्री जी ने सभी दलों की बैठक बुलाई, अस्पतालों का हम सभी ने दौरा किया. मैने भी किया, विधायकों ने भी किया. एलजी साहब ने भी दौरान किया. मै खुद मॉनिटर कर रहा था और स्वास्थ्य मंत्री कार्यालय से लगातार मॉनिटरिंग की जा रही थी. जहां जरूरत पड़ी एंबुलेंस भेजा गया. जो भी हमारे हाथ में था, वो हमने किया, लेकिन आज दिल्ली के लोगों के सामने दो विकल्प है. एक विकल्प यह है कि हम सारे लोग एक साथ खड़े हो जाए. हिन्दू, मुस्लिम, सिक्ख व ईसाई सभी धर्म व जाति के लोग एक साथ खड़े होकर दिल्ली का सुनहरा भविष्य बनाने की कोशिश में लग जाएं और दूसरा विकल्प यह है कि एक-दूसरे को मारे और एक-दूसरे के कितने मार दिए और अपने कितने मर गए, एक-दूसरे की लाशें गिनने का काम करें. आधुनिक दिल्ली, विकसित दिल्ली किसी भी हालत में लाशों के उपर नहीं बन सकती. मुझे लगता है कि अब पूरी दिल्ली को मिल कर कह देना चाहिए. पूरी दिल्ली क्या पूरे देश को मिल कर कह देना चाहिए कि बस अब बहुत हो गया. अब बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. यह नफरत की राजनीति बर्दाश्त नहीं की जाएगी, अब यह भाई से भाई को लड़ाने की राजनीति बर्दाश्त नहीं की जाएगी, दंगों की राजनीति बर्दाश्त नहीं की जाएगी. अब दुकानें जलाने की, मां-बहनों के साथ गलत काम करने की, घर जलाने की राजनीति बर्दाश्त नहीं की जाएगी. दिल्ली के कई इलाकों से बहुत अच्छी अच्छी और दिल को खुश कर देने वाली कहानियां भी सुनने को मिली. कहीं पता चला कि हिंदू इलाके में एक मुसलमान रहता है. सारे हिंदुओं ने मिल कर उसको बचाया. कहीं पता चला कि मुसलमान इलाके में एक हिंदू रहता है, सारे मुसलमानों ने मिल कर उसकी जान बचाई. ये दिल्ली वाले हैं. ये आम दिल्ली के नागरिक हैं. हमारा भविष्य इन्हीं के भरोसे आगे बढ़ सकता है. स्थिति बहुत नाजुक है.
आज सुबह भी मैने गृहमंत्री जी से निवेदन किया था और अब इस सदन के माध्यम से मैं फिर से उनसे अपील करना चाहता हूं कि अगर दिल्ली में स्थिति को काबू करने के लिए जरूरी लगता है कि आर्मी को बुलाया जाए और जितने प्रभावित एरिया बच गए हैं, वहां पर भी कफ्र्यू जल्द से जल्द लगाया जाए, ताकि स्थिति समान्य हो सके. मैं दिल्ली के लोगों को इस सदन से सारी पार्टियों की तरफ से आश्वस्त कराना चाहता हूं कि हमारी तरफ से किसी तरह की कोई कमी नहीं होगी। आप सब लोग एक-दूसरे के प्रति यह हिंसा छोड़िए. सब लोग अपने-अपने घर में जाइए और अपनी जिंदगी दुबारा जीने की कोशिश कीजिए और बाहर से कोई बाहरी तत्व आकर आपकी शांति भंग करने की कोशिश करते हैं, तो तुरंत उसकी जानकारी पुलिस को दीजिए."