कोर्ट ने पहले सीबीआई को यह जांच करने के निर्देश दिये थे कि शहर के व्यस्त करोल बाग क्षेत्र में सार्वजनिक भूमि पर हनुमान की विशाल प्रतिमा को कैसे बनने दिया गया.
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नई दिल्ली : दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा कि आपराधिक गतिविधियों से कोई भी आध्यात्मिकता जुड़ी नहीं हो सकती है और यह दुर्भाग्यपूर्ण और पीड़ाजनक है कि करोल बाग में 108 फुट ऊंची हनुमान की मूर्ति को शहर में सार्वजनिक भूमि पर बनाने की अनुमति दी गई. कोर्ट ने पहले सीबीआई को यह जांच करने के निर्देश दिये थे कि शहर के व्यस्त करोल बाग क्षेत्र में सार्वजनिक भूमि पर हनुमान की विशाल प्रतिमा को कैसे बनने दिया गया.
दिल्ली के करोल बाग में अतिक्रमण से जुड़े 108 फुट ऊंचे हनुमान मंदिर के अवैध निर्माण के मामले में सोमवार को दिल्ली हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. दिल्ली हाईकोर्ट ने सीबीआई को निर्देश है कि वो हर महीने जांच रिपोर्ट दायर कर कोर्ट को बताए कि जांच में अब तक क्या कुछ हुआ है और जांच कहां तक पहुंची. सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने अपनी टिप्पणी में कहा कि धर्म और अध्यात्म से जुड़े मामलों में आपराधिक गतिविधियों की इजाजत नहीं दी जा सकती है.
अदालत ने एजेंसी से यह सुनिश्चित करने के लिए कहा कि इस मामले से गंभीरता से निपटना चाहिए और कानून तोड़ने वाले लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए. कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल और न्यायमूर्ति सी. हरिशंकर की एक पीठ ने कहा कि यदि किसी भी व्यक्ति के खिलाफ मुकदमा चलाया जाता है, तो संबंधित अदालत यह सुनिश्चित करेगी कि मामला शीघ्रता से निपटाया जाएगा और दोषी को न्याय के कटघरे में लाया जाएगा.
अदालत ने कहा कि इस मामले में भूमि का स्वामित्व रखने वाली एजेंसियों ने बहुत दुर्भाग्यपूर्ण कदम उठाया है क्योंकि उनमें से कोई भी यह कहने के लिए आगे नहीं आया है कि यह भूमि उनकी है. पीठ ने कहा, ‘यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि 108 फुट ऊंची मूर्ति को सार्वजनिक भूमि पर बनने दिया गया.’
पीठ ने कहा कि यह पीड़ाजनक है कि इस तरह के अतिक्रमण को मुख्य सड़क की पटरी पर बनने की अनुमति दी गई और इस धोखाधड़ी में शामिल प्रत्येक व्यक्ति से कड़ाई के साथ निपटे जाने की जरूरत है. अदालत ने कहा कि आपराधिक गतिविधियों से कोई भी आध्यात्मिकता जुड़ी नहीं हो सकती है.
अदालत ने सीबीआई को इस मामले में एक मासिक स्थिति रिपोर्ट सौंपने के निर्देश दिये. अदालत ने इस मामले में वरिष्ठ अधिवक्ता दयान कृष्णन और अधिवक्ता गौतम नारायण को न्यायमित्र के रूप में भी नियुक्त किया. अदालत ने डीडीए से एक स्थिति रिपोर्ट सौंपने के लिए कहा. मामले की अगली सुनवाई छह सितम्बर को होगी.
करोल बाग में सार्वजनिक जमीन पर हुए अतिक्रमण को लेकर दायर याचिका पर हाईकोर्ट सुनवाई कर रहा है. कोर्ट ने कहा था कि सार्वजनिक जमीन पर बने मंदिर से होने वाले मुनाफे का लाभ ट्रस्टी को नहीं मिलना चाहिए. कोर्ट ने यूको बैंक को निर्देश दिया था कि ट्रस्ट के खाते को सीज कर दिया जाए. बैंक में सिर्फ जमा करने की अनुमति है, निकालने की अनुमति किसी को नहीं है. कोर्ट ने इस दौरान पाया था कि विभिन्न एजेंसियों में तैनात अधिकारी सार्वजनिक जमीन को बचा सकते थे, लेकिन उन्होंने अपने अधिकारों का दुरुपयोग किया. कोर्ट ने अधिकारियों को फटकार लगाते हुए कहा था कि आपके पास अधिकार हैं, लेकिन आपने अपनी क्षमता के हिसाब से काम नहीं किया.