‘स्वयंभू संत’ रामपाल के खिलाफ नए सिरे से गैर जमानती वारंट
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‘स्वयंभू संत’ रामपाल के खिलाफ नए सिरे से गैर जमानती वारंट

पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने सोमवार को विवादास्पद ‘स्वयंभू संत’ रामपाल के खिलाफ 21 नवंबर को पेश होने के लिए आज नए सिरे से गैर-जमानती वारंट (एनबीडब्ल्यू) जारी किया। रामपाल अवमानना के एक मामले में अदालत में पेश नहीं हुए और उनके वकील ने कहा कि वह अस्वस्थ हैं।

‘स्वयंभू संत’ रामपाल के खिलाफ नए सिरे से गैर जमानती वारंट

ज़ी मीडिया ब्‍यूरो

चंडीगढ़ : पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने सोमवार को विवादास्पद ‘स्वयंभू संत’ रामपाल के खिलाफ 21 नवंबर को पेश होने के लिए आज नए सिरे से गैर-जमानती वारंट (एनबीडब्ल्यू) जारी किया। रामपाल अवमानना के एक मामले में अदालत में पेश नहीं हुए और उनके वकील ने कहा कि वह अस्वस्थ हैं।

63 वर्षीय रामपाल अदालत में पेश नहीं हुए और अदालत से समय मांगा, जिसके कुछ घंटे बाद उनके समर्थकों ने दावा किया कि उन्हें ‘इलाज’ के लिए हिसार जिले के बरवाला स्थित उनके आश्रम से किसी अज्ञात स्थान पर ले जाया गया है। उच्च न्यायालय में दो न्यायाधीशों की पीठ ने एनबीडब्ल्यू जारी करते हुए हरियाणा और पंजाब की सरकारों, केंद्र सरकार तथा चंडीगढ़ प्रशासन को एक बयान दाखिल करने का निर्देश दिया जिसमें रामपाल के अदालत में पेश होने के लिए किये जाने वाले सुरक्षा बंदोबस्त पर हुए खर्च का ब्योरा देने को कहा गया है।

न्यायमूर्ति एम जयापॉल और न्यायमूर्ति दर्शन सिंह की पीठ ने आज सुबह पहले राज्य सरकार, न्याय मित्र और बचाव पक्ष के वकील का पक्ष सुनने के बाद अपने फैसले को सुरक्षित रखा था। अदालत ने हरियाणा के पुलिस महानिदेशक तथा गृह सचिव को निर्देश दिया कि 21 नवंबर को अगली सुनवाई के समय अदालत में मौजूद रहें। उच्च न्यायालय द्वारा सुबह फैसला सुरक्षित रखे जाने के कुछ समय बाद सतलोक आश्रम के प्रवक्ता राज कपूर ने दावा किया कि रामपाल को उपचार के लिए एक अज्ञात स्थान पर ले जाया गया है। रामपाल ने स्वास्थ्य कारणों का हवाला दिया था और पांच नवंबर, 10 नवंबर को तथा आज उच्च अदालत में पेश नहीं हुए।

इस बीच, हिसार में जिला प्रशासन ने रामपाल के समर्थकों से इलाके से जाने को कहा, जो आश्रम के आसपास डेरा डाले हैं। हिसार में एक सरकारी प्रवक्ता के मुताबिक हिसार के जिला मजिस्ट्रेट एम एल कौशिक ने एक आदेश जारी कर महिलाओं और बच्चों समेत सभी समर्थकों से कहा कि तत्काल इलाका छोड़ दें। प्रवक्ता ने कहा कि प्रशासन समर्थकों को बस स्टैंड और रेलवे स्टेशन पहुंचाने के लिए बसों की सुविधा प्रदान करेगा। रामपाल समर्थकों से स्वयंभू संत के खिलाफ न्यायिक प्रक्रिया में अवरोध पैदा नहीं करने के लिए भी कहा गया है।

इससे पहले हरियाणा सरकार ने उच्च न्यायालय में कहा कि वह अदालत के आदेश को पूरा करने के लिए कदम उठा रही है लेकिन उसे हर कदम पूरी सावधानी से उठाना होगा क्योंकि सतलोक आश्रम में बड़ी संख्या में महिलाएं और बच्चे हैं। उच्च न्यायालय ने रामपाल को पेश नहीं करने के मामले में सोमवार को हरियाणा सरकार से नाराजगी जताई थी। उनके खिलाफ हाल ही में अवमानना के एक मामले में गैर-जमानती वारंट जारी किया गया था और अदालत ने रामपाल को पेश करने के लिए आज की समयसीमा तय की थी। रामपाल के वकील एस के गर्ग ने पीठ को बताया कि रामपाल अस्वस्थ्य हैं और बरवाला से यहां की यात्रा करने की स्थिति में नहीं हैं।

वकील ने पीठ से कहा कि वह अस्वस्थ हैं। हम अदालत में पेशी से नहीं बच रहे। वह पहले मौकों पर पेश होते रहे हैं। हमें कुछ वक्त दीजिए। जब वह बेहतर महसूस करेंगे तो पेश होंगे। प्रदेश सरकार, गृह सचिव और डीजीपी की ओर से अदालत में पेश हुए महाधिवक्ता बलदेव राज महाजन ने अदालत को बताया कि राज्य सरकार अदालत के आदेश का पालन करने के लिए कदम उठा रही है। उन्होंने दलील दी कि आश्रम में बड़ी संख्या में महिलाएं और बच्चे होने की वजह से पुलिस और प्रशासन को हर कदम सावधानी से उठाना पड़ेगा। साल 2006 के हत्याकांड के सिलसिले में रामपाल की जमानत रद्द करने के मुद्दे पर पीठ ने मामले की सुनवाई कल तक के लिए टाल दी और बचाव पक्ष के वकील से तब तक अपना जवाब दाखिल करने को कहा। मामले में न्यायमित्र वरिष्ठ वकील अनुपम गुप्ता ने अदालत के बाहर संवाददाताओं से कहा कि हरियाणा सरकार की ओर से महाधिवक्ता ने एक हलफनामा दाखिल किया है जिसमें कहा गया है कि तत्काल रामपाल को गिरफ्तार करने की कोशिश के नतीजतन लोग हताहत हो सकते हैं और इसलिए सरकार तथा पुलिस अदालत के आदेश का पालन करने के तरीकों पर विचार कर रहे हैं।

गुप्ता ने कहा कि उन्होंने दलील दी कि अदालत के आदेश का पालन नहीं करना पूरी तरह गड़बड़ी, अव्यवस्था और अराजकता होगी। उन्होंने आरोप लगाया कि रामपाल के आश्रम के आसपास से कल शाम अचानक पूरे पुलिस और सुरक्षा बल को हटा लिया गया। रामपाल को अदालत में पेश नहीं कर पाना सरकार द्वारा पूरी तरह अधिकारों का इस्तेमाल नहीं करने जैसा है।

गुप्ता ने कहा कि अगर सरकार रामपाल को तीन दिन में उच्च न्यायालय में पेश नहीं करती तो शुक्रवार तक मुख्यमंत्री एम एल खट्टर को अदालत की अवमानना के नोटिस जारी किया जाना चाहिये जो गृह मंत्रालय का प्रभार भी संभाल रहे हैं।

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