चुनावी रंग: हरियाणा की पहली मंगलमुखी पार्षद भी चुनावी मैदान में, अनोखे ढंग से कर रहीं प्रचार
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चुनावी रंग: हरियाणा की पहली मंगलमुखी पार्षद भी चुनावी मैदान में, अनोखे ढंग से कर रहीं प्रचार

हिसार में चुनावी मैदान में उतरी शोभा नेहरू एक ऐसी उम्मीदवार हैं जो अनोखे ढंग से रोजाना चुनावी प्रचार के लिए तो निकलती हैं. 

हरियाणा में विधानसभा का चुनावी माहौल चल रहा है, ऐसे में चुनावी रंग भी खूब देखने को मिल रहे हैं.

हिसार: हरियाणा में विधानसभा का चुनावी माहौल चल रहा है, ऐसे में चुनावी रंग भी खूब देखने को मिल रहे हैं. आपने चुनावी मैदान में उतरे नेताओं को बड़े-बड़े काफिलों के साथ, तेज आवाज में बजते लाउडस्पीकर के साथ प्रचार करते देखा होगा. खाने-पीने की दावत चलते बड़े-बड़े कार्यालय भी देखे होंगे लेकिन हिसार में चुनावी मैदान में उतरी शोभा नेहरू एक ऐसी उम्मीदवार हैं जो अनोखे ढंग से रोजाना चुनावी प्रचार के लिए तो निकलती ही हैं, साथ ही पैसे की बर्बादी को रोकने के लिए अपना कार्यालय तक नहीं खोला. 

68 साल की शोभा नेहरू, हरियाणा की पहली ट्रांसजेंडर पार्षद हैं. उनकी पहचान हिसार में समाजसेवी के रूप में ज्यादा है. लगातार 3 बार पार्षद रह चुकी शोभा नेहरू हरियाणा की पहली मंगलमुखी पार्षद का खिताब अपने नाम कर चुकी है. शोभा नेहरू भी हिसार विधानसभा से भारतीय किसान पार्टी की टिकट पर चुनावी जंग में अपनी किस्मत आजमा रही हैं. 

शोभा रोजाना घर से 2 साथियों को लेकर निकलती हैं, डोर-टू-डोर प्रचार करती हैं और लोगों से निवेदन करती हैं कि उन्हें मिले चारपाई के निशान पर वोट दें. लाउडस्पीकर और लंबे काफिले को इस्तेमाल न करने के पीछे शोभा बताती है, वो नहीं चाहती की स्कूली बच्चों की पढाई खराब हो.

50 साल की मेहनत को जनसेवा में खर्च किया
हिसार के शांतिनगर एरिया के नजदीक बने राजीव नगर में रहने वाली शोभा नेहरू किसी परिचय की मोहताज नहीं है. शादी ब्याह या फिर घर में जब कोई खुशी आती है तो शोभा भी दूसरे किन्नरों की तरह अपनी मंडली के साथ बधाई मांगने का काम करती हैं. पिछले 50 सालों से वो यहीं कर रही हैं. शोभा नेहरू ने जो किया, वो अपने आप में बेमिसाल है. 50 साल में किसी से 21, किसी से 51, किसी से 101 या फिर जिसने जितनी इच्छा से शोभा को जो दिया, वो इकटृठा कर शोभा ने राजीव नगर में एक बिल्डिंग बनाने पर खर्च कर दिए. इसके अलावा लड़कियों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए ब्यूटी पॉर्लर की ट्रेनिंग का कोर्स भी चल रहा है. 

शर्मा से नेहरू बनी शोभा
शोभा नेहरू का नाम वैसे शोभा शर्मा है, मूलरूप से कर्नाटक के बेंगलुर की रहने वाली शोभा नेहरू बताती है कि 1995 में पार्षद चुनाव के दौरान उनकी कमान बच्चों ने ही संभाली थी. 101 वोटों से उन्हें जीत हासिल हुई थी, बच्चों को मिले इतने स्नेह के बाद उन्हें शोभा नेहरू कहा जाने लगा.

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पंफलेट पर छपवाया एफीडेवेट, 2 साल बाद रिजाइन ले लेना
अक्सर विधायक या नेताओं को कुर्सी के साथ मोह होता है लेकिन शोभा का ना सिर्फ प्रचार का अनोखा तरीका है, बल्कि चुनाव के मदृदेनजर सोच भी गजब है. अब शोभा नेहरू जब चुनावी प्रचार के लिए निकलती हैं तो वो नेताओं की तरह झूठ नहीं बोलती. जो पंफलेट वो बांटती हैं उस पर ​एफिडेवेट दे रखा है कि अगर 2 साल में वो जनता की उम्मीदों के अनुरूप खरा ना उतरे तो भले ही उसका रिजाइन ले लेना. हरियाणा के चुनावी रण में शोभा नेहरू विधायक की कुर्सी तक पहुंच पाएगी या नहीं, यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा. लेकिन इतना जरूर तय है कि उनके प्रचार करने के तरीके ने शोभा को हिसार में आमजन के लिए चर्चा और प्रशंसा का विषय जरूर बना दिया है.

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