लिव इन पार्टनर की हत्या और शव जलाने के जुर्म में उम्रकैद
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लिव इन पार्टनर की हत्या और शव जलाने के जुर्म में उम्रकैद

अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश संजीव अग्रवाल ने परिस्थितिजन्य सबूतों को मानते हुए उत्तरी दिल्ली निवासी उमाकांत को यह उम्र कैद और उसके सहयोगी सुमित को चार साल के लिए कठोर कारावास की सजा सुनाई.

प्रतीकात्मक फोटो

नई दिल्ली: दिल्ली की एक अदालत ने 2012 में अपनी लिव इन पार्टनर की हत्या और उसके शव को जलाने के जुर्म में एक व्यक्ति को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है. अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश संजीव अग्रवाल ने परिस्थितिजन्य सबूतों को मानते हुए उत्तरी दिल्ली निवासी उमाकांत को यह उम्र कैद और उसके सहयोगी सुमित को चार साल के लिए कठोर कारावास की सजा सुनाई.

न्यायाधीश ने कहा,‘‘परिस्थिति समग्र रूप से इस अवधारणा को साबित और समर्थन करती है कि किसी और ने नहीं बल्कि आरोपी एक (उमाकांत) ने रचना की गला दबाकर हत्या की और इसके बाद उसके शव को जला दिया. इसमें आरोपी दो( सुमित) ने सक्रियता से उसकी मदद की.’’ अदालत ने उमाकांत पर 25000 रुपये का जुर्माना भी लगाया.

अभियोजन के मुताबिक, उमाकांत रोहिणी में किराये पर एक मकान में महिला के साथ विवाहित दंपति की तरह रहता था. अभियोजन ने कहा कि 19 जून 2012 को एक पड़ोसी ने देखा कि अभियुक्त ने मकान से खींचकर एक बैग निकाला, जिससे खून निकल रहा था, और उसे कार में रखा. 

अभियोजन ने कहा कि पड़ोसियों ने पुलिस को बताया और उमाकांत तथा उसके साथी को उसी रात पकड़ लिया गया. अभियोजन पक्ष ने दावा किया था कि उसने महिला की हत्या कर दी क्योंकि वह उसपर अपनी पत्नी को तलाक देने और उससे शादी करने के लिए दबाव बनाता था.

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