कांग्रेस का दावा, मोदी सरकार ने 57 महीनों में 30 लाख करोड़ रुपये का लिया कर्ज
Advertisement
trendingNow1521887

कांग्रेस का दावा, मोदी सरकार ने 57 महीनों में 30 लाख करोड़ रुपये का लिया कर्ज

कांग्रेस नेता ने कहा, ‘‘चौंकाने वाली बात यह भी है कि दिसंबर, 2018 से मार्च, 2019 के बीच लाखों करोड़ का बेतहाशा कर्ज मोदी सरकार ने लिया है.

फाइल फोटो

नई दिल्ली: कांग्रेस ने मंगलवार को दावा किया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली सरकार ने 57 महीनों में 30 लाख करोड़ रुपये से अधिक का कर्ज लिया और देश की अर्थव्यवस्था का बंटाधार कर दिया. पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने यह भी कहा कि मोदी सरकार में हर भारतीय पर 23,300 रुपये का अतिरिक्त कर्ज हो गया है.

उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ‘‘वित्त मंत्रालय के सनसनीखेज आंकड़े बताते हैं कि मोदी सरकार ने मात्र चार साल नौ महीने के कार्यकाल में (मार्च, 2014 से दिसंबर, 2018 तक) 30,28,945 करोड़ रुपये का कर्ज लेकर देशवासियों को कंगाल बनाने का घिनौना षडयंत्र किया है. 70 साल में यानी मार्च, 2014 तक देश पर ₹53,11,081 करोड़ रुपये का कर्ज था. मोदी सरकार के 57 महीनों के कार्यकाल में यह कर्ज 57 प्रतिशत बढ़कर दिसंबर, 2018 में 83,40,026 करोड़ रुपये हो गया. कर्ज में 30,28,945 करोड़ रूपये की बढ़ोत्तरी की गई.’’ 

सुरजेवाला ने आरोप लगाया, ‘‘मोदी ने कर्ज लेकर पैसा लुटाया और अर्थव्यवस्था का बंटाधार किया. आजीविका के संकट से जूझते देश के हर व्यक्ति को मोदी ने अपने वित्तीय कुप्रबंधन, प्रचार प्रसार और चुनिंदा उद्योगपति मित्रों को फायदा पहुंचाने के लिए कर्जदार बना डाला. पूरा देश कह रहा है कि - सूटबूट की सरकार, देश को बनाया कर्जदार.’’ 

उन्होंने यह भी दावा किया, ‘‘देश के हर नागरिक पर मोदी ने 23,300 रुपये के अतिरिक्त कर्ज का बोझ केवल चार साल नौ महीने में डाल दिया है. मार्च 2014 में प्रति व्यक्ति कर्ज 40,854 रुपये था जो दिसंबर, 2018 में बढ़कर 64,154 रुपये हो गया.’’ कांग्रेस नेता ने कहा, ‘‘चौंकाने वाली बात यह भी है कि दिसंबर, 2018 से मार्च, 2019 के बीच लाखों करोड़ का बेतहाशा कर्ज मोदी सरकार ने लिया है. सार्वजनिक पटल पर जानकारी के मुताबिक मार्च, 2019 तक मोदी सरकार ने 7,16,700 करोड़ रुपये का अतिरिक्त कर्ज लिया और देश का कुल कर्ज बढ़कर, 90,56,725 करोड़ हो गया है.’’ उन्होंने दावा किया, ‘‘एक तरफ देशवासियों को कर्ज के बोझ में डुबोया जा रहा है, तो दूसरी ओर चुनिंदा उद्योगपति मित्रों का 5,50,000 करोड़ रुपये का कर्ज मोदी सरकार ने बट्टे खाते में डाल दिया. बैंकों का एनपीए बढ़कर 12,00,000 करोड़ रुपये पहुंच गया है.’’ 

सुरजेवाला ने आरोप लगाया, ‘‘ सरकारी कंपनियों को कर्ज में धकेलकर एक षडयंत्र के तहत डुबोया या बंद किया जा रहा है. अकेले ‘राष्ट्रीय राजमार्ग प्रधिकरण’ ने पिछले पांच सालों में 1,67,399 करोड़ रुपये का कर्ज ले लिया. बीएसएनएल, एमटीएनएल, पवन हंस, इंडिया पोस्ट आदि बंद होने की कगार पर हैं. यहां तक कि नवरत्न कंपनी जैसे ओएनजीसी, एचएएल, सेल इत्यादि भी कर्ज के बोझ से दबी हैं.’’ 

Trending news