दिल्ली में चुनाव से पहले पकड़े गए कौवा और चिड़िया वाले हथियार! जानिए क्या हैं ये?
Advertisement

दिल्ली में चुनाव से पहले पकड़े गए कौवा और चिड़िया वाले हथियार! जानिए क्या हैं ये?

दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले पुलिस काफी चौकसी बरत रही है. 

गिरफ्तार आरोपी अनिल पिछले चार साल से अपराध की दुनिया में एक्टिव था.

नई दिल्ली: दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच (Crime Branch,) ने उत्तर प्रदेश बड़ौत के एक कुख्यात हथियार तस्कर (Smuggler) को गिरफ्तार किया है. आरोपी की पहचान अनिल के रूप में हुई है. आरोपी पिछले चार साल से अपराध की दुनिया में एक्टिव था.

अनिल के पास से 12 पिस्टल और 25 कारतूस बरामद हुए हैं. ये हथियार (weapons) दिल्ली के एक शख्स को सौंपे जाने थे. आरोपी बरेली से हथियार लाकर दिल्ली-एनसीआर के बदमाशों को सप्लाई करता था. पुलिस (police) अब गिरोह के अन्य सदस्यों की तलाश में जुट गई है

क्राइम ब्रांच के एडिशनल कमिश्नर बीके सिंह ने बताया की दिल्ली पुलिस हथियार तस्करों पर लगातार नजर रख रही है. खास कर चुनाव के मद्देनजर पुलिस चौकस है. इसी दौरान पुलिस को पता चला कि बड़ौत का एक हथियार तस्कर हथियारों की खेप के साथ सुल्तानपुरी बस टर्मिनल के पास आने वाला है.

इसकी सूचना मिलने पर एसआइई बीरेंद्र सिंह सहित एएसआई बहादुर शर्मा और नरेश कुमार की टीम 12 जनवरी को सुल्तानपुरी बस टर्मिनल के पास तैनात कर दी गई और तस्कर के आने पर जलेबी चौक के पास तस्कर अनिल को धर दबोचा गया. उसके पास से बरामद थैले की तलाशी लेने पर 12 पिस्टल सहित कारतूस बरामद हुए.

चाय की दुकान चलता था आरोपी
पूछताछ में आरोपी ने बताया की पहले वह यूपी के बड़ौत में चाय की दुकान चलाता था. इसी दौरान करीब चार साल पहले उसकी मुलाकात इलाके के बदमाश सरफराज गांजा से हुई थी. उन दोनों ने मिलकर साल 2015 में बड़ौत में एक डॉक्टर को लूटा था. इस मामले में दोनों आरोपी दो साल तक जेल में रहे थे.

जेल में ही उसकी मुलाकात और बदमाशों से हुई, साल 2017 में जेल से बाहर आने के बाद बागपत के बदमाश त्रिलोक शर्मा के जरिए अनिल की मुलाकात जाने-माने हथियार तस्कर हापुड़ निवासी नाजिम से हुई थी. जल्द रुपये कमाने के चक्कर में वह पिछले साल से उनसे हथियार खरीद उसे दिल्ली एनसीआर में बेच रहा था. वह दिल्ली में मंगोलपुरी निवासी भैयाजी नामक शख्स को हथियार बेचता था. वह भैयाजी को अब तक छह हथियार बेच चुका है. 

करते थे कोड शब्दों का इस्तेमाल
पुलिस अधिकारी ने बताया कि पकड़े जाने से बचने के लिए वे हथियारों के लिए कोड शब्दों का इस्तेमाल करते थे. गिरोह के सदस्य 0.315 बोर की पिस्टल को कौवा और 0.22 बोर की पिस्टल को चिड़ी..छोटी चिड़िया और 7.65 मिमी पिस्टल को सामान के रूप में संबोधित करते थे. जबकि कारतूस को वे दाना कहते थे।

Trending news