चंडीगढ़ पीजीआई तक का सफर खतरे से खाली नहीं, अस्पताल में बच गए तो सड़क ले सकती है जान
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चंडीगढ़ पीजीआई तक का सफर खतरे से खाली नहीं, अस्पताल में बच गए तो सड़क ले सकती है जान

प्रशासन इन गढ्ढों में मिट्टी भरवाकर काम चलाऊ काम करता है. लेकिन एक दो दिन बाद ही फिर से गड्ढे पड़ जाते है 

चंडीगढ़ पीजीआई तक का सफर खतरे से खाली नहीं, अस्पताल में बच गए तो सड़क ले सकती है जान

चंडीगढ़: सिटी ब्यूटीफुल की सड़कों का हाल इन दिनों बेहाल है. पीजीआई के पास की सड़क इतनी टूटी हुई है कि एम्बुलेंस में ले जा रहे मरीज़, खास तौर पर गर्भपती महिला और जिस किसी मरीज़ ने सर्जरी या ऑपरेशन करवाया है. उसके लिए ये सड़क पार करना परेशानी का सबब है. जो लोग हर रोज़ इस सड़क से होकर गुजरते हैं उन्होने ज़ी मीडिया से बातचीत करते हुए बताया कि कई महीनों से ये सडक इसी तरह टूटी हुई है. जगह जगह गड्ढे पड़े हुए है.

प्रशासन इन गढ्ढों में मिट्टी भरवाकर काम चलाऊ काम करता है लेकिन एक दो दिन बाद ही फिर से गड्ढे पड़ जाते है और सड़क टूटी होने के कारण खासतौर पर मरीज़ों को परेशानी का सामना करना पडता है. ऑटो रिक्शा चालक बताते हैं कि मरीज़ कहते है ऑटो ध्यान से चलाओं लेकिन मेन और सर्विस दोनो ही रोड टूटी हुई है तो कहां से ऑटो निकालें. वहीं सवारियों का भी कहना है कि सिटी ब्यूटीफुल में सड़कों की ऐसी खस्ता हालत पहले कभी न थी.

चंडीगढ़ प्रशासन के चीफ इंजीनियर मुकेश आनंद ने कहा कि प्रशासन पीजीआई रोड की हालत के बारे में वाकिफ है इस सड़क को बनाना उनके कामों की प्राथमिक कामों में से एक है. उन्होने कहा चौक के नीचे पानी की पाइप लाइन गुजर रही थी.

पाइप लाइन करीब 45 साल पुरानी थी. सड़क पर वाहनों का दबाव भी काफी ज्यादा होने के कारण दबाव पड़ते ही पाइप लाइन टूट जाती थी पानी बहने लगता था हालांकि अब नगर निगम ने लीकेज की समस्या को दूर कर दिया है.

इसलिए दीवाली के आस पास इस सडक को बनवा दिया जाएगा यानि कि फिलहाल एक महीना और लोगों को इस टूटी हुई सडक से ही सफर तय करना पडेगा. शहर की अन्य सडके जो प्रशासन के अंडर आती है उनकी रिकार्पेटिग का काम भी जल्द शूरू कर दिया जाएगा. चीफ इंजीनियर ने कहा कि बारिश के कारण सडकों को दरूस्त करने में देरी हो गई. जबकि बातों बातों में चीफ इंजीनियर ने टूटी सडक के लिए पीजीआई के बाहर लंगर लगाने वालों को ही दोषी ठहरा दिया.

बता दे चंडीगढ़ की कई सडकों को बनाने और दरूस्त करने की ज़ि्म्मेदारी प्रशासन के पास है तो कई सडकों की ज़िम्मेदारी नगर निगम के पास है. फंडस की कमी से जूझ रही नगर निगम भी शहर की ज्यादातर सडकों को दरूस्त करने में असमर्थ है. शहर के मेयर राजेश कुमार ने कहा कि नगर निगम को शहर की सडकों सुधारने के लिए 90 करोड के फंडस चाहिए. हालाकिं प्रशासन ने फिलहाल 15 करोड़ रूपए रिलीज़ कर दिए है और जल्द सडकों को दरूस्त करने का काम शूरू कर दिया जाएगा.

सिर्फ पी जी आई के पास की रोड की ये हालत नहीं है बल्कि पूरे शहर की रोड इसी तरह से टूटी हुई है. लोगों का कहना है कि जगह जगह गढ्डे पडे हुए है प्रशासन रिकारपेटिंग के नाम पर गढ्ढों में सिर्फ मिट्टी भर रहा है एक वक्त था जब चंडीगढ़ में कोई घूमने आता था तो चंडीगढ की सडकों की तारिफ करता नहीं थकता था लेकिन अब आलम ये है कि शहर का एक भी सेक्टर ऐसा नहीं यहां की सारी सडके अच्छी हालत में हों. और तो औऱ चंडीगढ़ की टूटी सडकों को पार करके मरीज़ बडी मुश्किल से अस्तपताल पहुंचते हैं.  

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