निराशा के दौर में भी आशा की किरण! यहां ड्रोन के बाद रोबोट भी जुटा सैनिटाइजेशन में, जानें खूबियां
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निराशा के दौर में भी आशा की किरण! यहां ड्रोन के बाद रोबोट भी जुटा सैनिटाइजेशन में, जानें खूबियां

सैनिटाइजेशन के लिए भारत की ही एक कंपनी ने ऐसा रोबोट बनाया है.

भारतीय स्टार्ट-अप इंजीनियर्स की टीम 'अविष्कार' ने सैनिटाइजेशन के लिए रोबोट बनाया है,

नई दिल्ली: कोरोना वायरस (Coronavirus) से जंग में सोशल डिस्टेंसिंग सबसे जरूरी है. दिल्ली में 100 से ज्यादा हॉटस्पॉट हैं और इनमें लगातार सैनिटाइजेशन किया जा रहा है. इससे पहले कई ऐसे हॉटस्पॉट्स में ड्रोन के जरिए सैनिटाइजेशन देखने को मिला. जिससे संक्रमित इलाकों में लोगों को काम करने से बचाया जा सके.

  1. रोबोट के जरिए एक घंटे में 12,000 वर्ग फुट तक के इलाके को सैनिटाइज किया जा सकता है
  2. ये रोबोट ऐप के माध्यम से 200 मीटर की दूरी से सैनिटाइजेशन करता है
  3. भारत में इस रोबोट की लागत लगभग 50 हजार रुपये है

गौरतलब है कि ड्रोन के बाद अब भारत की ही एक कंपनी ने ऐसा रोबोट बनाया है, जिसकी मदद से इन इलाकों को बिना इंसान के जाए सैनिटाइजेशन किया जा सकता है. नई दिल्ली नगर निगम ने इस रोबोट का इस्तेमाल शुरू कर दिया है.

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यह रोबोट अल्ट्रा वायलेट तकनीक पर आधारित है. जिसे भारतीय स्टार्ट-अप इंजीनियर्स की टीम 'अविष्कार' ने तैयार किया है. ये रोबोट ऐप के माध्यम से 200 मीटर की दूरी से अस्पतालों, बाजार, ऑफिसों को सैनिटाइज कर सकता है. इस मशीन की मदद से मिनटों में कमरे, उपकरण, कार्यालय इत्यादि को कीटाणु शोधित बनाया जा सकता है.

इस यूवी रोबोट के जरिए एक घंटे में 12,000 वर्ग फुट तक के इलाके को सैनिटाइज किया जा सकता है. इसकी जहां भारत में लागत लगभग 50 हजार रुपये है, वहीं विदेश में यह लगभग 7-8 लाख का रुपये है.

वहीं, दूसरी तरफ एक युवा इंजीनियर सागर गुप्ता नौगरिया और प्रशांत पिल्लई ने 2015 में इंडियन रोबोटिक्स सॉल्यूशन की स्थापना की, जो सरकार की इस कोशिश में एहम भूमिका निभा रही है. उन्होंने कंपनी द्वारा बनाए गए कोरोना कॉम्बैट ड्रोन की मदद से देश की राजधानी में सरकार और प्रशाशन कि मदद से सैनिटाइजेशन का काम काफी तेज और कुशल तरीके से किया है.

उन्होंने एक साथ मिलकर एक नजरिये का रूप दिया. नॉन आईआईटी बैकग्राउंड से होने के बावजूद इनका लक्ष्य विश्व पटल पर रोबोटिक्स सॉल्यूशंस को नया आयाम देना है. कोरोना से लड़ने की इस मुहिम में उन्होने 85 किलोमीटर के एरिया को सैनिटाइज किया, जिसने इस महामारी को रोकने में किसी ढाल की तरह काम किया है. कोरोना कॉम्बैट ड्रोन सागर की पहली पहल है, जो कम समय में बड़े इलाकों को कवर करते हुए सैनिटाइजेशन का काम करती है.

ड्रोन का इस्तेमाल ऐसे इलाकों को सैनिटाइज करने के लिए किया जा रहा है, जहां बड़े-बड़े वाहनों के द्वारा सैनिटाइज करना मुश्किल था. ऐसे में कोरोना कॉम्बैट ड्रोन द्वारा एनडीएमसी की अनुमति से दिल्ली के कई स्लम्स एरिया और उसके आस-पास के क्षेत्रों में सैनिटाइजेशन ड्राइव चलाया गई थी. सैनिटाइजेशन ड्राइव के दौरान इन ड्रोन के द्वारा एक केमिकल का छिड़काव किया जाता है, जिससे वायरस के फैलने के चांसेस ना के बराबर होते हैं.

हाल ही में कंपनी के फाउंडर सागर गुप्ता नौगरिया और को-फाउंडर प्रशांत पिल्लई ने इस खतरनाक बीमारी को जड़ से मिटाने के लिए एक अनोखे ड्रोन का आविष्कार किया. 'थर्मल कोरोना कॉम्बैट ड्रोन्स' से घर की छतों और बालकनी में खड़े लोगों की थर्मल मैपिंग हो सकेगी और संदिग्धों की पहचान आसानी से की जा सकेगी. इस ड्रोन में नाइट विजन कैमरा भी लगा है, जिससे यह अनोखा ड्रोन रात में भी मैपिंग करने में सक्षम है.

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यह ड्रोन 15 से 20 मीटर की दूरी से पूरे सटीक तरीके से मैपिंग कर सकता है. आपको बता दें कि यह ड्रोन फिलहाल 3 घंटे में करीब 300 लोगों की थर्मल मैपिंग कर रहा है परन्तु कंपनी का दावा है कि उनकी टीम इस पर पूरी मेहनत कर रही है. जिससे इस ड्रोन कि मदद से 3 घंटे में 600 लोगों की थर्मल मैपिंग की जा सके. साथ ही इसमें लाउडस्पीकर का भी इस्तेमाल किया गया है. जिससे संदिग्धों को दूसरी स्क्रीनिंग के लिए चिन्हित किया जा सकता है.

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