दिल्ली: कृत्रिम बारिश कराने के लिए वैज्ञानिकों ने पूरी की तैयारी,मौसम के अनुकूल होने का इंतजार
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दिल्ली: कृत्रिम बारिश कराने के लिए वैज्ञानिकों ने पूरी की तैयारी,मौसम के अनुकूल होने का इंतजार

वैज्ञानिक इस बारे में आश्वस्त नहीं हैं कि यह (कृत्रिम बारिश) कब कराई जाएगी क्योंकि वे इसके लिए मौसम की अनुकूल परिस्थितियों का इंतजार कर रहे हैं.

 

(फाइल फोटो)

नई दिल्ली: आईआईटी कानपुर के वैज्ञानिकों ने वायु प्रदूषण की गंभीर स्थिति का सामना कर रही दिल्ली में कृत्रिम बारिश कराने के लिए इसरो से विमान हासिल करने सहित सभी तैयारियां कर ली हैं, बस अब मौसम के अनुकूल होने की देर है. हालांकि, वैज्ञानिक इस बारे में आश्वस्त नहीं हैं कि यह (कृत्रिम बारिश) कब कराई जाएगी क्योंकि वे इसके लिए मौसम की अनुकूल परिस्थितियों का इंतजार कर रहे हैं.

आईआईटी कानपुर के उप निदेशक मणिंद्र अग्रवाल ने कहा,‘हमने सभी तैयारियां कर ली है और इसरो से विमान भी हासिल कर लिया है जिसकी जरूरत कृत्रिम बारिश कराने के लिए पड़ेगी. यह तकनीक महाराष्ट्र में और लखनऊ के कुछ हिस्सों में पहले ही परखी जा चुकी है. हालांकि, भारत में यह पहला मौका है जब वायु प्रदूषकों से हुए नुकसान का मुकाबला करने के लिए एक बड़े भूभाग पर कृत्रिम बारिश कराई जाएगी.’ 

चीन कर रहा है  ‘क्लाउड सीडिंग’ का उपयोग 
उल्लेखनीय है कि चीन कई बरसों से कृत्रिम बारिश कराने के लिए ‘क्लाउड सीडिंग’ का उपयोग कर रहा है. अमेरिका, इस्राइल, दक्षिण अफ्रीका और जर्मनी ने भी इस प्रौद्योगिकी का उपयोग किया है.

कृत्रिम बारिश (क्लाउड सीडिंग) एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें सिल्वर आयोडाइड, शुष्क बर्फ और यहां तक कि खाने का नमक सहित विभिन्न तरह के रसायनिक पदार्थों को पहले से मौजूद बादलों में डाला जाता है, ताकि उन्हें मोटा और भारी किया जा सके और उनके बरसने की संभावना बढ़ जाए. 

इस प्रक्रिया में वायु में रसायनों (ज्यादातर नमक) को बिखरा कर बारिश की मात्रा और प्रकार में बदलाव करना भी शामिल है. रसायनों को बादलों में विमान से बिखराया जाता है. 

गौरतलब है कि दिल्ली में वायु की गुणवत्ता पिछले तीन हफ्तों में सतर्क करने वाले स्तर पर पहुंच गई है. बुधवार को कुछ इलाकों में यह ‘‘गंभीर’’ श्रेणी की दर्ज की गई. 

(इनपुट - भाषा)

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