हनीप्रीत को झटका, दिल्ली हाई कोर्ट ने अग्रिम जमानत याचिका खारिज की
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हनीप्रीत को झटका, दिल्ली हाई कोर्ट ने अग्रिम जमानत याचिका खारिज की

दिल्ली उच्च न्यायालय ने हनीप्रीत इंसा की ट्रांजिट अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी है. इससे पहले अदालत ने कहा कि उनके लिये सबसे आसान तरीका आत्मसमर्पण करना होगा. हनीप्रीत डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम की दत्तक पुत्री है. 

हरियाणा पुलिस को हनीप्रीत इंसां की तलाश है.  (फोटो साभार: Twitter/@insan_honey (File image)

नई दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय ने बलात्कार के दो मामलों में डेरा सच्चा सौदा प्रमुख राम रहीम की दोषसिद्धि के बाद हिंसा भड़काने और देशद्रोह के आरोपों का सामना कर रही हनीप्रीत इंसां की मंगलवार को ट्रांजिट अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी. अदालत ने कहा कि वह किसी भी तरह के विवेकाधिकार वाली राहत पाने की हकदार नहीं हैं क्योंकि वह डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम की 25 अगस्त को दोषसिद्धि के बाद फैली हिंसा के बाद से ही गिरफ्तारी से बच रही हैं.

  1. कोर्ट ने कहा कि हनीप्रीत के लिए सबसे आसान तरीका आत्मसमर्पण करना होगा.
  2. सुनवाई के दौरान हरियाणा पुलिस ने दिल्ली उच्च न्यायालय में हनीप्रीत के याचिका दायर करने का विरोध किया.
  3. हनीप्रीत के वकील ने दावा किया कि हरियाणा में उनके जीवन को खतरा है.

न्यायमूर्ति संगीता ढींगरा सहगल ने कहा कि डेरा सच्चा सौदा प्रमुख की दत्तक पुत्री हनीप्रीत का आवेदन सही नहीं है और इसे समय हासिल करने और हरियाणा के पंचकूला की अदालत में चल रही सुनवाई को विलंबित करने के लिये दाखिल किया गया है. अदालत ने गौर किया कि हनीप्रीत ने जांच में शामिल होने या आत्मसमर्पण करने को लेकर प्रतिबद्धता नहीं जताई. वह गुरमीत राम रहीम की दोषसिद्धि के बाद से ही फरार है. अदालत ने कहा कि राहत के लिये पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाने में सक्षम होने के लिए गिरफ्तारी से बचाव के लिए उनकी याचिका में दम नहीं है.

अदालत ने कहा कि हनीप्रीत के खिलाफ लुकआउट नोटिस जारी होने के बावजूद उसे गिरफ्तार करने के पुलिस के प्रयासों का कोई नतीजा नहीं निकला है. न्यायाधीश ने यह भी कहा कि अग्रिम जमानत देना अदालत का न्यायिक विशेषाधिकार है और इसका इस्तेमाल एहतियात के साथ किया जाना चाहिये और अदालत को संतुष्ट होना है कि आवेदन सही आधार पर दायर किया गया है और अदालत का कृत्रिम तौर पर अधिकार क्षेत्र तैयार करने के लिये आवेदक की तरफ से कोई हेराफेरी नहीं की गई है.

उच्च न्यायालय ने इससे पहले आज 36 वर्षीय हनीप्रीत तथा दिल्ली और हरियाणा पुलिस के वकीलों की दलीलें सुनने के बाद उनकी जमानत याचिका पर आदेश सुरक्षित रखा था. सुनवाई के दौरान, उच्च न्यायालय ने उसके सामने अग्रिम जमानत याचिका दायर करने पर हनीप्रीत पर सवाल उठाए और कहा कि वह हरियाणा की स्थायी नागरिक हैं और,‘‘आपके लिए सबसे आसान तरीका आत्मसमर्पण करना है.’’दिल्ली और हरियाणा पुलिस के वकीलों ने हनीप्रीत की याचिका का कड़ा विरोध किया और कहा कि दिल्ली की एक संपत्ति का गलत पता देकर वह अदालत को गुमराह कर रही हैं. ट्रांजिट अग्रिम जमानत याचिका एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाने के दौरान गिरफ्तारी से बचाव के लिये होती है. 

हनीप्रीत राजद्रोह के मामले में जांच में शामिल होने के लिये दिल्ली से हरियाणा जाने के दौरान गिरफ्तारी से बचाव की मांग कर रही है. प्रियंका तनेजा उर्फ हनीप्रीत जेल में बंद राम रहीम की दत्तक पुत्री हैं और वह राम रहीम की दोषसिद्धि के बाद हुई हिंसा की घटनाओं के संबंध में हरियाणा पुलिस द्वारा वांछित 43 लोगों में शीर्ष पर हैं.

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