Delhi Crime News: दिल्ली के नरेला थाना क्षेत्र में 31 साल से फरार एक 'घोषित अपराधी' को क्राइम ब्रांच ने गिरफ्तार कर लिया. आरोपी दया राम 1994 में हत्या के मामले में वांछित था और पुलिस की कई कोशिशों के बाद आखिरकार 15 दिनों की निगरानी के बाद उसे महरौली स्थित टीबी अस्पताल से पकड़ा गया.
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Delhi Crime News: दिल्ली के नरेला थाना क्षेत्र में 31 साल से फरार हत्या के मामले में वांछित एक 'घोषित अपराधी' को आखिरकार क्राइम ब्रांच ने गिरफ्तार कर लिया है. आरोपी को 1994 में हत्या के एक गंभीर मामले में वांछित घोषित किया गया था और तभी से वह पुलिस की गिरफ्त से बाहर था. पुलिस की कई कोशिशों के बाद करीब आधे महीने तक जाल बिछाने और निगरानी के बाद आरोपी को पकड़ने में सफलता मिली है.
नरेला थाने में किया मामला दर्ज
दरअसल, नरेला के सेक्टर-10 नियर डीडीए फ्लैट्स निवासी श्री बाबू लाल दिल्ली की शिकायत पर एफआईआर संख्या 255/1993, यू/एस 302/34 आईपीसी के तहत नरेला थाने में मामला दर्ज किया गया था. शिकायत में उन्होंने बताया कि बाबू लाल, चुन्नी लाल और प्रेम, जो यूपी के भिड़ोरा गांव के निवासी थे, उनके पिता से उनकी बहन सोमवती की शादी के लिए दबाव बना रहे थे. जब उनके पिता, शंभू दयाल, ने इस विवाह से इनकार कर दिया तो तीनों ने 17 सितंबर 1993 को उनकी झुग्गी में आकर गंभीर परिणाम भुगतने की धमकी दी और गाली-गलौज की.
कोर्ट ने घोषित किया अपराधी
शाम को उनके पिता कहीं चले गए और फिर वापस नहीं लौटे. 18 सितंबर 1993 की सुबह 7:00 बजे के आसपास शंभू दयाल का शव झुग्गी के पास मिला. नतीजतन, हत्या का मामला दर्जकर जांच शुरू की गई. जांच के दौरान आरोपी मुन्नी लाल, दया राम और प्रेम नारायण को 1994 में कोर्ट द्वारा 'घोषित अपराधी' घोषित कर दिया.
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करा रहा था टीबी का इलाज
दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने आरोपी दया राम की जानकारी जुटाई और पता चला कि वह टीबी से पीड़ित है और वर्तमान में कानपुर में इलाज करा रहा है. इस मामले में हेड कॉन्स्टेबल बिजेंद्र सिंह ने टीम के साथ रेकी की, जिसके बाद खुफिया जानकारी मिली कि आरोपी दिल्ली के महरौली स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टीबी एंड रेस्पिरेटरी डिजीज में अपना इलाज करवा रहा है.
पुलिस ने किया गिरफ्तार
टीम ने अस्पताल से मेडिकल रिकॉर्ड हासिल किए और 15 दिनों की निगरानी के बाद उसे सफलतापूर्वक गिरफ्तार कर लिया. पूछताछ के दौरान दया राम ने खुलासा किया कि शंभू दयाल की हत्या के बाद वह अपने गांव से फरार हो गया था. उसने राजमिस्त्री का काम शुरू कर दिया था और अपने गांव में अनियमित समय पर आता-जाता था. गिरफ्तारी से बचने के लिए उसने किसी मोबाइल का इस्तेमाल नहीं किया और न ही अपने परिवार से कोई संपर्क रखा. उसने गांव के सभी संपर्क बंद कर दिए थे ताकि पुलिस की नजरों से बचा रहे.
INPUT- Raj Kumar Bhati