दिल्ली पुलिस की जांच के दौरान 4 फरवरी को सोशल मीडिया मॉनिटरिंग के दौरान टूलकिट डॉक्युमेंट्स के जरिए हुई साजिश का खुलासा हुआ. इसके सभी तथ्यों को ध्यान में रखते हुए दिल्ली पुलिस (Delhi Police) की साइबर सेल ने FIR दर्ज की थी.
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नई दिल्ली: दिल्ली पुलिस ने 26 जनवरी को हुई हिंसा और लगभग उसी दौरान भारत के खिलाफ हो रही विदेशी साजिश का पर्दाफाश कर दिया है. प्रेस कांफ्रेंस में दिल्ली पुलिस की साइबर सेल के जॉइंट सीपी प्रेम नाथ ने इसी सिलसिले में टूलकिट (Toolkit) साजिश के हर चेहरे को बेनकाब कर दिया. पुलिस जांच में जो कुछ तथ्य सामने आए उनके मुताबिक निकिता जोसेफ (Nikita Joseph) भी टूलकिट की एक एडिटर है. दिल्ली पुलिस के मुताबिक निकिता, दिशा रवि (Disha Ravi) और शांतनु ने साथ मिलकर टूलकिट डॉक्युमेंट बनाया था.
पुलिस के मुताबिक 11 जनवरी को निकिता और शांतनु ने ज़ूम मीटिंग अटेंड की जो पोएटिक जस्टिस फाउंडेशन (PJF) ने होस्ट की थी. इसी दौरान दिशा रवि ने ग्रेटा को टूलकिट भेजा था. हालांकि दिशा रवि ने अपना वाट्सऐप ग्रुप (Whatts App Group Disha Ravi) भी डिलीट कर दिया था. जो खास तौर पर इसी मकसद से बनाया गया था. निकिता के घर पर जांच के लिए कोर्ट के आदेश का सहारा लिया गया. वहां जांच में सामने आया कि PJF के फाउंडर मो धालीवाल ने अपने कनाडा में रहने वाले साथी पुनीत की मदद से अपना प्लान बनाया और 11 जनवरी को धालीवाल ने जूम के जरिये मीटिंग की गई. इस मीटिंग में दिशा, निकिता, शांतनु भी शामिल थे. मीटिंग में तय किया गया कि इस आंदोलन को और बड़ा बनाना है. इन सभी ने टूलकिट डाक्यूमेंट्स बनाया और फिर दिशा रवि ने इस टूलकिट को ग्रेटा थनबर्ग (Greta Thunberg) के पास भेजा था.
27 नवंबर 2020 से किसान आंदोलन की शुरुआत हुई थी. इस बीच बाकी पड़ताल के दौरान 4 फरवरी पर सोशल मीडिया मॉनिटरिंग के दौरान टूलकिट डॉक्युमेंट्स का खुलासा हुआ. वहीं 23 जनवरी को मीडिया पर और 26 जनवरी पर वास्तविक यानी असल एक्शन करना है जैसी बातों का खुलासा हुआ. सभी तथ्यों को ध्यान में रखते हुए दिल्ली पुलिस (Delhi Police) की साइबर सेल ने FIR दर्ज की थी. पुलिस की साइबर सेल ने कुछ एक्शन स्टेप्स आउटलाइन किये थे जोकि दिल्ली के घटना क्रम से हूबहू मिलते थे. टूल किट एडिटर निकिता जोसफ के घर जब पुलिस की जांच टीम पहुंची तो वहां से 2 लैपटॉप बरामद किए गए.
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दिल्ली पुलिस ने ये भी बताया कि जनवरी महीने में ही खालिस्तान समर्थक धालीवाल, शांतनु और दिशा की ज़ूम मीटिंग हुई थी. इसके बाद एक वाट्सऐप ग्रुप बनाया गया था. शांतनु और दिशा ने टूल किट बनाया और लोगों को जमकर फॉरवर्ड भी किया. शुरुआती जांच में ये भी पता चला की कई बातें डिलीट की गई हैं. टूल किट को इतना फैलाना था ताकि दुनिया के अलग अलग देशों में इंडियन एंबेसी के सामने प्रदर्शन के लिए उमड़े. वहीं पीटर फ्रेडेरिक ने ये प्लान किया कि भारत विरोधी इस मुहिम में किस तरह से हैश टैग बनाया जाए और फिर उनका इस्तेमाल भारत विरोधी एजेंडे के लिए प्रमोट करने में किया जाए.
पोएटिक जस्टिस फाउंडेशन के संस्थापक धालीवाल ने अपने सहयोगी पुनीत के जरिए निकिता जैकब से संपर्क किया था. गणतंत्र दिवस से पहले हुई जूम मीटिंग में धालीवाल, निकिता, दिशा और अन्य शामिल हुए. वहीं इसी सिलसिले में दिल्ली पुलिस की एक टीम मुंबई भी पहुंची. वहां पर उसने 11 फरवरी को निकिता जैकब के घर की तलाशी ली. इस दौरान निकिता और उसके सहयोगी शांतनु और दिशा रवि ने टूलकिट के दस्तावेज तैयार करने की पुष्टि हुई. साजिश के तहत शांतनु ने एक ईमेल एकाउंट बनाया और वो ही इन डॉक्युमेंट्स का ओनर था. वहीं बाकी लोग भी इसके एडिटर थे. कनाडा में रहने वाली पुनीत नाम की एक महिला ने इन लोगों को प्रो-खालिस्तानी संगठन पोएट्री जस्टिस फाउंडेशन से जोड़ा था.
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