दिल्ली हिंसा में भड़काऊ भाषण देने वाले बीजेपी नेताओं के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने की मांग वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस (CJI) ने कहा कि याचिकाकर्ता हर्ष मंदर को फिलहाल नहीं सुना जाएगा.
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नई दिल्ली: दिल्ली हिंसा (Delhi Violence) में भड़काऊ भाषण देने वाले बीजेपी नेताओं के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने की मांग वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस (CJI) ने कहा कि याचिकाकर्ता हर्ष मंदर को फिलहाल नहीं सुना जाएगा. चीफ जस्टिस ने कहा कि दूसरी याचिका दायर करने वाले हिंसा पीड़ितों के वकील पक्ष रख सकते हैं. हम दूसरे याचिकाकर्ताओं को सुन सकते हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने ये बात याचिकाकर्ता हर्ष मंदर के बारे में तब कही जब सॉलिसिटर जनरल (SG) तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका का विरोध करते हुए कहा कि याचिकाकर्ता हर्ष मंदर ने शाहीन बाग में जाकर प्रदर्शनकारियों को भड़काने का काम किया. मंदर ने कहा था कि जो कुछ होगा सड़क पर ही होगा, सुप्रीम कोर्ट से अधिक उम्मीद नहीं की जा सकती. याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट पर विश्वास न जताते हुए सुप्रीम कोर्ट के खिलाफ बोला था.
VIDEO: क्या कहा था हर्ष मंदर ने
अब फ़ैसला संसद या SC में नहीं होगा। SC ने अयोध्या और कश्मीर के मामले में secularism की रक्षा नहीं की। इसलिए फ़ैसला अब सड़कों पर होगा।
This man Harsh Mander, who wrote the draconian CVB, is in HC to get FIRs against people for hate speech... And a judge gave him midnight hearing! pic.twitter.com/zrXYyBxfE3
— Amit Malviya (@amitmalviya) March 4, 2020
भड़काऊ भाषण देने वाले बीजेपी नेताओं के खिलाफ FIR की याचिका पर HC जल्द सुनवाई करे: SC
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि अगर कोर्ट चाहे तो वो याचिकाकर्ता हर्ष मंदर के भाषण को कोर्ट में पेश कर सकते हैं. इस पर CJI ने भाषण की ट्रांस स्क्रिप्ट मांगी. हर्ष मंदर के वकील ने इससे इनकार किया. उन्होंने कहा कि ऐसी स्पीच के लिए उन्हें कोई नोटिस भी नहीं मिला है.
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कोर्ट ने कहा- हम ये साफ कर देना चाहते हैं कि हम नोटिस जारी नहीं करेंगे और जब तक आपके भाषण को लेकर स्थिति साफ नहीं हो जाती, हम आपको नहीं सुनेंगे. आपके बजाए हम दूसरे याचिकाकर्ताओं को सुनेंगे.
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि मंदर की स्पीच वह कोर्ट में सबमिट कर चुके हैं. CJI ने याचिकाकर्ता की स्पीच की ट्रांसक्रिप्ट देखकर मंदर के वकील को कहा कि ये भाषण कब और कहां दिया था? क्या आप कोर्ट को लेकर इस तरह की भावनाएं रखते हैं? हम आपको नोटिस जारी करेंगे. CJI की टिप्पणी- याचिकाकर्ता हर्ष मंदर के खिलाफ लगे आरोप बेहद गंभीर हैं. जब तक इस आरोपों पर सफाई नहीं आ जाती, हम मंदर की याचिका पर सुनवाई नहीं करेंगे. दूसरे याचिकाकर्ता दंगा पीड़ितों के वकील पक्ष रख सकते हैं.
उसके बाद कोर्ट ने सॉलिसिटर जनरल से सवाल पूछे.
CJI- अपने हाई कोर्ट में कहा था कि FIR दर्ज करने के लिए वातावरण सही नहीं है. क्या आज माहौल ठीक है?
SG- पिछले 3 दिनों से कोई दंगा नहीं हुआ.
CJI- तो क्या आप आज FIR दर्ज करेंगे?
SG- तुषार मेहता ने याचिका का विरोध करते हुए कहा कि दिल्ली हाई कोर्ट में मामला लंबित है, सुप्रीम कोर्ट को इस पर सुनवाई नहीं करना चाहिए. दिल्ली में स्थिति अभी सही नहीं है, इसलिए पुलिस ने भड़काऊ बयान देने वालों के खिलाफ FIR दर्ज करने का फैसला कुछ समय के लिए टाल दिया है.
ऐसा नहीं है कि दिल्ली दंगा के मामले में दंगाइयों के खिलाफ FIR दर्ज नहीं हुई है. अब तक 468 FIR दर्ज हुई हैं. लेकिन याचिकाकर्ता (हर्ष मंदर) को केवल तीन लोगों ( बीजेपी नेताओं) के खिलाफ ही FIR में रुचि है.
CJI- 468 FIR में कुछ और FIR जोड़ा जा सकता है, अगर पुलिस दोनों तरफ के लोगों के खिलाफ FIR दर्ज करती है, तब कोई समस्या नहीं होगी.
वकील ने कहा कि डीजीपी की मौजूदगी में बीजेपी नेता कपिल मिश्रा ने भड़काऊ बयान दिए. कपिल मिश्रा और अनुराग ठाकुर ने सिर्फ भड़काऊ बयान ही नहीं दिए बल्कि लोगों को हिंसा के लिए mobilize किया. सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता को दिल्ली हाई कोर्ट जाने को कहा. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दिल्ली हाई कोर्ट शुक्रवार को इन याचिकाओं पर सुनवाई करे.
सुप्रीम कोर्ट का आदेश
1. याचिकाकर्ता को हाई कोर्ट जाने को कहा. SC ने हाई कोर्ट से जल्द सुनवाई शुक्रवार को करने को कहा. हाई कोर्ट ने भड़काऊ भाषण देने वाले बीजेपी के नेताओं के खिलाफ FIR दर्ज करने के मामले को 13 अप्रैल के लिए टाल दिया था. अब शुक्रवार को सुनवाई होगी.
सुप्रीम कोर्ट ने शांति बहाली के लिए याचिकाकर्ता के वकील को कहा कि कुछ राजनीतिक नेताओं के नाम दिल्ली हाई कोर्ट को सुझाएं, हाई कोर्ट शांति बहाली की संभावना तलाशने पर विचार करे.
2. याचिकाकर्ता हर्ष मंदर पर सुप्रीम कोर्ट के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी करने के सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता के आरोप पर सुप्रीम कोर्ट ने हर्ष मंदर और सॉलिसिटर जनरल से शुक्रवार तक अपना अपना जवाब सुप्रीम कोर्ट में हलफनामे के रूप में दायर करने को कहा.