Corona Vaccine लेने के बाद भी Delta Variant का खतरा, संक्रमित होने वाले 86 फीसदी हुए इसका शिकार; मौत का खतरा कम
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Corona Vaccine लेने के बाद भी Delta Variant का खतरा, संक्रमित होने वाले 86 फीसदी हुए इसका शिकार; मौत का खतरा कम

भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) और पुणे स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (NIV) की स्टडी में पता चला है कि कोविड-19 रोधी टीकाकरण करवाने के बावजूद संक्रमण की चपेट में वाले अधिकांश मामलों में संक्रमण की वजह कोरोना वायरस का डेल्टा वैरिएंट है.

प्रतीकात्मक तस्वीर

नई दिल्ली: कोरोना वैक्सीन (Corona Vaccine) की दोनों डोज लेने के बाद भी अगर आपको कोविड-19 (Covid-19) ने अपना शिकार बनाया है तो बहुत मुमकिन है कि आपको डेल्टा वैरिएंट (Coronavirus Delta Variant) ने जकड़ लिया हो. भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) और पुणे स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (NIV) के एक नए अध्ययन में यह पता चला है.

  1. वैक्सीन लेने के बाद संक्रमित ज्यादातर लोगों में मिला डेल्टा वैरिएंट
  2. हालांकि वैक्सीन लगाने के बाद कोरोना कम खतरनाक साबित होता है
  3. आईसीएमआर और एनआईवी की स्टडी में खुलासा
  4.  

86 प्रतिशत लोगों में पाया गया डेल्टा वैरिएंट

आईसीएमआर और एनआईवी की स्टडी के मुताबिक कोरोना वैक्सीन (Corona Vaccine) लेने के बाद जिन लोगों को इंफेक्शन हुआ, उनमें से 86 प्रतिशत लोगों में कोविड-19 का डेल्टा वैरिएंट (Covid-19 Delta Variant) पाया गया. हालांकि अस्पताल जाने की नौबत बेहद कम लोगों को ही पड़ी. इसका मतलब ये है कि वैक्सीन लगाने के बाद कोरोना कम खतरनाक साबित होता है.

सिर्फ 9.8% लोगों को अस्पताल की जरूरत

स्टडी के आंकड़ों के अनुसार, वैक्सीन लेने के बाद भी संक्रमित हुए लोगों में से महज 9.8 फीसदी में ही अस्पताल में भर्ती करने की जरूरत पड़ी और मृत्यु दर भी 0.4 फीसदी रही. इसमें बताया गया कि भारत के ज्यादातर हिस्सों में ऐसे मामलों की वजह डेल्टा स्वरूप है लेकिन उत्तरी क्षेत्र में कोरोना वायरस का अल्फा स्वरूप हावी है.

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इन राज्यों से लिए गए थे नमूने

आईसीएमआर और एनआईवी की स्टडी के लिए नमूने महाराष्ट्र, केरल, गुजरात, उत्तराखंड, कर्नाटक, मणिपुर, असम, जम्मू-कश्मीर, चंडीगढ़, राजस्थान, मध्य प्रदेश, पंजाब, पुडुचेरी, नई दिल्ली, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु और झारखंड से लिए गए थे. जिन लोगों के नमूने अध्ययन की खातिर लिए गए, उनमें से 604 मरीजों को कोविशील्ड टीका लगा था, जबकि 71 को कोवैक्सीन और दो को साइनो फार्मा का टीका लगा था, जो बाहर से लगवाकर आए थे.

क्या कहते हैं 677 लोगों पर हुई स्टडी के नतीजे

17 राज्यों से 677 लोगों के सैंपल लिए गए थे और सभी दो या कम से कम एक डोज वैक्सीनेटिड थे. इनमें से 86.09 प्रतिशत को डेल्टा वैरिएंट का संक्रमण हुआ, जबकि कुछ लोगों में कप्पा वैरिएंट मिला. इनमें से 71 प्रतिशत यानी 482 मरीजों को लक्षण थे, जबकि 29 प्रतिशत को कोई लक्षण नहीं था.

मरीजों में दिखे ये लक्षण

बुखार- 70%
सिरदर्द- 56%
खांसी- 45%
गला खराब- 37%
स्मेल और टेस्ट गायब- 22%
सांस फूलना- 6%
डायरिया- 6%
लाली होना- 1%

वैक्सीनेशन से कोरोना का असर हुआ कम

इसके अलावा देश के अलग-अलग शहरों के 1104 अस्पतालों के लगभग 4 हजार (3820) मरीजों पर की गई एक स्टडी में ये पाया गया कि वैक्सीनेशन के असर से कोरोना के मामलों में काफी सुधार हुआ है. विशेष रूप से जिन लोगों ने दोनों डोज ले ली है, वो काफी हद तक कोरोना के बुरे असर से बचे हुए हैं. 45 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों पर की गई इस स्टडी से ये साफ हुआ कि अगर कोरोना वायरस संक्रमण होने के बावजूद अस्पताल में रहने का वक्त घट रहा है और उसी की वजह से इलाज में होने वाला खर्च भी कम हो रहा है.

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