कोरोना की नई दवा विराफिन (Virafin) को DGCI से आपात इस्तेमाल की मंजूरी मिल गई है. कंपनी का दावा है कि सही समय पर इस दवाई को लेने से मरीज जल्दी रिकवर कर सकता है.
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नई दिल्ली: ड्रग कंटोलर ऑफ इंडिया (DGCI) ने कोरोना मरीजों के इलाज के लिए एक नई दवा को मंजूरी दे दी है. इस दवा का नाम है विराफिन (Virafin) है. अभी हमारे देश में जो दो वैक्सीन कोविशील्ड (Covishield) और कोवैक्सीन (Co-Vaxin) इस्तेमाल हो रही हैं, उन्हें कोरोना संक्रमित मरीजों को नहीं लगाया जा सकता.
यानी जो व्यक्ति अब तक संक्रमित नहीं हुआ है या फिर जिसकी कोरोना रिपोर्ट निगेटिव आए हुए तीन हफ्ते से ज्यादा हो गए हैं, वही व्यक्ति वैक्सीन लगवा सकता है. ये वैक्सीन उन लोगों के लिए नहीं हैं, जो वायरस से संक्रमित हो रहे हैं. लेकिन ये दवा कोरोना मरीजों के लिए ही है. सबसे पहले आपको ये बताते हैं कि ये दवा कोरोना मरीजों पर कैसे असर करती है?
इस दवा को जाइडस कैडिला (Zydus Cadila) नाम की कंपनी ने बनाया है, जो भारत की ही एक फार्माश्यूटिकल कंपनी है. इस कंपनी ने जानकारी दी है कि मध्यम श्रेणी (Moderate Cases) के मामलों में अगर ये दवा मरीज को समय रहते दी जाए तो इससे वायरस के असर को सीमित किया जा सकता है, और मरीज तेजी से रिकवरी करने लगता है.
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भारत में इस दवा का क्लीनिकल ट्रायल 20 से 25 केन्द्रों पर हुआ है, जिसमें कुल 250 मरीजों को ये दवा दी गई. इसमें से 91.15 प्रतिशत मरीज सिर्फ 7 दिन में ही ठीक हो गए. जब 7 दिनों के बाद इन मरीजों का RT-PCR टेस्ट किया गया तो उनकी रिपोर्ट नेगेटिव आई. इसके अलावा इस दवा को लेने के बाद मरीजों को 56 घंटे ही ऑक्सीजन देनी पड़ी, जबकि मध्यम क्षेणी में मरीजों को औसतन 84 घंटे ऑक्सीजन की जरूरत होती है. इसका मतलब ये है कि ये दवा फेफड़ों में फैले संक्रमण से भी लड़ने में कारगर है.
कंपनी ने दावा किया है कि ये दवा 18 साल से ऊपर के लोगों को दी जा सकती है. इसे सिरिंज से शरीर में इंजेक्ट किया जाएगा. यानी जैसे अभी वैक्सीन लग रही है, वैसे ही ये दवा लगाई जाएगी, और इस दवा की एक डोज ही मरीज के लिए काफी होगी और वो 7 दिनों में रिकवर हो जाता है.
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अब आप सोच रहे होंगे कि ये दवा कब से उपलब्ध हो जाएगी? तो आपको बता दें कि ये दवा मई महीने की शुरुआत में ही मरीजों को मिल सकती है. कंपनी ये दवा सीधे अस्पतालों को उपलब्ध कराएगी और डॉक्टर की सलाह पर ही ये मरीजों को लगाई जाएगी.
इस दवा की कीमत अभी तय नहीं हुई है. कंपनी के मुताबिक, अगले 5 से 6 दिनों में इसकी कीमत तय कर ली जाएगी. हालांकि आज इस दवा को मंजूरी मिलने के साथ ही हमें एक डर भी है और वो ये कि कहीं इस दवा की भी कालाबाजारी शुरू ना हो जाए, जैसे अभी रेमेडिसिवीर ( Remdesivir) दवा के साथ हो रहा है. इस दवा को पिछले साल आपात इस्तेमाल की मंजूरी दी गई थी. लेकिन जैसे ही देश में मरीजों की संख्या बढ़ने लगी तो इस इसकी कालाबाजारी शुरू हो गई.
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गौरतलब है कि रेमेडिसिवीर एक एंटी वायरल दवा है, जिसकी एक डोज की कीमत 899 रुपये से 5400 रुपये तक है. लेकिन ब्लैक मार्केट में ये 20-20 हजार रुपये में बिक रही है. सोचिए हमारे देश में कुछ लोग कैसे लोगों की मजबूरी का फायदा उठाते हैं. पिछले कुछ दिनों में पुलिस इस दवा की कालाबाजारी कर रहे कई लोगों को पकड़ चुकी है, लेकिन अब भी कई लोग इससे बाज नहीं आ रहे हैं.
हम इन लोगों को कहना चाहते हैं कि इन्हें हरियाणा के जींद के इस चोर से सीख लेनी चाहिए, जिसने जिला अस्पताल से वैक्सीन की 1700 डोज चुरा ली थीं लेकिन बाद में जब उसे पता चला कि चुराए गए सामान में वैक्सीन हैं तो इस चोर ने इंसानियत दिखाते हुए ये वैक्सीन एक चाय की दुकान पर छोड़ दीं और अपने नोट में लिखा कि Sorry मुझे पता नहीं था कि ये कोरोना की दवाई है. आज दवाइयों की कालाबाजारी कर रहे लोगों को इस चोर से सीखना चाहिए कि इंसानियत क्या होती है.
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